बुंदेलखंड में जिंदगी के साथ जल को सहेजने की कोशिश

आने वाले समय में बुंदेलखंड में जल संकट को काम करने की पहल शुरू हो गई है।(Pixabay)
आने वाले समय में बुंदेलखंड में जल संकट को काम करने की पहल शुरू हो गई है।(Pixabay)
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इन दिनों कोरोना का संकट बना हुआ है, इस समस्या के साथ बुंदेलखंड में आने वाले दिनों में पानी का संकट भी गहरा सकता है। इन दोनों समस्याओं से मुकाबला करने के लिए सागर जिले में कवायद जारी है। एक तरफ जहां जिंदगी बचाने का अभियान जारी है तो दूसरी ओर जल सहेजने की मुहिम भी तेज की गई है। वर्तमान की कोरोना से जूझते लोगों को निजात मिले इसके लिए सागर जिले में अभिनव प्रयोग किया गया है। सभी 78 पंचायतों में औषधि केंद्र स्थापित हुए हैं, साथ ही, 15 विकासखण्ड स्तर भाप केंद्र चलाए जा रहे है। संभावित संक्रमित व्यक्ति जनपद स्तर पर फोन करके मेडीकल किट की अपनी मांग भेज सकता है। उसे घर बैठे औषधि उपलब्ध कराई जाएगी।

बंडा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरेन्द्र खरे ने बताया कि विकासखण्ड स्तर पर अब तक 411 खेत तालाब बनकर तैयार हो गये हैं और 148 में काम चल रहा है। इसके साथ ही कंटूरटेंच, गल्ली प्लग, लूज बोल्डर स्टेक्च र के माध्यम से पहाड़ी जल को संरक्षित किया जा रहा है। विकासखण्ड की सभी 78 पंचायतों में 232 शासकीय भवनों की छतों से रैन वॉटर हार्वेस्टिंग के कार्य प्रारंभ किए गए हैं। इन सभी कामों से ग्रामीण परिवारों को मनरेगा के अंतर्गत अपनी रोजी – रोटी कमाने का भी अवसर मिल रहा है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. इच्छित गढ़पाले ने बताया कि जिले के 11 विकासखण्डों में पंचायत स्तर पर औषधि केन्द्रों की स्थापना की गई है जहां आयुर्वेदिक होम्योपैथिक और एलोपैथिक तीनों विधि की दवाईयां उपचार के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गईं हैं। परन्तु लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी जिला पंचायत के स्तर पर आवश्यक कदम उठाए गए हैं। आगामी वर्षा ऋतु में बरसाती पानी को भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए " कैच द रेन" कार्यक्रम के अंतर्गत जल संग्रहण और छायादार तथा फलदार पौधों के रोपण को नियोजित किया गया है।(आईएएनएस-SHM)

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