नोबेल पुरस्कार की हक़दार हुईं दो वैज्ञानिक महिलाएं

इमैनुएल शार्पेजी और जेनिफर डाउडना, 2011 में एक साथ खोज में लग गए थे। (Facebook)
इमैनुएल शार्पेजी और जेनिफर डाउडना, 2011 में एक साथ खोज में लग गए थे। (Facebook)
Published on
1 min read

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार को दो महिला वैज्ञानिकों को डीएनए एडिट करने के टूल विकसित करने के लिए केमिस्ट्री में 2020 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की। इमैनुएल शार्पेजी और जेनिफर डाउडना को क्रिस्पर-कैस 9 जेनेटिक सीजर्स के रूप में जानी जाने वाली अपनी खोज के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

दोनों विजेता 1 करोड़ क्रोना (1,110,400 डॉलर) की पुरस्कार राशि साझा करेंगी।

अगर शोधकर्ता जीवन के आंतरिक कार्य प्रणाली के बारे में पता लगाना चाहते हैं, तो उन्हें जीन को कोशिकाओं में बदलना होगा। यह समय लेने वाली, कठिन और कभी-कभी असंभव काम था।

क्रिस्पर/कैस9 जेनेटिक सीजर्स का उपयोग करके, अब कुछ हफ्तों के दौरान जीवन के कोड को बदलना संभव है।

केमिस्ट्री के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष क्लेस गुस्ताफसन ने कहा, "इस जेनेटिक टूल में भारी शक्ति है, जो हम सभी को प्रभावित करती है। इसने न केवल बुनियादी विज्ञान में क्रांति ला दी है, बल्कि इससे नए चिकित्सा उपचारों को बढ़ावा मिलेगा।"

क्रिस्पर/कैस9 का उपयोग करते हुए, शोधकर्ता जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों के डीएनए को अत्यधिक उच्च परिशुद्धता के साथ बदल सकते हैं।

2011 में शार्पेजी ने अपनी खोज प्रकाशित की। उसी वर्ष, उन्होंने आरएनए के विशाल ज्ञान के साथ एक अनुभवी बायोकेमिस्ट, डाउडना के साथ सहयोग शुरू किया।

साथ में, वे एक टेस्ट ट्यूब में बैक्टीरिया की जेनेटिक सीजर्स को फिर से बनाने और सीजर्स के मॉलेक्युलर कम्पोनेंट को सरल बनाने में सफल रहीं।

अपने प्रयोग में, उन्होंने फिर जेनेटिक सीजर्स को रीप्रोग्राम किया। (आईएएनएस)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com