लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri) भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। जिन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। उनका कद भले ही छोटा था पर हौसले बहुत बुलंद थे। शास्त्री जी के बुलंद आत्मविश्वास और अटल निर्णय की खूब सराहना भी की जाती है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जो शास्त्री जी ताशकंद में भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता करने गए वह कभी वापस ही नहीं लौटे।
लाल बहादुर शास्त्री की मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को रात 1: 32 बजे उनकी मौत हो गई। लेकिन अब भी उनकी मौत पर कोतुहल और रहस्य बना हुआ है। क्या शास्त्री जी की मौत केवल एक हादसा थी या षड्यंत्र से रची गई साजिश ?
शास्त्रीजी के मृत शरीर पर नीले और सफेद धब्बों के अलावा गर्दन के पीछे और पेट पर 'खरोंच' के निशान थे। इसके बावजूद उनके शरीर का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। कुलदीप नैयर ने अपनी किताब "beyond the line" में शास्त्री जी की मौत पर कई सवाल खड़े किए। शास्त्री जी का पोस्टमार्टम ना तो ताशकंद में हुआ था और ना ही दिल्ली में।
इससे यह रहस्य और भी गहरा हो गया कि पोस्टमार्टम नहीं हुआ, तो शरीर पर कटने के निशान कहां से आए? चौंकाने वाली बात यह है कि उनके निजी डॉक्टर आरएन चुग का कहना था कि शास्त्रीजी को दिल से जुड़ी कोई समस्या थी ही नहीं। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री का मानना था कि उनकी मौत कुदरती नहीं थी उन्हें जहर दिया गया था।
ताशकंद में शास्त्री जी की मौत वाली रात दो गवाह मौजूद थे। एक थे उनके निजी चिकित्सक आरएन चुग और दूसरे थे उनके सेवक रामनाथ। दोनों ही शास्त्रीजी की मौत पर गठित संसदीय समिति के समक्ष 1977 में पेश नहीं हो सके क्योंकि दोनों को ही ट्रक ने टक्कर मार दी। इसमें डॉक्टर साहब मारे गए, जबकि रामनाथ अपनी याद्दाश्त खो बैठे, बताते हैं कि समिति के सामने गवाही से पहले रामनाथ ने शास्त्रीजी के परिजनों से 'सीने पर चढ़े बोझ' का जिक्र किया था, जिसे वह उतारना चाहते थे। आखिर उनके निजी सेवक राम नाथ किस रोज की बात कर रहे थे?
आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि शास्त्री जी की मौत से जुड़े दस्तावेज किसके आदेश से गोपनीय करार दिए गए। किसका आदेश था जो शास्त्रीजी से जुड़े दस्तावेजों को 'टॉप सीक्रेट', 'गोपनीयl' श्रेणी दी गई। यहां तक कि शास्त्री जी की बेटे ने सरकार से मांग की थी कि शास्त्री जी की मौत से जुड़ी हर एक फाइलों को सार्वजनिक किया जाए।
हैरानी की बात तो यह है कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद आरटीआई का भी कोई जवाब क्यों नहीं आया। इस पर पीएमओ से जवाब आया कि सिर्फ एक अकेला दस्तावेज ही उपलब्ध है। उसे भी पड़ोसी देशों से रिश्ते खराब हो जाने के अंदेशे से सावर्जनिक नहीं किया जा सकता है।
कई सवाल किन्तु जवाब किसी के पास नहीं। लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) के साथ गए उनके आधिकारिक अधिकारीयों को उनसे दूर अकेले में रखा गया। साथ गए कुक को भी अहम मौके पर बदल दिया गया और उसकी जगह स्थानीय कुक दिया गया। शास्त्री जी का परिवार इस बात पर भी नाराज है कि स्थानीय कुक जान मोहम्मद ने उनका खाना क्यों बनाया उनके अपने नौकर रामनाथ ने क्यों नहीं? उनका आवास ताशकंद शहर से 15 किमी दूर रखा गया।उनके कमरे में घंटी, फोन तक नहीं था।
'The Tashkent Files' फिल्म में सवाल उठाया गया है कि लाल बहादुर शास्त्री की मौत सिर्फ इसलिए तो नहीं हुई क्योंकि उनके हाथ ताशकंद में नेताजी की मौत से जुड़ी कोई खबर लग गई थी! देश के इन दो महान नायकों की रहस्यमयी मृत्यु पर आज तक पर्दा पड़ा हुआ है।