उत्तराखंड: सभी पार्टियों के भावी मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुनाव हारे।

भाजपा नेता व राज्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हारे हैं।
भाजपा नेता व राज्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हारे हैं।
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उत्तराखंड में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ही दलों के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अपना विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके हैं। भाजपा नेता व राज्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हारे हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत लालकुआं से चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए गए कर्नल अजय कोठियाल भी इस चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर सके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के भुवन चंद कापड़ी से चुनाव हारे हैं। धामी वर्तमान में उत्तराखंड के सीएम हैं वह अपनी मौजूदा सीट खटीमा से चुनाव लड़ रहे थे। यहां से पिछला चुनाव जीतने के बावजूद इस चुनाव में पुष्कर सिंह धामी लगातार पीछे चल रहे थे और अंत में कांग्रेस उम्मीदवार ने उन्हें चुनाव हरा दिया। बीते पांच वर्षों में धामी उत्तराखंड के तीसरे सीएम थे।

खटीमा से भुवन चंद कापड़ी को 44 हजार 479 वोट मिले जबकि मुख्यमंत्री धामी को केवल 37245 वोट मिल सके कापड़ी ने यहां तक मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए 52 फीसदी वोट हासिल किए और अपनी जीत दर्ज की।

वहीं उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के बड़े हरीश रावत नेता कुमाऊं की लालकुआं सीट से चुनाव हार गए हैं। यहां से बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने जीत दर्ज की है। यहां हुए मुकाबले में हरीश रावत करीब 14 हजार वोटों से हार गए हैं। लाल कुआं विधानसभा में हरीश रावत को 28251 वोट हासिल हुए जबकि उनके प्रतिद्वंदी मोहन सिंह बिष्ट ने 44851 वोट हासिल किए। बिष्ट करीब 53 फीसदी वोट लेकर विजयी रहे हैं। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को केवल 33 प्रतिशत वोट हासिल हुए।

कांग्रेस के चुनाव जीतने की स्थिति में हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा था। हरीश रावत की हार के पीछे एक बड़ा कारण लालकुआं सीट से कांग्रेस की बागी प्रत्याशी संध्या डालाकोटी को भी माना जा रहा है। हरीश रावत से पहले संध्या डालाकोटी को लालकुआं से कांग्रेस का टिकट दिया गया था। हालांकि बाद में कांग्रेस ने यहां से डालाकोटी का टिकट काट कर हरीश रावत को मैदान में उतारा था। इससे नाराज डालाकोटी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में आ गई। डालाकोटी के बागी होने के कारण कांग्रेस के वोट बैंक में खासी सेंध लगी और यह भी एक कारण है कि हरीश रावत को हार का मुंह देखना पड़ा।

हरीश रावत की यह दूसरी बड़ी हार है। पिछले चुनाव में भी हरीश रावत को बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार और किच्छा दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों से ही वह चुनाव हार गए थे।

वहीं उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे कर्नल अजय कोठियाल भी अपनी सीट नहीं बचा सके। वह उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए हैं। यानी उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी तीनों दलों के प्रमुख चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है।

उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कर्नल अजय सिंह कोठियाल केवल 10 फीसदी वोट ही हासिल कर सके उन्हें केवल 5998 वोट मिले हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच रहा और अंत में भाजपा के सुरेशचंद्र चौहान ने गंगोत्री सीट से 28677 वोट हासिल करते हुए अपनी जीत दर्ज की है।

आईएएनएस (SM)

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