
ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का हिन्दू धर्म में अहम महत्व है, उनके आशीष के कारण ही हम विद्या को अर्जित कर सकते हैं। हर साल देश भर में Vasant Panchami पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। किन्तु इस वर्ष कोरोना ने वसंत पञ्चमी 2021 की चकाचौंद पर ग्रहण लगा दिया है। जिस वजह से विभिन्न जगहों पर धूमधाम से मनाए जाने वाली सरस्वती पूजा को स्थगित करना पड़ा है, जिसका कई भक्तों को दुःख है। लेकिन चिंता न करें, भगवान को किसी भी स्थान से पूजा जा सकता है। स्नान-ध्यान के पश्चात पीला वस्त्र एवं पीला तिलक लगा आप माँ सरस्वती की आराधना घर पर भी कर सकते हैं। माँ सरस्वती के मंत्र है:
वद वद वाग्वादिनी स्वाहा॥
ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः॥
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः॥
ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी
वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा॥
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
माँ सरस्वती(Pinterest)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
– सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"