हाथरस के जिस परिवार ने अपनी बेटी को छोटी सी उम्र में हो ही खो दिया, उन्हें यह भरोसा नहीं हो रहा कि क्या उन्हे इंसाफ मिलेगा? क्यूंकि जिस ढंग से उनकी बेटी का दाह-संस्कार किया गया, वह कई सवालों को जन्म देता है और तो और किसी भी मीडिया कर्मी को परिवार से बात न करने देना अपने आप में तानाशाही का एक अनदेखा रूप समझा जा रहा है।
जिस परिवार ने इतनी प्रताड़ना का सामना किया उससे मिलने के लिए एक राजनीतिक घमासान छिड़ी हुई है। हर कोई उस परिवार के हितैषी के रूप में मीडिया के सामने आ रहा है। मगर इसमें किसकी क्या मंशा है सबको साफ़ साफ दिखाई दे रहा है।
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अब तो पीड़ित परिवार ने अपनी बेटी के अस्थियों का विसर्जन करने से ही इंकार कर दिया है क्यूंकि उन्हें शक है जिस पार्थिव शरीर का पुलिस ने दाह संस्कार किया वह उनकी बेटी नहीं है और जब तक इस बात का सबूत नहीं मिलता वह उन अस्थियों को विसर्जित नहीं करेंगे। आपको जानकारी के लिए बता दें कि पीड़िता का अंतिम संस्कार 30 सितंबर को तड़के 3 बजे कर दिया गया था।
उसके भाई ने कहा, "हमको क्या पता कि वो ही हमारी बहन थी। हमने उसका चेहरा भी नहीं देखा। मैंने अस्थियों को मानवता के आधार पर एकत्र किया क्योंकि यह किसी के पार्थिव शरीर का रहा होगा, अगर मेरी बहन की नहीं है।"
उसने कहा, "उन्हें आरोपियों और उन पुलिसकर्मियों पर ये टेस्ट करने चाहिए जो मामले को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।"
19 साल की पीड़िता के दो भाई और दो बहनें हैं और सभी न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं।