कोरोना से मौत के बाद बॉडी में एक्टिव नहीं रहते वायरस : स्टडी

हमें यह भी समझना होगा कि, डरने की बजाय बुद्धि और संयम से काम लिया जाए। (Pixabay)
हमें यह भी समझना होगा कि, डरने की बजाय बुद्धि और संयम से काम लिया जाए। (Pixabay)
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पिछले कुछ महीनों से हमारे देश में फैल रही कोरोनावायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर ने एक अत्यंत विकराल रूप कायम कर रखा है। संक्रमित लोगों की संख्या में भले ही कमी देखी गई हो। लेकिन मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना वायरस के चलते प्रतिदिन 1000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो रही है और ऐसे में कोरोना संक्रमण से मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के प्रति लोगों का रवैया भी बेहद दुखी कर देने वाला है। 

लोगों में संक्रमण का डर इस कदर बैठ चुका है कि, लोग अपने परिजनों के शव तक को लेने से इनकार कर रहे हैं। उन्हें डर है कि, कहीं वह भी कोरोना संक्रमित ना हो जाए। हालात इतने असंवेदनशील हो गए हैं कि, मृतकों के शरीर को ऐसे ही गंगा में या नदियों में बहा दिया जा रहा है। कई जगह मृतकों के शरीर को गड्ढों में फेंक दिया जा रहा है। 

हम सभी जानते हैं, यह स्थिति अत्यंत भयावह है। खुद को भी सुरक्षित रखना है और दूसरों को भी। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि, डरने की बजाय बुद्धि और संयम से काम लिया जाए। लोगों को यह समझना होगा कि, संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे बाद कोरोना नाक और मुंह में सक्रिय नहीं रहता है। ऐसे में अगर पूरी सुरक्षा से PPE किट पहनकर मरने वालों का अंतिम संस्कार सावधानी पूर्वक और नियमानुसार किया जाए तो इसमें कोई खतरा नहीं है। 

लोगों में संक्रमण का डर इस कदर बैठ चुका है कि, लोग अपने परिजनों के शव तक को लेने से इनकार कर रहे हैं। (सोशल मीडिया)

हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में फोरेंसिक प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा है कि, एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे बाद कोरोना वायरस नाक और मुंह में सक्रिय नहीं रहता है। 

डॉ. गुप्ता ने बताया कि, AIIMS के फोरेंसिक विभाग की स्टडी में कोविड मरीजों की मौत के 24 घंटे में लिए गए सैंपल में कोरोना वायरस नहीं पाया गया है। इसलिए आईसीएमआर ने कोविड की वजह से मरने वाले लोगों के शरीर को अंतिम रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करने का मौका दिया जाना चाहिए। 

पिछले एक साल से एम्स में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में कोविड – 19 पॉजिटिव मामलों पर अध्ययन किया जा रहा है। इन मामलों में पोस्टमार्टम किया गया था। डॉ. गुप्ता ने बताया कि लगभग 100 शवों की कोरोनावायरस से मरने के बाद फिर जांच की गई थी। जिसकी रिपोर्ट बाद में नेगेटिव आई थी। 

हालांकि डॉ गुप्ता ने कहा है कि, मौत के कुछ घंटे बाद बॉडी से निकलने वाले आंतरिक तरल पदार्थ को लेकर एहतियात रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा है कि, कोरोना से मरने वाले लोगों की अस्थियां और राख का संग्रह पूरी तरह से सुरक्षित है। क्योंकि अस्थियों से संक्रमण फैलने का कोई डर नहीं है। 

जिस प्रकार स्टडी में बताया गया है और आईसीएमआर (ICMR) की गाइडलाइन में कहा गया है, अगर सही तरीके से बॉडी बैग में है, आपने सभी गाइडलाइन का पालन किया है, तो आपको किसी भी प्रकार से डरने की जरूरत नहीं है। परिजन अपने चहेते को देख सकते हैं। उन्हें ठीक तरीके से अंतिम विदाई दे सकते हैं। 

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