वर्तमान समाज में बढ़ती अनैतिकता के कारण जरूरी है कि रामायण का प्रचार प्रसार हो (Wikimedia commons)
वर्तमान समाज में बढ़ती अनैतिकता के कारण जरूरी है कि रामायण का प्रचार प्रसार हो (Wikimedia commons)

क्या सिखाती है रामायण ?

भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में दीपावली की तैयारी जोर शोर से हो रही है। अगर बात दीपावली की करें, तो रामायण कथा के बिना दीपावली अधूरी है। इसी तर्ज पर आज हम रामायण के कुछ ऐसे पात्रों के बारे में जानेंगे, जिनके जीवन के प्रेरक प्रसंग से आप अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम – रामायण दो शब्दों की संधि से बना है, राम और अयण। अयण का अर्थ यात्रा होता है, अतः रामायण का शाब्दिक अर्थ राम की यात्रा है। इस प्रकार बिना राम भगवान के रामायण की चर्चा नहीं हो सकती। भगवान राम विष्णु भगवान के 10 अवतारों में सातवां अवतार माने जाते हैं। भगवान राम के बारे में कहा जाता है कि मानव रूप में पूजे जाने वाले सबसे पुराने देवता हैं। अगर भगवान राम के गुणों की बारे में बात करें तो शायद शब्द ही खत्म हो जाएंगे। भगवान राम सहनशील एवं धैर्यवान राजा थे उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन एक सन्यासी की तरीके बताया जो उनकी सहनशीलता दर्शाता है। सुग्रीव को राज्य दिला कर भगवान राम ने अपना दयालु स्वभाव संपूर्ण दुनिया को तो दिखाई दिया है। इसके अलावा केवट, सुग्रीव, निषादराज के साथ की मित्रता भला कौन भुला सकता है। आज के युग में सभी नेता राम राज्य की बात करते हैं जिससे हम यह अंदाजा लगा सकते हैं की उनमें एक अच्छा शासक होने का भी गुण विद्यमान था। इसके अलावा चरित्रवान राजा राम के चरित्र की विशेषता यह लोक प्रदर्शित करता है

नाना भांति राम अवतारा।

रामायण सत कोटि अपारा॥

भगवान राम और माता जानकी का प्रेम सदैव के लिए अमर है (Wikimedia commons)

माता जानकी – जिस प्रकार भगवान राम एक आदर्श पुरुष का उदाहरण है उसी प्रकार मां सीता एक आदर्श स्त्री का उदाहरण है। भगवान राम के साथ वनवास जा कर सीता जी ने दुनिया के सामने एक कुशल धर्म संगिनी का उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसके अलावा उनकी तेज व तपस्या का उदाहरण दुनिया ने तब देखा जब पृथ्वी मां, सीता की एक पुकार पर चली आई थी। साथ ही साथ उनकी मातृशक्ति का उदाहरण भी दुनिया ने देखा है जब उन्होंने लव कुश जैसे योद्धाओं को तैयार किया जिन्होंने रघुवंश को गौरवान्वित किया है।

लक्ष्मण जी एवं भरत जी – लक्ष्मण जी और भरत जी रामायण के एक आदर्श पात्र हैं। लक्ष्मण जी भगवान राम के छोटे और सबसे प्रिय भाई थे। लक्ष्मण जी ने दुनिया के सामने एक आदर्श भाई का उदाहरण रखा है। वह अपने भाई की सेवा के लिए निस्वार्थ भाव से भगवान राम के साथ वनवास चले गए थे। तो वहीं दूसरी तरफ भरत जी अयोध्या में सन्यासी की तरह जीवन व्यतीत कर भगवान रामचंद्र जी के मार्गदर्शन में शासन कर रहे थे। भारत जी का भाई राम के प्रति प्रेम इतना विशाल था कि उनके आगे उन्होंने अपनी माता का भी परित्याग कर दिया था।

राम भक्त हनुमान – भक्त एवं भगवान का एक अनोखे रिश्ते को रामायण अच्छी तरह से प्रदर्शित करती है। यह रिश्ता भगवान राम एवं उनके भक्त हनुमान के बीच दिखाया गया है। हनुमान जी ने हमेशा अपने शौर्य का प्रयोग करके राम भगवान एवं उनके भाई लक्ष्मण को सुरक्षित किया है। सीता की खोज के समय हनुमान जी द्वारा रामजी का जिस तरह सहयोग किया वह अप्रतिम है। वर्तमान समय में भी हनुमान जी की भक्ति के गुणगान होता है। हम लोग हनुमान जी के जीवन से एक अच्छा भक्त बनने की प्रेरणा ले सकते हैं।

इन सबके अलावा रामायण में राजा दशरथ, विभीषण जी, नल नील, सुग्रीव ,जामवंत जटायु और भी अधिक ऐसे पात्र हैं जिनके जीवन से हम लोग कुछ ना कुछ सीख सकते हैं जैसे विभीषण जी के जीवन से हम लोग उनके धर्म पर चलने के मार्ग का अनुकरण कर सकते हैं।

अंतता यही कहा जा सकता है कि रामायण हमको धर्म के मार्ग पर चलने वाला, कर्तव्य के पथ का पालन करने वाला तो बनाती ही है साथी एक अच्छा भाई, पति, पत्नी, राजा एवं भक्त कैसे बना जा सकता है यह भी बतलाती है। वर्तमान परिदृश्य में फैली बुराइयों को रोकने का एकमात्र साधन रामायण है क्योंकि आजकल के लोग ना तो धर्म के प्रति सजग हैं ना ही चरित्र प्रवृत्ति।

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