क्या है “Shadow Cabinet India”?

आज हमें एक ऐसे शासन की जरूरत है जो पारदर्शी और जवाबदेह हो।
आज हमें एक ऐसे शासन की जरूरत है जो पारदर्शी और जवाबदेह हो।
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अंग्रेजों के चंगुल से आजादी के 7 दशक बाद भी आज हमारा देश ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहां इस डगमगाई व्यवस्था को बदलने के लिए केवल वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) से मदद नहीं मिलेगी। देश को दुनिया के नक्शे पर लाने के लिए हमें आमूलचूल परिवर्तन (Overhaul of the system) की जरूरत है। जंग खाई व्यवस्था को हमें बदलना है।

हमें हमेशा इस वहम में रखा जाता है कि हमारे देश का लोकतंत्र सबसे अच्छा है, क्योंकि हम चुनाव को त्यौहार की तरह मनाते हैं और इसके लिए नेता हमारी प्रशंसा भी करते हैं, लेकिन असलियत में नेतागण चाहते हैं की आम जनता की भागीदारी लोकतंत्र में जितनी कम हो उतना अच्छा है। इस प्रकार का लोकतंत्र उन्हें बहुत रास आता है। लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना है कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार, जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होना चाहती है। सही मायनों में आज हमें एक ऐसे शासन की जरूरत है जो पारदर्शी और जवाबदेह हो।

ऐसे ही पारदर्शी और जवाबदेह शासन का विकल्प है "Shadow Cabinet India" या छाया मंत्रिमंडल

क्या है "Shadow Cabinet India"

Shadow Cabinet India (छाया मंत्रिमंडल) एक राजनीतिक मंच है, जो डिजिटल माध्यम से सरकार की नीतियों और उनके कार्यों के प्रति जनता को जागरूक करती है। देश में चुनावी सुधारों से लेकर अन्य सभी प्रकार के सुधारों के लिए कार्यरत है। यह जनता द्वारा शासित मंच है। इस परियोजना को अन्ना जी से प्रेरित व उनके आशीर्वाद से, डॉ. मुनीश रायजादा व उनकी सदस्यीय टीम के द्वारा 1 जनवरी 2022 को शुरू किया गया। आज हमारे देश के पास यह काबिलियत है कि हम अन्तराष्ट्रिय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं परंतु आंतरिक स्तर पर हमारा सिस्टम देश को कमजोर कर रहा है। लोकतंत्र के सही अर्थ को स्थापित करने के लिए और टूटे हुए सिस्टम से निजात पाने के लिए हमें एक आमूलचूल परिवर्तन की ज़रूरत है।

भारत में छाया मंत्रिमंडल का इतिहास

पहले भी नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं या स्वयं विपक्षी दलों द्वारा छाया सरकारें स्थापित करने के कुछ प्रयास किए गए हैं। केरल में, यह नागरिक समाज का मंडल बनाया गया था। गुजरात में कांग्रेस थी और महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा का गठबंधन था। ये प्रयास या तो कुछ ठोस करने में सक्षम नहीं हुए हैं या मीडिया रिपोर्टों में इसके बारे में जानकारियाँ मिली नहीं। हाल ही में यह भी बताया गया है कि भाजपा, दिल्ली इकाई केजरीवाल सरकार के कामकाज को "ट्रैक और मॉनिटर" करने के लिए एक छाया कैबिनेट बनाने के विचार की खोज कर रही है।

2005 में, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के नेतृत्व वाली कांग्रेस-राष्ट्रवादी, कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सरकार का मुकाबला करने के लिए महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा और शिवसेना द्वारा एक छाया कैबिनेट का गठन किया गया था। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने 2014 में मध्य प्रदेश में एक छाया कैबिनेट भी बनाया था।

2015 में, गोवा के तटीय राज्य में एक छाया कैबिनेट का गठन किया गया था। हालाँकि, इसका गठन विपक्ष द्वारा नहीं, बल्कि एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा किया गया था।

सबसे ताजा उदाहरण केरल से आया है जहां अप्रैल 2018 में नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की नीतियों का विश्लेषण करने के लिए एक छाया कैबिनेट का गठन किया गया था। सदस्यों में सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे, विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के सदस्य नहीं।

छाया मंत्रिमंडल को लेकर हमारा एजेंडा क्या है

1. राजनीतिक पार्टियां आरटीआई (Right To Information) के तहत आनी चाहिए।

सूचना का अधिकार (RTI) भारत की संसद का एक अधिनियम है जो नागरिकों के सूचना के अधिकार से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। राजनीतिक पार्टियों को इसके अधीन लाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ये हम ही हैं जो इन्हे चुनाव के समय वोट देते हैं, इससे हमारे लिए ये जानना भी ज़रूरी हो जाता है पार्टी के अंदर कौन सी चीज़ किस तरह आ रही है। आज राजनीतिक दल संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे हैं और लोकतंत्र के नाम पर, जो हम देख रहे हैं वह सिर्फ 'पार्टी-बाजी' है। क्यों राजनीतिक दल RTI के तहत आने से घबराते हैं? इसका जवाब है कि RTI के अन्तर्गत आने से इनकी काले धन की राजनीति जनता के सामने आ जाएगी। Electoral Bond के माध्यम से मंदिर माने जाने वाले संसद में काले धन को बढ़ावा दिया जाता है, इसे खत्म करने की आवश्यकता है। जिस जनता ने सरकार को गद्दी पर बिठाया है, उसे सरकार के सवाल जवाब करने का पूरा अधिकार है। इसलिए राजनीतिक दलों को RTI के तहत आना चाहिए है, अपनी जवाबदेही कायम करनी चाहिए।

2. राजनीतिक चंदे को पारदर्शी बनाया जाए।

राजनीतिक चंदे को पारदर्शी बनाने की इसलिए ज़रूरत है क्योंकि आज के समय में भारत में राजनीतिक पार्टियों को भारत में कहाँ-कहाँ से वित्तीय सहायता मिल रही है ये जानना हम सभी भारतीयों के लिए ज़रूरी है। बड़ी संख्या में भारत के नागरिकों द्वारा टैक्स दिया जाता है और जब – जब सरकार को जरूरत पड़ती है, जनता वित्तीय रूप से भी सरकार की मदद करती है। तो ऐसे में जनता को पता होना चाहिए की सरकार चंदे का कहाँ प्रयोग कर रही है। इसलिए राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता का बने रहना जरूरी है।

हमारा उद्देश्य क्या है ?

छाया मंत्रिमंडल के पीछे हमारा उद्देश्य साफ़ है कि इस डगमगाई व्यवस्था को बदलने के लिए केवल वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) से मदद नहीं मिलेगी। देश को दुनिया के नक्शे पर लाने के लिए हमें आमूलचूल परिवर्तन (Overhaul of the system) की जरूरत है। हम एक ऐसी व्यवस्था की स्थापना करने का प्रयास करना चाहते हैं, जो पारदर्शी और जवाबदेह हो। हम लोकतंत्र को उन्नत बनाना चाहते हैं।

आजादी का स्वर्णिम महोत्सव : Time to get 2nd Azaadi to achieve Upgraded Democracy.

Shadow Cabinet website: https://www.shadowcabinet.org/

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Email Id: mail@shadowcabinet.org
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