तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) यह नाम हम लोगों ने कोरोना काल(Covid Period) के समय में सुना था, कारण था दिल्ली(Delhi) में कोरोना का फैलना। लेकिन एक बार फिर से तबलीगी जमात सोशल मीडिया के हैश टैग से लेकर मीडिया की सुर्खियों तक में बना हुआ है। अबकी बार ऐसा इसलिए है क्योंकि तबलीगी जमात पर कई देशों में प्रतिबंध लगा दिया है। अब इन देशों में इस्लामिक देश सऊदी अरब(saudi arabia) भी शामिल हो गया है। इसके लिए कारण यह दिया गया है कि तबलीगी जमात की विचारधारा कट्टरपंथी है और यह आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देती है।
क्या है तबलीगी जमात?
तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) की शुरुआत देवबंदी इस्लामी मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के तौर पर साल 1926 में हरियाणा(Hariyana) के मेवात जिले में मानी जाती है। कांधलवी ने सबसे पहले मेवाती मुसलमानों को इस्लामी मान्यताओं और प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने के लिए मस्जिद-आधारित धार्मिक स्कूल शुरू किए। वे गैर मुसलमानों को भी कुरान में निहित इस्लामी तालीम देने के समर्थक है। जमात(Tablighi Jamaat) से जुड़े लोगों का उद्देश्य होता है कि वे इस्लाम(Islam) के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करें।
साथ ही साथ यह माना जाता है कि साल 1947 में भारत-पकिस्तान के विभाजन के बाद यह और मजबूत हुआ है। पकिस्तान(Pakistan) और बांग्लादेश(Bangladesh) में बड़ी संख्या में लोग जमात(Tablighi Jamaat) से जुड़े है। वर्तमान में तबलीगी जमात की सबसे बड़ी विंग बांग्लादेश में ही है। दुनिया भर में तबलीगी जमात से लगभग 35 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। इनमें से 25 करोड़ लोग दक्षिण एशियाई देशों में ही रह रहे है।
तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) हर साल दुनियाभर के कई देशों में मरकज का आयोजन करती है। भारत(India) में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, मुंबई के नेरुल और दिल्ली के निजामुद्दीन तबलीगी जमात का मरकज लगता है। इसके अलावा ब्रिटेन(Britain) के वेस्ट यॉर्कशायर के ड्यूजबरी, बांग्लादेश(Bangladesh) की राजधानी ढाका और पाकिस्तान(Pakistan) के लाहौर के पास स्थित रायविंड शहर में हर साल मरकज का आयोजन किया जाता है।
क्या है तबलीगी जमात की वास्तविकता?
तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) इस्लामिक(Islamic) शिक्षा के प्रचार प्रसार का नाम लेकर धर्मांतरण से लेकर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देने तक का काम करता है। इसका वास्तविक उद्देश्य यह होता है कि भारतीय मुसलमानों को इस्लामिक, कट्टरवाद की तरफ ले जाना ताकि कोई बाहरी विचारधारा ना आ सके। एक घर में आठ-आठ या उससे भी ज्यादा बच्चे होना भी तबलीगी जमात के जिहाद का हिस्सा है। ताकि मुस्लिम आबादी बढ़ सके जिससे भारतीय राजनीति पर शिकंजा कसा जाए। जिस कारण इसे राजनैतिक जिहाद कहना गलत नहीं होगा।
धर्म परिवर्तन भी तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) के जिहाद का हिस्सा है, पहले यह सिलसिला भारत(India) में शुरू हुआ तबलीगी जमात के हर तबलीगी का काम है, की वह गेर इस्लामिक व्यक्ति को इस्लाम के बारे में बताए जिसे वह "दावत" कहते हैं। यह हर जमाती में भरा जाता है, आज के वक़्त में यही धर्म परिवर्तन पूरी दुनिया में चल रहा है। इन सब घटनाओं के कारण कई देशों ने तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इन देशों में प्रतिबंधित है तबलीगी जमात?
अपको बता दें, तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) के मरकज से दुनिया के 150 देशों से ज्यादा जमातें इस्लाम(Islam) के प्रचार-प्रसार के लिए जाती हैं। सऊदी अरब(saudi arabia) जहां से इस्लाम की शुरुआत हुई, वहीं पर तबलीगी जमात पूरी तरह बैन है। इसके अलावा ईरान(Iran) में भी इन्हें इस्लाम के प्रचार-प्रसार करने की इजाजत नहीं है। मध्य एशियाई देशों उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान ने तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगा रखा है।
इन देशों की सरकारें तबलीगी जमात को एक चरमपंथी गुट के रूप में देखती हैं। लेकिन गौर करने वाली बात सऊदी अरब सरकार(saudi arabia)की है। सऊदी अरब सरकार ने बाकायदा एक लिखित पत्र निकाल कर तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाया है जिसमें कहा गया है कि यह संगठन कट्टरपंथी और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। इसके बाद से भारत(India) ने भी तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) पर प्रतिबंध करने की मांग जोर-शोर से उठने लगी है। विश्व हिंदू परिषद(VHP) ने एक प्रेस रिलीज निकाल कर सरकार से आग्रह किया है कि वह भी तबलीगी जमात पर बैन लगा दे।
कौन करता है तबलीगी जमात का नेतृत्व?
अब आप लोग सोच रहे होंगे इस तबलीगी जमात(Tablighi Jamaat) को चलाता कौन होगा? दरअसल, तबलीगी जमात के अगुआ को अमीर कहा जाता है, जिसका चुनाव आलमी इज्तामा करती हैं। आलमी इज्तामा जमात से जुड़े महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय लोगों का ग्रुप है। जो जमात से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों का निपटान भी करता है और आलमी इज्तामा के तौर पर अपने अमीर का चुनाव भी करता है।
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हालांकि जमात(Tablighi Jamaat) के तीसरे अमीर (1965-95) मौलाना इनामुल हसन कांधलवी की मौत के बाद 'अमीर' के पद को समाप्त कर दिया गया था। अब तबलीगी जमात की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार परिषद 'आलमी शूरा' अपने अगुआ का चुनाव करती है। वर्तमान में मौलाना साद( Sadh) तबलीगी जमात के अगुआ के रूप में सामने आते हैं, जो कि जमात के संस्थापक मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी के परपोते हैं।
Input: Various Source; Edited By: Lakshya Gupta