राजतिलक हुआ अब करो Uniform Civil Code की तैयारी!

शाहबानो केस से उठी UCC की मांग! (Canva)
शाहबानो केस से उठी UCC की मांग! (Canva)
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सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी जिन मुद्दों पर हमेशा चुनाव लड़ती है उनमें से धारा 370 एवं राम मंदिर जैसे मुद्दो का समाधान हो चुका है। जिसके बाद से बीजेपी का अगला लक्ष्य UCC यानी सामान्य नागरिक संहिता को माना जा रहा है। आपको बता दें भगवा ब्रिगेड के कई नेताओं के पिछले बयान से समझ आ रहा है कि बीजेपी नेताओं की रडार में अब UCC है। आखिर क्या है यूसीसी? UCC पर क्या बोला AIMPLB ? जानिये UCC से जुड़े सभी प्रश्नों के जवाब-

क्या है सामान्य नागरिक संहिता यानि UCC (Uniform Civil Code)?

वर्तमान में देश के सभी धर्मों के लिए पर्सनल लॉ मौजूद हैं जिसमें शादी, तलाक, गोद लेने, गुजारा भत्ता पर अलग-अलग नियम हैं। इसी लिए देश में सभी धर्मों के लिए समान कानून का निर्माण करने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की जरूरत बताई जाती है। UCC का आशय नागरिकों के लिए समान कानून तैयार करने और उसे कार्यान्वित करने से है, जिसमें कोई धार्मिक आधार ना हो।

शाहबानो केस से उठी UCC की मांग!

माना जाता है कि देश के सबसे चर्चित केस में से एक शाह बानो केस से ही UCC की मांग उठी थी। दरअसल मुस्लिम महिला शाह बानो की शादी मोहम्मद अहमद खान से हुई थी। 14 साल बाद खान ने दूसरी शादी कर ली, फिर कुछ वक्त तक दोनों पत्नियों को साथ रखने के बाद खान ने शाह बानो को तलाक दे दिया, इनके 5 बच्चे थे।  उस वक्त शाह बानो 62 साल की थीं।

खान ने बानो को हर महीने 200 रुपये देने का वादा किया था लेकिन 1978 में उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया।  शाह बानो ने खान के खिलाफ केस किया और अपने बच्चों को पालने के लिए 500 रुपये प्रति महीने की मांग की। खान ने अपने बचाव में कहा कि पैसे देना उनकी जिम्मेदारी नहीं है क्योंकि अब वह पति-पत्नी नहीं हैं।  दूसरी शादी के पक्ष में इस्लामिक कानून का हवाला देकर उसे जायज बताया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। वहां फैसला खान के खिलाफ सुनाया गया और कहा कि उन्हें सेक्शन 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को पैसा देना होगा, जिसे गुजारा भत्ता माना जा सकता है तब यहां कोर्ट ने एक कॉमन सिविल कोड की पैरवी की थी।

अल्पसंख्यक विरोधी और संविधान विरोधी हैं UCC-AIMPLB

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने UCC से संबंधित  एक विरोध पत्र जारी किया। रहमानी ने कहा कि उत्तराखंड, यूपी सरकार या केंद्र सरकार की ओर से UCC का राग अलापना गैर-जरूरी बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं है। देश में हर इंसान जानता है कि इन बयानबाजी का मकसद बढ़ती हुई महंगाई, गिरती हुई अर्थव्यस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना और घृणा के एजेंडे को बढ़ावा देना है। यह अल्पसंख्यक विरोधी और संविधान विरोधी कदम है।

तो UCC (Uniform Civil Code) लाने की तैयारी!

भाजपा नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने UCC के संबंध में एक ऐसा बयान दिया जिसके बाद से राजनीतिक जगत में भूचाल आ गया है।  उन्होंने कहा कि CAA, अनुच्छेद 370, राम मंदिर और तीन तलाक के बाद अब समान नागरिक संहिता की बारी है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागिरक संहिता कानून लागू किया जाएगा। इसके अलावा विधनसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि भाजपा सत्ता में लौटती है तो राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया जाएगा। आपको बता दें, सरकार बनने के बाद UCC पर काम करना भी जारी हो गया है।

साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद ने भी हाल ही में कहा था कि उप.सरकार भी UCC पर विचार कर रही है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार सहित कई भाजपा शासित राज्यों की सरकार भी UCC पर विचार रही है।

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