भारत में क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो बच्चे, बूढ़े, जवान, हर वर्ग को गर्मजोशी से भर देता है। युवाओं में क्रिकेट के लिए दीवानगी सीमाओं से परे है। कई लोग क्रिकेटर्स को अपना रोल मॉडल मानते हैं तो कई लड़कियां उनकी दीवानी हो जाती हैं। यही दीवानापन कब प्रेम की चादर ओढ़ ले, कहना मुश्किल है।
ऐसा कई बार हुआ जब विदेशी खिलाड़ी भारतीय मैदान पर मैच खेलने उतरे और कोई भारतीय महिला उनके दिल का विकेट गिरा गई। इस लेख में आपको कुछ ऐसी ही प्रेम कहानियों का ज़िक्र मिलेगा, जिसे पढ़ कर आप जरूर मुस्कुराएंगे।
आज धर्म परिवर्तन के नाम पर देश में मामला गर्म पड़ता दिखाई दे रहा है। लेकिन 80 के दशक में एक ऐसी लड़की भी रही जिसने शादी के बाद दूसरा धर्म कबूल लिया।
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर जहीर अब्बास (Zaheer Abbas) को रीता लूथरा (Rita Luthra) से पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। इन दोनों की पहली मुलाक़ात इंग्लैंड में हुई थी। रीता लूथरा वहां पढ़ाई के मक़सद से थीं और जहीर इंग्लैंड में मैच खेलने पहुंचे हुए थे। नज़रें मिली, फिर उस प्यार को 1988 में दोनों ने शादी के बंधन में बाँध दिया। रीता के साथ अपनी नयी यात्रा शुरू करने के लिए जहीर अब्बास ने अपनी पहली पत्नी नसरीन को तलाक दे कर उनसे किनारा कर लिया था। शादी के बाद धर्म परिवर्तन की वजह से रीता लूथरा का नाम समीना अब्बास हो गया।
इन दोनों से जुड़ी एक रोचक बात यह भी है कि दोनों के पिता एक दूसरे को भारत-पकिस्तान के बंटवारे से पहले से जानते थे। और जब बच्चों के प्रेम ने इन बिछड़े दोस्तों को फिर मिलाया तो उनकी ख़ुशी ने इस शादी के लिए हामी भर दी। इसे समय की साजिश कहें या कोई संयोग।
प्रेम को पाने के लिए प्रेमी अक्सर किसी भी बला को सिर पर लाद लेते हैं। किस्से कहानियों में प्रेम के आँगन में लोगों ने अपनी जान तक दे दी। मगर यहाँ मामला जान देने का नहीं था। पर हाँ, मशहूर बिज़नेस मैन गौतम साराभाई की बेटी माना साराभाई (Mana Sarabhai) से शादी करने के लिए इंग्लैंड टीम के पूर्व दिग्गज कप्तान माइकल बेअर्ली (Mike Brearley) ने गुजराती भाषा अवश्य सीखी। गुजराती सीखने में उन्हें चार साल लग गए। पर बेटी के पिता की तो यही शर्त थी कि उन्हें अपना दामाद भारतीय संस्कारों वाला चाहिए।
माना साराभाई और उनके पति माइकल बेअर्ली। (Facebook)
फिर क्या था, माइकल बेअर्ली ने ठान ली और भारतीय संस्कारों से इस क़दर जुड़ गए कि अब लोग उन्हें विदेशी कम और भारतीय ज़्यादा समझने लगे हैं।
माना साराभाई और माइकल बेअर्ली के बीच प्रेम प्रसंग 1976 में शुरू हुआ था। उस समय इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर थी।
पेरिस की गलियों में इज़हार-ए-इश्क़ और शादी के बाद अपनी पत्नी और परिवार को पूरा समय देना ; यह सुन कर जीवन कितना सुन्दर महसूस होता है। और अगर मैं आपको यह कहूं कि यह सिर्फ कोई काल्पनिक इच्छा नहीं बल्कि हक़ीक़त है, तो ? जी हाँ, ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज़ शॉन टेट (Shaun Tait) ने साल 2013 में मशहूर मॉडल माशूम सिंघा (Mashoom Singha) को पेरिस में ही शादी के लिए प्रपोज किया था। जिसके बाद 2014 में दोनों ने मुंबई में एक दूसरे से जीवन भर के साथ का वादा कर दिया।
माशूम सिंघा और शॉन टेट। (Facebook)
2010 में हो रहे आईपीएल के दौरान शॉन टेट भारत में ही थे। उस समय शॉन राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेल रहे थे। वहीं एक नाईट पार्टी में उनकी नज़र माशूम सिंघा पर गयी। वहां से दोनों के बीच बातों का सिलसिला धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और आखिरकार 4 साल बाद 2014 में शादी के रूप में निखर गया।
शॉन टेट ने 2016 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। इसके बाद उन्होंने प्रवासी भारतीय पासपोर्ट भी प्राप्त कर लिया। शादी के बाद माशूम सिंघा ने अपना मॉडलिंग करियर ऑस्ट्रेलिया में जारी रखा और अब इन दोनों की एक बेटी भी है।
शायद ही कोई होगा जो पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शोएब मलिक (Shoaib Malik) और भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा (Sania Mirza) के बारे में ना जानता हो। 2010 में इन दोनों की शादी दो देशों के बीच समझौता करने जैसी प्रतीत हो रही थी। इन दोनों के निजी फैसले पर, दोनों के फैंस काफी नाराज़ हुए थे। जिसकी वजह से दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
कहते हैं कि इश्क़ दरिया है; शायद उसी दरिया में इन दोनों की नौका संघर्ष कर रही थी। फिर भी दोनों हमेशा एक साथ खड़े दिखे।
शोएब मलिक और सानिया मिर्जा। (Wikimedia Commons)
गौरतलब है कि शादी से एक महीने पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने शोएब मलिक को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से एक साल के लिए बैन कर दिया था। और शोएब मलिक ने अपनी पहली बीवी आयशा सिद्दीकी से भी तलाक ले लिया था। सानिया की ज़िन्दगी में भी हलचल थी। अपने बचपन के दोस्त और मंगेतर सोहराब मिर्जा के साथ उनके रिश्ते पर पूर्ण विराम लग गया था। इसके बाद सानिया मिर्जा और शोएब मलिक एक दूसरे का सहारा बने और आज भी सुख-दुख में साथ हैं।
सच में, प्रेम कोई व्यापार नहीं कि उसे मुनाफे और नुकसान के तराजू में तौला जाए। ना इसे सरहद की सीमाएं समेट पाती हैं, ना आसमान की बुलंदी।
कहने को हिंदी सिनेमा की काबिल अभिनेत्री नीना गुप्ता (Neena Gupta) और वेस्टइंडीज के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज़ विवियन रिचर्ड्स (Vivian Richards) के रिश्ते ने शादी की सीढ़ियां तो नहीं चढ़ी पर इन दोनों से जुड़ी बातें आपको सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि आखिर प्रेम क्या है?
नीना गुप्ता और विवियन रिचर्ड्स का मिलना कब और कहाँ हुआ, इससे कहीं ज़्यादा ज़रूरी यह जानना है कि आखिर इनके रिश्ते के बीच ऐसा क्या है जो आज भी इनकी बात की जाती है। पहले इन दोनों का रिश्ता चर्चा का विषय नहीं था। इन दोनों के बीच नज़दीकियां तब बढ़ रही थीं जब विवियन और उनकी पत्नी मरियम के मध्य खटास आने लगी थी।
नीना गुप्ता, उनकी बेटी मसाबा और विवियन रिचर्ड्स। (Facebook)
लोगों का कहना है कि नीना और विवियन सबसे बचते बचाते मिला करते थे। अभी तक बात बाज़ार में नहीं आई थी। पर जब अविवाहित नीना गुप्ता ने अपनी बेटी मसाबा को जन्म दिया तो यहाँ से मामला सुर्ख़ियों में आने लगा। लोगों को पता चल गया कि मसाबा के पिता विवियन ही हैं। विवियन रिचर्ड्स भी इस बात से पीछे नहीं हटे। मगर नीना ने अपनी बेटी मसाबा को अकेले ही पाला। भारत में इस अकेली औरत ने एक बच्ची को बड़ा भी किया और उसे अपने पिता से अनभिज्ञ भी ना रखा।
मसाबा और विवियन के रिश्ते सामान्य हैं। विवियन रिचर्ड्स अपनी पत्नी मरियम से कभी अलग नहीं हुए। नीना ने भी 2008 में एक बिज़नेस मैन विवेक मेहरा से शादी कर ली। नीना गुप्ता का कहना है कि उन्हें पहली बार प्रेम का एहसास तब हुआ जब उनकी गोद में उनकी बेटी मसाबा थी। उन्होंने यह भी दवा किया था कि उनके और विवियन रिचर्ड्स के बीच कभी कोई इमोशनल एंगल रहा ही नहीं।
अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए – Abbyshek Chandra: Love Is The Most Strongest Emotion That Affects Deeply
इन हस्तियों के अलावा भी ऐसे कई विदेशी क्रिकेटर्स हैं जिन्होंने भारतीय मूल की महिलाओं से शादी की है। उदाहरण के तौर पर; श्रीलंका के ऑफ़ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन और चेन्नई की मधिमलार रामामूर्ति, न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर ग्लेन टर्नर और सुखी टर्नर। इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल और भारतीय मूल की महिला विनी रमण ने भी शादी का ऐलान कर दिया है।
यानी प्रेम ना रंग – रूप का मोहताज है, ना धर्म का मुलाजिम। ना इसे सरहद की सीमाएं समेट पाती हैं, ना आसमान की बुलंदी। फिर प्रेम की व्याख्या कर, ना तो मैं स्वयं के लेखन कौशल को छोटा महसूस कराना चाहता हूँ और ना ही प्रेम को चंद शब्दों की बेड़ियों में बाँध कर बूढ़ा कर देना चाहता हूँ।