20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज कहाँ होगा खर्च, संक्षेप में जानिए

Nirmala Sitharaman, Finance Minister(Image Source: Wikimedia Commons)
Nirmala Sitharaman, Finance Minister(Image Source: Wikimedia Commons)

12 तारीख की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के कारण डूबती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20,00,000 करोड़ के एक बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी।
इस पैकेज के आवंटन पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने प्रैस कॉन्फ़्रेंस के ज़रिया आज विस्तार मे जानकारी दी है। उस प्रैस कॉन्फ्रेंस के मुख्य बिन्दु पर डालिए एक नज़र- 

– 41 करोड़ खाता धारकों को सीधे बैंक खातों में मदद राशि पहुँचाई गयी है। 

-ग़रीबों को अनाज और दालें बांटी गयी है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं था, उन्हे भी मदद पहुँचाई गयी है।

-भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद को केंद्र मे रख कर इस पैकेज का निर्माण किया गया है।  

– इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गयी है। 

– करदाताओं को टीडीएस कटौती पर 25 प्रतिशत की राहत दी गयी है। इस स्कीम को 31 मार्च 2021 तक जारी रखा जाएगा। 

-सरकार अब अगस्त तक कंपनी और कर्मचारियों की तरफ से 12% की दर से रकम, ईपीएफ़ओ(एम्प्लोयी प्रोविडेंट फ़ंड) में जमा करेगी। हालांकि बीते तीन महीने से भी इस रकम को सरकार द्वारा ही जमा किया जा रहा था। इस स्कीम का फायदा सिर्फ वही कंपनियां ले सकती हैं जिनके पास कर्मचारियों की संख्या 100 से कम हो। आपको बता दें की उन कर्मचारियों में 90 प्रतिशत कर्मचारी की तंख्वाह 15,000 से कम होगी तभी इस स्कीम का लाभ लिया जा पाएगा। 

– अब एमएसएमई उद्योगों की निवेश सीमा को बढ़ा दिया गया है। 1 करोड़ निवेश और 10 करोड़ के सालाना टर्नओवर वाले उद्योग को सूक्ष्म(माइक्रो) उद्योग की श्रेणी मे रखा गया है, तो वहीं 10 करोड़ निवेश और 50 करोड़ सालाना टर्नओवर वाले उद्योग, लघु(स्माल) उद्योग की श्रेणी मे आएँगे। इसके साथ साथ 20 करोड़ निवेश और 100 करोड़ सालाना टर्नओवर वालों को मध्यम(मीडियम) उद्योग की श्रेणी मे रखा गया है। 

-एमएसएमई उद्योगों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की राशि, ऋण के रूप में दी जाएगी। इस ऋण के बदले में किसी भी तरह की गारंटी देने की ज़रूरत नहीं होगी। इसके साथ साथ अगले 1 साल तक किश्त मे राहत दी जाएगी। 

– निर्माण के क्षेत्र मे चल रहे काम को पूरा करने की अवधि 6 महीने तक बढ़ा दी गयी है। 

-अब 200 करोड़ तक के सरकारी टेंडेरों में बाहरी कंपनियां भाग नहीं ले पाएँगी। 

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