सफूरा जरगर जामिया मिलिया इसलामिया यूनिवर्सिटी में एमफ़िल की छात्रा होने के साथ जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी की मीडिया कोर्डिनेटर भी है। 23 फरवरी को दिल्ली में हुए दंगों के आरोपियों में एक नाम सफूरा जरगर का भी है। सफूरा को दिल्ली पुलिस द्वारा 10 अप्रैल को UAPA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। 27 वर्षीय जामिया छात्रा पर देशद्रोह, हत्या, हत्या की कोशिश, धार्मिक उन्माद फैलाने जैसे कई गंभीर आरोप हैं।
आपको बता दें की पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा पीछले साल लाये गए नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ एक गुट ने देश भर में जम कर हंगामा किया था। इस प्रदर्शन ने देखते ही देखते भयानक और हिंसक रूप ले लिया था, जिसका परिणाम 23 फरवरी को दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में देखा जा सकता है। इस दंगे में 53 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
ऐसे कई वीडियो सामने आये जिसमे हिन्दुओ की गाड़ियों पर लगे भगवान के स्टीकर की पहचान कर उसे आग के हवाले कर दिया गया था। उन गाड़ियों के मालिक को भी बेहरमी से पीटे जाने का वीडियो सामने आया। आपको याद होगा की आईबी अफसर अंकित शर्मा को सैकड़ों बार चाकुओं से गोदने के बाद किस तरह उनके शरीर को नाले में फेंक दिये जाने की बात सामने आई थी। ऐसी कई घटनाओं का गवाह बना था दिल्ली का ये हिन्दू विरोधी दंगा। हालांकि हिंदुओं के खिलाफ ऐसी घटनाओं के सामने आने के बाद भी इसे हिंदुओं द्वारा कराया गया मुस्लिम विरोधी दंगा साबित करने की कोशिश की गयी थी।
सफूरा जरगर पर 22-23 फरवरी को जफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे लोगों को इकट्ठा करने के अलावा उन्हें उकसाने और धार्मिक उन्माद पैदा करने का इलाज़म लगाया गया है। सफूरा के साथ जामिया की मीरन हैदर और पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद पर भी UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है। पूर्व जेएनयू छात्र और कम्युनिस्ट नेता कन्हैया कुमार के शागिर्द रह चुके उमर खालिद पर पहले से ही आतंकी अफ़ज़ल गुरु के समर्थन में नारे लगाने का आरोप है।
सफूरा जरगर की गिरफ्तारी के बाद जब से उसके गर्भवती होने की बात सामने आयी है, तबसे सोशल मीडिया का एक धड़ा सफूरा की रोती हुई तस्वीर को साझा कर सहानुभूति बटोरने की कोशिश में लगा हुआ है। वामपंथी पत्रकार और नेताओं द्वारा उसके गर्भावस्था को बंदूक बना कर सकरार पर चलाने की कोशिश की जा रही है।
इस बात को भूला नहीं जाना चाहिए की सफूरा ज़ारगर पर दिल्ली दंगों को भड़काने से लेकर कई गंभीर मामले दर्ज हैं। गर्भवती होने के आधार पर किसी भी संदिग्ध अपराधी को छोड़ देने की मांग बेतुकी और बचकानी है। किसी भी महिला का गर्भवती होना उसके बेकसूर होने का सबूत कैसे हो सकता है?
हालांकि, विपक्षी वामपंथी मीडिया द्वारा फिर से एक संदिग्ध अपराधी को बिना जाँच के बेकसूर साबित करने की मुहिम चलाई जा रही है। संदिग्ध अपराधी के मुस्लिम होने के कारण मीडिया का एक धड़ा लगातार हवा बनाने की कोशिश कर रहा है की सफूरा पर होने वाली कार्यवाही सरकार के मुस्लिम विरोधी एजेंडे का हिस्सा है। सोशल मीडया पर भी सफूरा की गर्भावस्था को बन्दूक बना कर सहानुभूति हासिल करने के साथ मोदी सरकार को हैवान बताने की कोशिश लगातार की जा रही है।
'इंडियन एक्सप्रेस' में छपा एक पूरा आर्टिकल सफूरा के गर्भावस्था पर समर्पित है, तो वहीं अलजज़ीरा लिखता है की, किस तरह रमज़ान का पहला दिन उसे तिहार जेल में काटना पड़ रहा है। सहुनभूति हासिल करने के इसी क्रम में आज ट्वीटर पर #सफूरा_जरगर_मेरी_बहन_है का ट्रेंड भी चलाया गया था।
आपको बता दें की सफूरा के गर्भावस्था और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जेल में डॉक्टर की व्यवस्था मुहैया करा दी गयी है।
"कानून को अपराधी का अपराध दिखता है, उसका धर्म और उससे जुड़ी अन्य बातें बेफिजूल है।"