क्यों असंभव है Mount Kailash की चोटी तक पहुँचना?

क्यों असंभव है Mount Kailash की चोटी तक पहुँचना?
Published on
3 min read

कैलाश पर्वत पर कौन वास करते हैं यह हम सबको पता है, किन्तु क्यों कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करना असंभव का काम यह बात कभी सोची है। कहानियों में यह सुना जाता है कि एक रहस्यमय तिब्बती सिद्ध पुरुष और कवि जिसका नाम मिलारेपा था, वह एकमात्र इंसान थे जो Mount Kailash की चोटी पर चढ़ने में सक्षम थे और यह कहानी भी 900 साल पुरानी मानी जाती है। मिलारेपा के अतिरिक्त आज तक कोई भी Mount Kailash की मुख्य चोटी तक नहीं पहुँच पाया है।

क्या हमने कभी सोचा है की ऐसा कौन सा रहस्य है जो इस पर्वत पर चढ़ने से रोक रहा, क्या यह शारीरिक विफलता या अक्षमता के कारण है, या कोई ऐसा रहस्य भी है जो मानव चिंतन से परे है? आइए कैलाश पर्वत के कुछ ऐसे तथ्य जानते हैं जिस से कुछ हद तक इन प्रश्नों के उत्तर ढूढ़ने में सरलता होगी।

  • Mt. Everest 8848 मीटर (29029 फीट) की ऊंचाई पर है और इसके शिखर को 4,000 से अधिक लोगों द्वारा बढ़ाया गया है, जबकि Mount Kailash 6638 मीटर (21778 फीट) है और कोई भी इस पर्वत को पूरा फतह नहीं कर पाया है।
  • हिन्दू, जैन, बौद्ध एवं Bon यह 4 प्रमुख धर्म हैं जो मानते हैं कि कैलाश पर्वत एक पवित्र स्थान है।
  • प्राचीन तिब्बती किवदंतियों और लेखों के अनुसार, "किसी भी नश्वर को कभी भी कैलाश पर्वत पर चलने की अनुमति नहीं दी जाती है, जहां बादलों के बीच, देवताओं का निवास है। वह जो पवित्र पर्वत की चोटी शुरू करता है और देवताओं के चेहरे को देखने की हिम्मत करता है, उन्हें मृत्यु प्राप्त होती है।
  • कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ने की कोशिश करने वाले कई पर्वतारोहियों में से एक Colonel Wilson ने बताया कि "जब उन्हें यह अहसास हुआ कि यात्रा सरल हो चुकी है, तभी अचानक से तेज़ बर्फबारी ने उनका यह काम असंभव कर दिया।"
  • सर्गेई सिस्टियाकोव, एक रूसी पर्वतारोही जो कैलाश पर न चढ़ पाने का एक चौंकाने वाला तर्क दिया है। वह कहते हैं कि "जब हम पहाड़ के आधार के समीप पहुंचे, तो मेरा दिल तेज़ हो गया था। मैं पवित्र पर्वत के सामने था, जो कह रहे थे कि 'मुझे हराना असंभव है'। जिसके उपरांत मैं खुद को दुर्बल महसूस करने लगा और उस वातावरण में मुग्ध हो गया। जैसे हमने उतरना शुरू किया, मुझे मुक्ति महसूस होने लगी।"

कैलाश पर्वत का दूर से लिया गया चित्र।(Pixabay)

  • जो लोग पहाड़ के आस-पास के क्षेत्र का दौरा करते हैं, वह अपने नाखूनों और बालों को 12 घंटों में लम्बाई महसूस करते हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में 2 सप्ताह में होता है! ऐसा माना जाता है कि पहाड़ में एक हवा है जो तेजी से बुढ़ापे का कारण बनती है।
  • कुछ रूसी वैज्ञानिकों ने बहुत हद तक पहाड़ का अध्ययन किया है और इस विचार को सामने रखा है कि कैलाश पर्वत एक मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है, और यह बहुत बड़ी असामान्य घटना हो सकती है जो दुनिया के अन्य सभी ऐसे स्मारकों को जोड़ती है जहां ऐसी ही असामान्य चीजें हुई हैं। देखे गए।
  • कैलाश पर्वत को दुनिया का केंद्र माना जाता है जहाँ पृथ्वी और स्वर्ग के बीच, भौतिक दुनिया और आध्यात्मिक दुनिया के बीच स्वर्ग धरती से मिलता है।
  • बौद्ध, जैन और हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार कैलाश पर्वत मेरु/सुमेरु बौद्ध, जैन और हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार जो कि ब्रह्मांड का आध्यात्मिक केंद्र है।

कई अध्ययनों एवं तथ्यों के उपरांत भी आज तक कोई भी कैलाश पर्वत न चढ़े जाने का सटीक कारण नहीं बता पाया है। 6638 कि ऊंचाई को भी फतह करने में क्या अड़चने आ रहीं हैं यह कोई नहीं जनता। किन्तु यह भी बात सही है कि कुछ चीजों को रहस्य ही रहने दें तो ही अच्छा।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com