वनटांगिया समुदाय के लिए योगी आदित्यनाथ राम की भूमिका में, पर क्यों ?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। (IANS , Twitter)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। (IANS , Twitter)
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बीच जंगल में बसे गांव और वहां शहरी सुविधाओं की पूरी मौजूदगी से मंगल ही मंगल। सुनने में अटपटा लग रहा है, पर यह सौ फीसद जमीनी हकीकत है। यकीन न हो तो चले आइये गोरखपुर जिले के घने कुसम्ही जंगल में। यहां पांच वनटांगिया गांवों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से आज वह हर जरूरी सुविधा मुहैया है जो शहरी बस्तियों में होती है।

सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया समुदाय के लोगों के लिए जो संघर्ष किया, मुख्यमंत्री बनने के बाद सौगात में तब्दील कर दिया। वर्ष 2009 से योगी वनटांगिया लोगो के बीच दिवाली मनाते हैं, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सिलसिला बदस्तूर जारी है।

वनटांगिया समुदाय

अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटाई हुई। इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए।

कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा।

जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही झोपड़ी के अलावा कोई निर्माण करने की इजाजत। पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। और तो और इनके पास ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं था जिसके आधार पर वह सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने नागरिक होने का दावा कर पाते। समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग।

जब योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने

वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने। उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं। नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी।

योगी आदित्यनाथ वर्ष 1998 में पहली बार गोरखपुर के सांसद बने थे। (Twitter)

इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को। जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते मूर्त रूप लेने लगे।

इस गांव के रामगणेश कहते हैं कि महराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) हम लोगों के लिए उस राम की भूमिका में आये जिन्होंने अहिल्या का उद्धार किया था।

वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिला

वनटांगिया लोगों के बीच शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के योगी के प्रयासों के खास सहयोगी एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ. प्रदीप राव बताते हैं कि वन्यग्रामों के लोगों को जीवन की मुख्यधारा में जोड़ने के दौरान 2009 में योगी जी को मुकदमा तक झेलना पड़ा। वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल कर एक अस्थायी स्कूल का निर्माण योगी के निर्देश पर उनके कार्यकर्ता कर रहे थे, इस पर वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी। योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका।

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज तीन दिवाली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया।

वनटांगिया गांवों का नया रूप

राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है। वनटांगिया गांवो में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस है। बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

पिछली दिवाली कुसम्ही जंगल के वनटांगियों के लिए बेहद खास रही। योगी ने जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में कई घरों में गृह प्रवेश कराया, उनके घर दिया दिलाया, खीर हलवा खाया तो वनवासियों के चेहरों पर खुशी की लकीरें विस्तार पाती दिखीं। बच्चे अपने सिर पर अपने महराज जी का प्यार दुलार भरा स्पर्श पाकर आह्लादित थे।

पिछली दिवाली तक इस वनटांगिया गांव में 85.876 हेक्टेयर खेती की जमीन, 9.654 हेक्टेयर आवासीय जमीन, 788 मुख्यमंत्री योजना के आवास, 895 शौचालय, 49 को निराश्रित पेंशन, 38 को दिव्यांग पेंशन, 125 को वृद्धा पेंशन, 647 को सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन, 895 को अंत्योदय राशनकार्ड और 600 को उज्‍जवला योजना का रसोई गैस कनेक्शन मिल चुका था। (आईएएनएस)

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