भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर आगे बढ़ रही योगी सरकार ने इस दिशा में दो अहम कदम और बढ़ा दिए हैं। इस बार योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर दोहरा प्रहार किया है। लोक निर्माण विभाग में टेंडरों के आवंटन प्रक्रिया की चैकीदारी अब हाईटेक प्रहरी करेगा। कृषि भूमि का लैंड यूज चेंज करवाने के लिए भी अब किसानों को अफसरों की दहलीज पर भटकना नहीं होगा।
राजस्व संहिता में बदलाव कर कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में परिवर्तित कराने के लिए योगी सरकार ने ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू कर दी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार के हाईटेक पहरेदारों की तैनाती से घूसखोरों, बिचैलियों और दलालों के हौसले पस्त हैं।
पीडब्ल्यूडी में टेंडर आवंटन प्रक्रिया को लेकर पिछले कुछ दिनों में शून्य हुई शिकायतों की संख्या इसकी गवाह हैं। पिछली सरकारों में बदनाम रही टेंडर आवंटन प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए योगी सरकार ने प्रहरी सॉफ्टवेयर तैनात किया है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 15 सितंबर से प्रदेश भर में प्रहरी साफ्टवेयर योजना को लागू कर दिया गया है। विभाग की पूरी टेंडर प्रक्रिया प्रहरी के जरिये होगी। टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने वाली कंपनियों के दस्तावेज से लेकर मशीनों और बैंक से जुड़े दस्तावेजों तक की पड़ताल प्रहरी करेगा। टेंडर में शामिल होने वाले आवेदक खुद सॉफ्टवेयर पर अपने दस्तावेज अपलोड कर सकेंगे। प्रक्रिया इतनी पारदर्शी होगी की सभी आवेदक एक दूसरे के दस्तावेज आनलाइन देख सकेंगे। सभी चीजों की पड़ताल के बाद साफ्टवेयर ही टेंडर के लिए कंपनियों का चुनाव भी करेगा।
राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में विवादित रही स्थानीय विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी लगभग खत्म कर दी है। टेंडर प्रक्रिया में किसी तरह की शिकायत की जांच लोक निर्माण विभाग मुख्यालय के अधिकारियों की टीम करेगी।
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कृषि भूमि के लैंड यूज चेंज को लेकर पिछली सरकारों में किसानों से होने वाली वसूली और घूसखोरी पर योगी सरकार ने रोक लगा दिया है। कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में तब्दील कराने के लिए अब किसानों को न अफसरों की दहलीज के चक्कर लगाने होंगे और न बिचैलियों और दलालों का शिकार बनना होगा। अब किसान लैंड यूज चेंज करने के लिए घर बैठे आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। लैंड यूज चेंज में हीला हवाली कर किसानों को परेशान करने वाले अफसरों पर भी अब राज्य सरकार की सीधी निगाह होगी। 45 दिन की समय सीमा के भीतर अफसरों को मामले का निपटारा करते हुए फैसला देना होगा। इस अवधि में कोई कार्रवाई नहीं होने पर किसान के आवेदन को अप्रूव मान लिया जाएगा।
भू उपयोग बदलने के नियम आसान और पारदर्शी करने से जहां भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी, वहीं सीधे किसानों से जमीन खरीद कर औद्योगिक इकाइयां लगाने की कोशिश कर रहे निवेशकों को भी राहत मिलेगी। नई प्रक्रिया से निजी प्रोजेक्ट में काफी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है। आवेदन पर फैसले की एक निश्चित समय सीमा तय होने से प्रदेश में निवेश करने वाली कंपनियों का समय भी नहीं बर्बाद होगा। छोटे उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोग अपनी इकाइयां लगा कर लोगों को रोजगार और व्यापार से जोड़ सकेंगे।
गौरतलब है कि पिछली सरकारों से चले आ रहे भू उपयोग परिवर्तन के इस खेल के कारण हजारों की संख्या में मामले लटके हुई थे, जिन्हें 45 दिन के अंदर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्व विभाग की वेबसाइट पर जा कर कोई भी भू-स्वामी भू उपयोग परिवर्तन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। (आईएएनएस)