त्योहारों में भीड़ बढ़ा सकती है कोरोना का खतरा

त्योहारों के आने से कोरोना के बढ़ने की आशंका बढ़ जाएगी। (Wikimedia Commons)
त्योहारों के आने से कोरोना के बढ़ने की आशंका बढ़ जाएगी। (Wikimedia Commons)

त्योहारों के मौसम से पहले शुक्रवार को सामने आए एक सर्वे में पता चला है कि करीब 36 प्रतिशत भारतीय बड़े पैमाने पर सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने की तैयारी में है। हालांकि अगर सर्वे के आंकड़े सही साबित हुए तो कोविड -19 के फैलने की आशंका बढ़ सकती है। भारतीयों के लिए साल का सबसे रोमांचक समय आने वाला है। त्योहारी सीजन के रूप में लोकप्रिय अक्टूबर-नवंबर में नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा और अंत में दीवाली जैसे त्योहारों आते हैं।

कोविड -19 महामारी के कारण पिछले कई महीनों से अपने घरों की चारदीवारों तक सीमित रहने वाले लोग अब सकारात्मक भावनाओं के साथ अपने कदम बाहर रखने और सामाजिक तौर पर आयोजित कार्यक्रमों में घुलने मिलने का फैसला कर सकते हैं।

'लोकल सर्किल्स' ने आगामी त्योहारी सीजन के दौरान लोगों की समाजीकरण की योजना को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में भारत के 226 जिलों से 28,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं।

सर्वे के पहले प्रश्न में पूछा गया था कि लोग इस त्योहारी सीजन के दौरान किस तरह से समाजीकरण की योजना बना रहे हैं। इस प्रश्न के जवाब में खुलासा हुआ कि तीन प्रतिशत ने कहा कि वे पड़ोस के कार्यक्रमों में भाग लेंगे, तीन प्रतिशत ने कहा कि वे उन निजी मिलन समारोह या पार्टियों में शामिल होंगे, जिनका उन्हें निमंत्रण मिलेगा। वहीं 23 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने करीबी परिवार और दोस्तों से मिलने जाएंगे, जबकि सात प्रतिशत ने कहा कि वे उपर्युक्त सभी कार्यों को करेंगे। वहीं 51 फीसदी ने कहा कि वे बिल्कुल भी समाजिकरण नहीं करेंगे। इसका मतलब यह है कि 36 फीसदी भारतीय इस त्योहारी सीजन में सामाजिक होना चाहते हैं।

गौरतलब है कि सितंबर की शुरुआत में ओणम त्योहार समारोह के दौरान केरल के निवासी काफी लापरवाह हो गए थे, जिसके परिणामस्वरूप कोरोनावायरस के मामलों में प्रतिदिन 4,000 से 10,000 की बढ़ोत्तरी देखी गई थी। इसी वजह से केरल सरकार ने धारा 144 लागू कर दी और अक्टूबर के पूरे महीने के लिए राज्य भर में पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया।

कोरोनावायरस के कारण लंबे समय से भारतीय मेलजोल, विस्तारित परिवार से मिलने और भीड़ भरे स्थानों पर आने-जाने से बचते आ रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि आगामी त्योहारों के दौरान यह चेन टूटने की संभावना है।

अगला सवाल यह पूछा गया कि कोविड के बावजूद ऐसे कौन से प्रमुख कारण हैं, जो वे इस त्योहारी सीजन में सामाजिक तौर पर भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। इस पर 17 प्रतिशत ने कहा कि यह उनके और उनके परिवार के लिए सामाजिक रूप से एक कठिन साल रहा है और बाहर जाकर लोगों से मिलना उन्हें खुश करेगा, जबकि 10 प्रतिशत ने कहा कि सामाजिक दबाव होगा, इसलिए उन्हें ऐसा करना होगा।

वहीं लगभग 63 प्रतिशत ने कहा कि वे सावधानी बरतने के साथ सामाजिक भागीदारी का हिस्सा बनेंगे, ऐसे में सब ठीक होगा, कोई समस्या नहीं आएगी, जबकि पांच प्रतिशत ने कहा कि वह पहले ही कोविड -19 संक्रमण से उबर चुके हैं, इसलिए यह चिंता का विषय नहीं है। वहीं पांच फीसदी अनिश्चित थे।

इससे पता चलता है कि 63 प्रतिशत लोग जो इस त्योहारी सीजन को सामाजिक बनाना चाहते हैं, उनका मानना है कि वे सावधानियों का पालन करते हुए सुरक्षित रहेंगे, जबकि कुछ लोग त्योहारों का आनंद लेने और कुछ सामाजिक दबाव में समाज का हिस्सा बनेंगे।

भारत में करीब 70 लाख कोविड के मामले दर्ज किए गए हैं, वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने फेस्टिव सीजन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं को जारी किया है।

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अक्टूबर को कोविड -19 के मद्देनजर उचित व्यवहार के लिए एक 'जन आंदोलन' शुरू किया है। सरकार का कहना है कि वे अधिक मामले वाले जिलों में खास क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए एक्शन प्लान लागू करेगी।(आईएएनएस)

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