पिछले कुछ दिनों में केरल में 2000 लोगों ने छोड़ा Islam

पिछले कुछ दिनों में केरल में 2000 लोगों ने छोड़ा इस्लाम (Wikimedia Commons)
पिछले कुछ दिनों में केरल में 2000 लोगों ने छोड़ा इस्लाम (Wikimedia Commons)

केरल की आयशा मर्सर (Ayesha Mercerous) इस्लाम(Islam) को त्यागकर नास्तिक हो गई हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया है कि वह करीब 10 साल से उत्साह की स्थिति में थीं। इस्लाम को लेकर उनके मन में सवाल थे, जिसके चलते उन्होंने कुछ साल पहले पैगंबर मुहम्मद(Prophet Mohammad) की जीवनी पढ़ी थी। उनका कहना है कि जैसे-जैसे मैं इस किताब को पढ़ता गया मेरा इरादा पक्का होता गया।

उन्होंने बताया कि उस किताब में गुलामी और महिलाओं के बारे में जो बातें लिखी गई हैं, वह मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाती हैं। आयशा कहती हैं कि, 'इसलिए मैंने दिसंबर 2021 में मस्जिद जाकर इस्लाम छोड़ने का फैसला किया।' आयशा की तरह केरल के भी कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस्लाम को छोड़ दिया है, लेकिन मुस्लिम लोग इस धर्म को छोड़ने वालों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं।

इस्लाम छोड़ने वाले धर्म से पीड़ित होकर इसे छोड़ा। (Wikimedia Commons)

आयशा कहती हैं कि मेरे घरवाले बात तो करते हैं, लेकिन अब पहले की दो बातें नहीं रही। केरल में एक संगठन जनवरी 2022 से लगातार सुर्खियों में है। जिसका नाम 'केरल के पूर्व मुस्लिम' है। इस संगठन के प्रमुख आरिफ हुसैन थेरुवथ कहते हैं, 'पिछले एक साल में केरल में रिकॉर्ड 300 लोगों ने इस्लाम धर्म छोड़ा है। आंकड़ों के अलावा करीब 2000 लोग हमारे संपर्क में हैं, जो इस्लाम छोड़ चुके हैं।

ऐसे कई लोग होंगे जो हमारे संपर्क में नहीं आ पाए हैं। डॉ. आरिफ ने आगे कहा कि, 'लोग अपनी पहचान छुपा कर रखते हैं क्योंकि समाज ऐसे लोगों को काफिर (नास्तिक) और अनैतिक घोषित करता है। इतना ही नहीं उस व्यक्ति का बहिष्कार किया जाता है। उसकी संपत्ति सहित सभी प्रकार के अधिकार उससे छीन लिए जाते हैं। उसे हर तरह से शारीरिक, सामाजिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। उनका कहना है कि हालांकि हर धर्म नास्तिकों के साथ भेदभाव करता है, इस्लाम इस मामले में कट्टर है, जो लोग इस्लाम छोड़ देते हैं, लोग उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं।


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पूरे देश में हजारों लोग इस्लाम छोड़ चुके हैं, लेकिन डर के मारे खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। आरिफ का यह भी कहना है कि, 'इस्लाम में पैगंबर मुहम्मद के शब्दों को एक पत्थर की रेखा माना जाता है, लेकिन अगर कोई अपने जीवन को ध्यान से पढ़ता है, तो उसके अपने चरित्र पर सवाल उठते हैं।'

संगठन के अध्यक्ष का दावा है कि केरल में यह संगठन पहली बार सामने आया है, लेकिन यह काम करीब 10 साल से चल रहा है। यह संगठन पूरे भारत में 'भारत के पूर्व मुस्लिम' के नाम से भी काम कर रहा है। यह संगठन अब गुप्त रूप से काम करता है, लेकिन जल्द ही केरल की तरह इस संगठन को पूरे भारत में पहचान के साथ सामने लाया जाएगा। फिलहाल तमिलनाडु में इस संस्था के रजिस्ट्रेशन का काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि केरल में इस्लाम का परित्याग करने वाले लोगों के लिए 'केरल के पूर्व मुस्लिम' नाम का एक संगठन बनाया गया है। इसका उद्देश्य उन लोगों को सहायता प्रदान करना है जो इस्लाम छोड़ चुके हैं।

Input-IANS; Edited By-Saksham Nagar

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