वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Nirmala Sitharaman) की ओर से कल मंगलवार को पेश किए जाने वाले बजट में अधिक भारतीय खासकर मध्यम वर्ग आयकर सीमा में छूट दिए जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं। एक मीडिया एजेंसी के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में यह बात उभर कर सामने आई है।
सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, 6,25,000 रुपये की वार्षिक आय पूरी तरह से आयकर दायरे से बाहर होनी चाहिए। यह औसत मासिक आय 52,000 रुपये से थोड़ा अधिक है।
वित्त मंत्री निर्मला सीथारमण (Wikimedia Commons)
दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2010 में जब संयुक्त प्रगतिशील सरकार सत्ता में थी और घोटालों की आंच उस पर नहीं पड़ी थी तो ऐसे ही एक सर्वेक्षण में लोगों ने 5,65,000 रुपये की वार्षिक आय या 47,260 रुपये की मासिक आय को कर के दायरे से बाहर रखने की बात कही थी। अब इस तरह का सर्वेक्षण 13 साल की अवधि में करदाताओं की उम्मीदों में बहुत तेज वृद्धि प्रतीत नहीं होता है। लेकिन अलग-अलग वर्षों में उम्मीदों में दिलचस्प बदलाव देखे गए हैं।
उदाहरण के लिए, 2020 में, सर्वेक्षण में शमिल लोग 3,80,000 रुपये की वार्षिक आय या 31,717 रुपये की मासिक आय आयकर दायरे से बाहर किए जाने के पक्ष में थे। इसके तुरंत बाद, भारत कोविड और उच्च मुद्रास्फीति की चपेट में आ गया था।
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इसके बाद करदाताओं की अपेक्षाओं में एक नाटकीय बदलाव आया और 2021 के सर्वेक्षण के दौरान इसमें शामिल लोग 5,60,000 रुपये की वार्षिक आय आयकर दायरे से बाहर किए जाने के पक्ष में थे । इसके बाद 2022 तक यह अपेक्षा बढ़कर 6,25,000 रुपये प्रति वर्ष हो गई। विश्लेषकों को कल पेश किए जाने वाले बजट में व्यापक रूप से कर मुक्त आय की सीमा में वृद्धि की उम्मीद है। इसके अलावा महामारी के कारण चिकित्सा व्यय छूट में पर्याप्त वृद्धि की भी उम्मीद की जा रही है।
Input-IANS; Edited By-Saksham Nagar