बड़ों की तुलना में बच्चों में गाते और बोलते समय कम स्वांस के कण अंदर लेते है- शोध

बड़ों की तुलना में बच्चों में गाते और बोलते समय कम स्वांस के कण अंदर लेते है- शोध (Wikimedia Commons)
बड़ों की तुलना में बच्चों में गाते और बोलते समय कम स्वांस के कण अंदर लेते है- शोध (Wikimedia Commons)
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वैज्ञानिक शोध(Scientific Research) से पता चला है कि बच्चे गाते, बोलते और सांस छोड़ते समय वयस्कों की तुलना में एक चौथाई कम एरोसोल(Aerosol) लेते हैं।

एक वैज्ञानिक रिसर्च में यह खुलासा किया गया है। (Wikimedia Commons)

एक विदेशी न्यूज़ चैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शोध जर्नल ऑफ रॉयल सोसाइटी इंटरफेस में प्रकाशित हुआ है और स्कूलों में जोखिम प्रबंधन में निर्णय लेने में मदद करेगा।


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इस शोध में जर्मनी के शोधकर्ताओं ने 15 बच्चों और 15 वयस्कों के बोलने, गाने और सांस छोड़ने की दर को मापा और इस शोध के दौरान निकले सूक्ष्म अणुओं यानी एरोसोल की रेंज को पाया. यह पाया गया है कि बच्चों में उनकी गति और मात्रा वयस्कों की तुलना में काफी कम पाई गई।

उन्होंने कहा कि यह अध्ययन एक बात साबित करता है कि स्कूल संबंधी कोई भी श्वास नीति बनाते समय इन मानकों को ध्यान में रखना होगा क्योंकि कोई भी मानक बच्चों और वयस्कों पर समान रूप से लागू नहीं किया जा सकता है। इसका एक कारण यह है कि बच्चों के फेफड़े, श्वासनली और अन्य श्वसन अंग वयस्कों की तुलना में बहुत छोटे होते हैं और यही कारण है कि बच्चों में वायरल लोड वयस्कों की तुलना में बहुत कम होता है। एक और बात यह भी साबित हुई है कि ऐसे बच्चे हवा में कम एरोसोल लेते हैं और उनके संपर्क में आने वाले लोग ज्यादा बीमार नहीं पड़ते।

Input-IANS ; Edited By-Saksham Nagar

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