8वी तक की थी पढ़ाई लेकिन आज विदेशों में है इनकी पहचान

शिवरतन अग्रवाल के पास बिजनेस चलाने के सारे गुण थे। उन्होंने भुजिया के स्वाद से कभी समझौता नहीं किया। यही कारणवश उन्होंने देश ही नहीं विदेशों तक अपने कारोबा का विस्तार किया।
Bikaji Success Story - बीकाजी नमकीन सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है। (Wikimedia Commons)
Bikaji Success Story - बीकाजी नमकीन सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है। (Wikimedia Commons)
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Bikaji Success Story - शाम होते ही चाय की याद आ जाती हैं और सिर्फ चाय कौन ही पीता है साथ में थोड़ी नमकीन भी तो होना चाहिए और नमकीन की बात करे तो सिर्फ बीकाजी नमकीन का ही स्वाद याद आता है। लेकिन क्या आपको पता है की बीकाजी नमकीन सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है? जी हा। आपको जान कर खुशी होगी की हमारे भारत का स्नैक्स पास्ता, नूडल्स जैसे विदेशी स्नैक्स को टक्कर दे रहा है।

हल्दीराम से अलग होकर बीकाजी नमकीन बना

हल्दीराम भुजियावाले का कारोबार उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल ने किया फिर मूलचंद अग्रवाल के चार बेटे शिवकिशन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिवरतन अग्रवाल । तीन भाईयों ने मिलकर हल्दीराम के कारोबार को आगे बढ़ाया तो वहीं चौथे बेटे ने उससे अलग होकर अपना नया ब्रांड शुरू किया, जिसका नाम रखा बीकाजी। उन्होंने साल 1987 में बीकाजी भुजिया की शुरुआत की, जिसका नाम बीकानेर शहर के संस्थापक राव बीकाजी के नाम पर रखा गया।

शिवरतन अग्रवाल ने देश ही नहीं विदेशों तक अपने कारोबा का विस्तार किया।(Wikimedia Commons)
शिवरतन अग्रवाल ने देश ही नहीं विदेशों तक अपने कारोबा का विस्तार किया।(Wikimedia Commons)

8 लाख से भी ज्यादा दुकान

शिवरतन अग्रवाल ने अपने दादाजी हल्दीराम से भुजिया बनाना सीखा था। 8वीं की पढ़ाई के बाद ही वो परिवारिक कारोबार में शामिल हो गए थे। वो 8वीं पास थे , लेकिन शिवरतन अग्रवाल के पास बिजनेस चलाने के सारे गुण थे। उन्होंने भुजिया के स्वाद से कभी समझौता नहीं किया। यही कारणवश उन्होंने देश ही नहीं विदेशों तक अपने कारोबा का विस्तार किया। आज उनकी कंपनी 250 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट तैयार करती है। भुजिया, नमकीन, डिब्बाबंद मिठाइयां, पापड़ और साथ ही अन्य व्यंजन बनाती है। बीकाजी भारत की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक स्नैक निर्माता है, जिसका डंका अब विदेशों में भी बज रहा है। देशभर में इसकी 8 लाख से अधिक दुकानें और रेस्टोरेंट हैं।

 आज 32 देशों में बीकाजी के स्कैक्स पहुंच रहे हैं। (Wikimedia Commons)
आज 32 देशों में बीकाजी के स्कैक्स पहुंच रहे हैं। (Wikimedia Commons)

विदेशों में भी बनाई अपनी पहचान

वर्तामान में शिवरतन अग्रवाल के बेटे दीपक अग्रवाल कारोबार आगे बढ़ा रहे हैं । आज 32 देशों में बीकाजी के स्कैक्स पहुंच रहे हैं। बीकाजी ने साल 1994 में विदेशों में व्यवसाय करना शुरू किया। आज अमेरिका, संयु अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बहरीन, नॉर्वे, स्वीडन, नीदरलैंड जैसे देशों में बीकाजी के प्रोडक्ट्स बिक रहे हैं। इन्होंने ये साबित कर दिखाया की मेहनत करके कोई भी अपनी पहचान बना सकता है बस जज्बा और ईमानदारी होनी चाहिए।

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