मूडीज ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.7% से घटाकर 7% किया

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.7% से घटाकर 7% कर दिया
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मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Services) ने दूसरी बार भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाया।

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि (economic growth) दर का अनुमान 7.7% से घटाकर 7% कर दिया। इससे पहले मूडीज ने सितंबर में चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमान को घटाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया था जो मई में 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान था।

इसका श्रेय वैश्विक वृद्धि में सुस्ती और मौद्रिक नीतियों (monetary policies) को कड़ा करने जैसी बाहरी चुनौतियों को दिया जा सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) देख रही है।

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उन्होंने कहा, 'भारत के लिए 2022 की वास्तविक जीडीपी (GDP)वृद्धि दर का अनुमान 7.7 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया गया है। एजेंसी ने अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2023-24 में कहा, 'नीचे की ओर संशोधन से उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें और धीमी वैश्विक वृद्धि आर्थिक गति को हमारी पहले की उम्मीद से अधिक कम कर देगी।

मूडीज (Moody's) का अनुमान है कि 2023 में वृद्धि दर घटकर 4.8 प्रतिशत और फिर 2024 में बढ़कर 6.4 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।

मूडीज की तरफ़ से कहा गया है कि मुद्रास्फीति (inflation), मौद्रिक नीति सख्त, राजकोषीय चुनौतियों, भू-राजनीतिक बदलाव और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच अनिश्चितता के असाधारण उच्च स्तर के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है।

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अक्टूबर में वैश्विक गेहूं की कीमतों में आंशिक रूप से 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई

वैश्विक वृद्धि 2023 में धीमी रहेगी और 2024 में सुस्त रहेगी। मूडीज ने कहा कि फिर भी, 2024 तक सापेक्ष स्थिरता की अवधि उभर सकती है यदि सरकारें और केंद्रीय बैंक (Central Bank) मौजूदा चुनौतियों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को नेविगेट करने में कामयाब रहे।


भारत की मौद्रिक नीति समिति ने मई के बाद से प्रमुख नीतिगत दर में संचयी 190 आधार अंकों की वृद्धि की है, जिससे रेपो दर (Repo rate) कोविड-पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है, जबकि फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने पिछली चार बैठकों में 75 बीपीएस की भारी वृद्धि का विकल्प चुना था, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में उधार लेने की लागत को 2008 के बाद से उच्चतम स्तर पर उठा दिया था।


RS

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