नशे का साम्राज्य: जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने बीयर के साथ बदला भारत का स्वाद और संस्कार

भारत में शराब की शुरुआत वैदिक काल की सुरा से हुई है, लेकिन मॉडर्न बीयर (Beer) का चलन अंग्रेजों के आने के बाद शुरू हुआ। ब्रिटिश (British) दौर में बीयर के कारखाने खुले और शराब आम होती चली गई। आज भारत दुनिया के बड़े शराब उपभोक्ताओं में शामिल है, जहां खपत लगातार बढ़ रही है।
भारत में शराब की मौजूदगी वैदिक काल से ही मानी जाती है।  [Wikimedia commons]
भारत में शराब की मौजूदगी वैदिक काल से ही मानी जाती है। [Wikimedia commons]
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शराब का इतिहास बहुत पुराना है। यह केवल एक नशे की चीज नहीं है, बल्कि यह एक सभ्यता और संस्कृति के साथ भी जुड़ा रहा है। भारत में शराब की मौजूदगी वैदिक काल से ही मानी जाती है। करीब 1500 ईसा पूर्व के वैदिक साहित्य में "सुरा" का ज़िक्र मिलता है, जिसे आज के समय में बीयर (Beer) का शुरुआती रूप माना जाता है। यह जौ, चावल, फलों और मसालों को फर्मेंट करके बनाई जाती थी।

भारत में बीयर के कारखाने कब और कैसे शुरू हुए ?

बीयर (Beer) हम आज के दौर में जानते हैं जिस बीयर (Beer) को आज के समय में इस्तेमाल करते हैं वो माल्टेड जौ, हॉप्स, खमीर और पानी से बनता है ये बीयर (Beer) भारत में ब्रिटिश राज के दौरान आई। कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी यानी करीब 1600-1700 के दशक में अंग्रेज जब भारत आए, तो अपने साथ यूरोप से बीयर (Beer) लाए। शुरुआत में यह सिर्फ अंग्रेज अधिकारियों के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे यह भारतीय समाज में भी फैल गई।

ब्रिटिश (British) शासन के दौरान भारत में बीयर (Beer) बनाने के कारखाने खुले, जैसे 1830 में खुला एशिया का पहला बीयर (Beer) की भट्टी, सोलन ब्रेवरी (हिमाचल प्रदेश)। इसके बाद बीयर (Beer) और शराब का बाजार भारत में बढ़ता गया। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े शराब उपभोक्ता देशों में गिना जाता है।

बीयर शुरुआत में सिर्फ अंग्रेज अधिकारियों के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे यह भारतीय समाज में भी फैल गई।  Wikimedia commons
बीयर शुरुआत में सिर्फ अंग्रेज अधिकारियों के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे यह भारतीय समाज में भी फैल गई। Wikimedia commons

2024 से 2029 के बीच भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत में 0.1 लीटर तक बढ़ोतरी का अनुमान है। हालांकि शराब से सेहत पर पड़ने वाले बुरे असर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह ज़रूरी है कि हम इतिहास और सामाजिक सत्य को समझते हुए, अपने स्वास्थ्य और समाज के प्रति जिम्मेदार रवैया अपनाएं।

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