
नई कर व्यवस्था और टैक्स स्लैब्स
3 सितंबर 2025 को हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक में सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया। पहले चार अलग-अलग स्लैब थे, 5%, 12%, 18% और 28%। अब जीएसटी (GST) स्लैब कटौती के तहत इन्हें घटाकर सिर्फ दो मुख्य स्लैब कर दिए गए हैं 5% और 18%। इसके अलावा कुछ ज़रूरी वस्तुओं और सेवाओं को 0% यानी पूरी तरह कर (Tax) मुक्त कर दिया गया है, जबकि लग्ज़री (Luxury) और “सिन गुड्स” (Sin Goods) पर 40% टैक्स लगाया गया है। इसका सीधा असर लोगों की जेब और बाज़ार पर पड़ेगा। सरकार का दावा है कि इस बदलाव से टैक्स भरना आसान होगा, उपभोग बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था (Economy) को गति मिलेगी।
क्या-क्या हुआ सस्ता और क्या-क्या महंगा
जीएसटी (GST) स्लैब कटौती के बाद कई रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती हो गई हैं। अब दूध, पनीर, रोटी, आटा, दाल जैसी ज़रूरी खाद्य पदार्थ और ज़रूरी दवाइयाँ 0% स्लैब में आ गई हैं। इसका मतलब है कि इन पर कोई जीएसटी (GST) नहीं देना होगा। इसी तरह घी, मक्खन, सूखे मेवे, शैम्पू, टूथपेस्ट, बिस्किट, जिम (Gym) और ब्यूटी सैलून (Beauty Salon) जैसी सेवाओं पर अब सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा, जबकि पहले इन पर 12% या 18% तक टैक्स (Tax) लगता था। इससे आम घरों का मासिक खर्च काफी कम हो जाएगा। वहीं, मोबाइल फोन, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन, एसी, छोटी कारें और टू-व्हीलर जैसे सामान पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। इससे मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए ये सामान अधिक किफायती हो जाएंगे। लेकिन तंबाकू, बड़ी कारें, प्राइवेट जेट (Private Jet) और बेहद लग्ज़री सामान पर अब 40% जीएसटी लगेगा। इसका मतलब है कि जो वस्तुएँ बहुत महंगी और शौक़ की मानी जाती हैं, वे और महंगी हो जाएँगी।
राज्यों पर असर
जीएसटी (GST) स्लैब कटौती का सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार और राज्यों की कमाई पर इसका क्या असर होगा। सरकार का अनुमान है कि औसत जीएसटी दर 2019 में 11.6% थी, जो अब घटकर 2026–27 तक 9.5% रह जाएगी। इससे राज्यों को करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। शुरुआती आकलन के अनुसार, सरकार को लगभग 48,000 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, सरकार का मानना है कि टैक्स चोरी रोकने और अनुपालन बेहतर करने से इस घाटे को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है। दूसरी ओर, कई राज्यों ने चिंता जताई है कि उनकी कमाई कम हो जाएगी, क्योंकि पहले उन्हें जीएसटी मुआवज़ा (Compensation) मिलता था जो अब धीरे-धीरे ख़त्म हो सकता है। यह चिंता वाजिब भी है, क्योंकि राज्यों की वित्तीय स्थिति काफी हद तक जीएसटी संग्रह (SGST) पर निर्भर करती है।
निष्कर्ष
जीएसटी (GST) स्लैब कटौती भारत (India) की कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाएगी। आम जनता को रोज़मर्रा की चीज़ों में राहत मिलेगी, जबकि महंगे और लग्ज़री सामान पर ज़्यादा टैक्स लगाकर सरकार संतुलन बनाएगी। छोटे व्यापारियों के लिए रजिस्ट्रेशन (Registration) और रिटर्न भरने की प्रक्रिया आसान होगी, जिससे उनका समय और मेहनत बचेगी। हालांकि, राज्यों की कमाई पर असर और केंद्र सरकार (Central Government) का राजस्व घाटा ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें आगे संतुलित करना ज़रूरी होगा। फिर भी यह कदम जनता की जेब, उपभोग (Manufacturing) और अर्थव्यवस्था तीनों पर सकारात्मक असर डाल सकता है। (Rh/Eth/BA)