
होर्मुज़ स्ट्रेट क्या है ?
होर्मुज़ स्ट्रेट एक बेहद चौड़ा समुद्री पट्टी है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और फिर अरब सागर से जोड़ती है। यह जलसंधि ईरान (Iran) और ओमान की समुद्री सीमाओं के बीच स्थित है और इसकी चौड़ाई मात्र 33 किलोमीटर है।
इसे दुनिया का सबसे रणनीतिक और संवेदनशील समुद्री मार्ग (waterway) माना जाता है, क्योंकि दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल इसी रास्ते से होकर गुजरता है। सऊदी अरब, ईरान, (Iran) कुवैत, यूएई और क़तर जैसे तेल और गैस उत्पादक देश अपने अधिकतर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का निर्यात इसी मार्ग से करते हैं।
तेल की कीमतों में उछाल क्यों आया ?
13 जून के इसराइली (Israel) हमले के तुरंत बाद तेल बाज़ार में घबराहट फैल गई। एशियाई बाज़ार खुलते ही ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगभग 3% की बढ़ोतरी देखी गई और यह 76.37 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गई। इसी तरह अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें भी 75 डॉलर के पार पहुँच गईं।
पिछले शुक्रवार को तेल की कीमतों में पहले से ही 7% की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसका मतलब यह है कि बाज़ार पहले से ही मध्य पूर्व के तनाव को लेकर चिंतित था, और जैसे ही होर्मुज़ स्ट्रेट के बंद होने की चर्चा सामने आई, बाज़ार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी।
क्यों महत्वपूर्ण है होर्मुज़ जलसंयोगी ?
दुनिया की कुल कच्चे तेल की आपूर्ति का लगभग पाँचवाँ हिस्सा होर्मुज़ स्ट्रेट से होकर ही निकलता है। हर दिन लगभग 2.1 करोड़ बैरल तेल इस रास्ते से दुनिया के देशों तक पहुँचता है।क़तर, जो दुनिया का सबसे बड़ा एलएनजी (Liquefied Natural Gas) निर्यातक देश है, वह भी इसी मार्ग पर निर्भर है।
अगर यह रास्ता बंद हो जाता है, तो तेल निर्यात करने वाले इन देशों के पास कोई और आसान समुद्री मार्ग (waterway) नहीं बचता। वैकल्पिक पाइपलाइन या समुद्री यात्रा के रास्ते बहुत कम और महंगे हैं।
सिर्फ तेल नहीं, बल्कि फारस की खाड़ी से आने-जाने वाले हज़ारों मालवाहक जहाज़ भी इसी जलसंयोगी से होकर गुजरते हैं। अगर यह मार्ग बाधित होता है, तो न केवल ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं भी प्रभावित होंगी।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान जेपी मॉर्गन ने पहले ही आगाह किया है कि अगर ईरान (Iran) होर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करता है, तो तेल की कीमतें 120 डॉलर से 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकती हैं। यह बढ़ोतरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगी, खासकर विकासशील देशों के लिए, जो पहले से ही महंगाई और आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं।
हालाँकि, इसराइली हमले (Israeli aggression) के बाद ईरान ने स्पष्ट किया कि उसके तेल उत्पादन या आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है। ईरानी (Iran) तेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हमलों में न तो तेल रिफ़ाइनरी को नुकसान पहुँचा और न ही स्टोरेज केंद्रों को।
लेकिन रणनीतिक मामलों के विश्लेषक मानते हैं कि अगर यह संघर्ष आगे बढ़ता है, तो ईरान तेल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को सैन्य सुरक्षा घेरे में ले सकता है या फिर किसी भी आपात स्थिति में होर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करने की घोषणा कर सकता है।
इतिहास गवाह है: होर्मुज़ स्ट्रेट कई बार टकराव का केंद्र रहा है
ईरान-इराक युद्ध (1980–1988):
इस दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे के तेल टैंकरों पर हमले किए थे। कई बार कमर्शियल जहाज़ डूबे और तेल की आपूर्ति में भारी बाधा आई। इस संघर्ष को "टैंकर वॉर" के नाम से जाना जाता है।
1988 – अमेरिकी हमले में ईरानी यात्री विमान गिरा
अमेरिकी नौसेना ने एक ईरानी (Iran) यात्री विमान को मार गिराया, जिसमें 290 निर्दोष नागरिक मारे गए। अमेरिका ने इसे "गलती" बताया, लेकिन ईरान (Iran) ने इसे सोची-समझी साज़िश कहा।
2008 – अमेरिका-ईरान नौसेना टकराव
अमेरिका ने दावा किया कि ईरानी (Iran) नौकाएं तीन अमेरिकी युद्ध का जहाज़ के क़रीब आ गई थीं। जवाब में ईरानी कमांडर ने चेतावनी दी कि अगर हमला हुआ तो अमेरिकी जहाज़ों को कब्ज़े में ले लिया जाएगा।
2012 – ईरान ने दी थी स्ट्रेट बंद करने की धमकी
जब अमेरिका और यूरोपीय देशों ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, तो तेहरान ने होर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करने की चेतावनी दी थी।
2018 – ईरानी राष्ट्रपति रूहानी की चेतावनी
जब अमेरिका ने ईरानी (Iran) तेल निर्यात को पूरी तरह खत्म करने की नीति अपनाई, तो रूहानी ने कहा, "अगर हम तेल नहीं बेच सकते, तो कोई और भी नहीं बेचेगा।"
क्यों बढ़ रहा है तनाव ?
ईरान (Iran) एक इस्लामी गणराज्य है जो इसराइल (Israel) के अस्तित्व को नहीं मानता, वहीं इसराइल (Israel) ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए खतरा मानता है।
ईरान (Iran) ग़ाज़ा में हमास, लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हूथियों जैसे गुटों का समर्थन करता है, जो इसराइल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करते हैं।
इसराइल (Israel) को अमेरिका का पूरा सैन्य और राजनीतिक समर्थन प्राप्त है, जबकि ईरान (Iran) पर पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंध लगे हुए हैं। यह टकराव इन दोनों बड़े देशों को भी आमने-सामने ला सकता है।
निष्कर्ष:
आज जब दुनिया पहले से ही जलवायु परिवर्तन, आर्थिक अस्थिरता और क्षेत्रीय संघर्षों से जूझ रही है, ऐसे में होर्मुज़ स्ट्रेट जैसी संवेदनशील जगह पर तनाव पूरी दुनिया को हिला सकता है।
अगर यह जल मार्ग कभी बंद होता है, चाहे कुछ दिनों के लिए ही क्यों न हो, तो पेट्रोल-डीज़ल से लेकर गैस, बिजली और रोज़मर्रा की चीज़ों की कीमतें बढ़ जाएंगी। भारत जैसे आयात पर निर्भर देश को इसका सीधा और तीखा झटका लगेगा।
इसलिए ज़रूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान-इसराइल (Iran-Israel) जैसे संघर्षों को कूटनीति से सुलझाने की कोशिश करे। वरना हो सकता है कि एक जल मार्ग के बंद होने से दुनिया की अर्थव्यवस्था की साँसें थम जाएँ।