

भारत दुनिया की लगभग 18 प्रतिशत आबादी की जरूरतों को पूरा कर रहा है और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। यह बात भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने डीवी कपूर फाउंडेशन के पहले एनर्जी इनोवेशन अवॉर्ड्स के मौके पर कही। प्रोफेसर सूद ने कहा कि विकास और ऊर्जा की खपत आपस में जुड़े हुए हैं और भारत के भविष्य के विकास के लिए ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी की जरूरतों को पूरा कर रहा है और साथ ही 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य भी पूरा कर रहा है।”
प्रोफेसर सूद ने बताया कि किसी देश का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) यानी मानव विकास सूचकांक ऊर्जा की खपत से गहरे तरीके से जुड़ा हुआ होता है। उन्होंने कहा, “भारत का औसत एचडीआई लगभग 0.67 है, जबकि विकसित देशों का एचडीआई करीब 0.9 है।” उन्होंने कहा कि भारत प्रति व्यक्ति सालाना 21 गीगाजूल ऊर्जा का खपत करता है, जबकि विकास में अंतर को खत्म करने के लिए हमें प्रति व्यक्ति करीब 56 गीगाजूल एनर्जी की जरूरत होगी। उन्होंने भारत में ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार की जरूरत पर जोर दिया और बताया कि भारत के अनुसंधान और विकास क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहा है।
भारत ने अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की शुरुआत की है, जो विकसित भारत के दृष्टिकोण का हिस्सा है। प्रोफेसर सूद ने उन इनोवेटर्स को सम्मानित किया जिन्होंने देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तकनीकी सुधार में योगदान दिया। यह पुरस्कार दो कैटेगरी में दिए गए। पहली कैटेगरी में 38 वर्ष से कम उम्र के युवा इनोवेटर्स को सम्मानित किया गया, जबकि दूसरी कैटेगरी में एनर्जी सेक्टर में टेक्नोलॉजी से संबंधित इनोवेशन करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को सम्मानित किया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और डीवी कपूर फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. सुरेश प्रभु ने देश में एनर्जी इनोवेशन के बदलते परिप्रेक्ष्य पर बात की और एनटीपीसी के फाउंडर चेयरमैन डॉ. डीवी कपूर के योगदान की सराहना की। उन्होंने एनर्जी इनोवेशन अवॉर्ड्स की पहल की भी सराहना की, जो महत्वपूर्ण शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए दिए जाते हैं।
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