
23 सितंबर, 2025 की शाम को दिल्ली में विज्ञान भवन में एक भव्य समारोह का आयोजन हुआ था, जो एक बार फिर भारतीय सिनेमा की चमक-दमक, संघर्ष और सपनों को एक मंच पर ले कर आया है। इस शाम को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (71st National Film Awards) की घोषणा की गई थी और साथ ही कई ऐसे नाम सामने आए, जो लंबे समय से इस पुरस्कार का इंतजार कर रहे थे। इस कार्यक्रम में न सिर्फ मेगा सितारों की जीत हुई, बल्कि नए और बेहद मेहनती कलाकारों को भी यह सम्मान मिला, जिनकी प्रतिभा ने लंबे समय से दर्शकों का दिल जीत रखा है।
शाहरुख-विक्रांत: बेस्ट एक्टर का जीता अवार्ड
शाहरुख खान, जिन्हें हम अक्सर ‘बॉलीवुड के बादशाह’ (king of Bollywood) के नाम से बुलाते हैं, इन्हें 33 साल के करियर में पहली बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के ‘बेस्ट एक्टर’ (Best Actor) के खिताब से नवाज़ा गया है। इनकी यह जीत फिल्म जवान के लिए है। इसके साथ ही, विक्रांत मैसी को भी उनके 12वीं फेल फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का पुरस्कार दिया गया, इसका मतलब साफ़ है कि इस वर्ष इस खिताब को दो अभिनेताओं के बीच साझा किया गया है।
यह साझा सम्मान इस बात को दर्शाता है कि कैसे फिल्मों की विविधता और अभिनय की गुणवत्ता अब हर दिशा से सराही जा रही है। शाहरुख की जीत को पुरस्कृत करना इस बात का संकेत है कि मास-मेडिया और ब्लॉकबस्टर फिल्मों में भी गहराई को देखते हुए उसे महत्व दिया जाता है। वहीं, विक्रांत मैसी (Vikrant Massey) जैसे कलाकार की प्रेरणादायक यात्रा यह दिखाती है कि लगातार कोशिशों को भी पहचान मिलती है।
रानी मुखर्जी की यह पहली राष्ट्रीय जीत
बॉलीवुड की दमदार अभिनेत्री रानी मुखर्जी (Rani Mukherjee) को इस समारोह में मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे (Mrs. Chatterjee vs. Norway) फिल्म के लिए “बेस्ट एक्ट्रेस” (Best Actress) के पुरस्कार से नवाज़ा गया। यह पल उनके लिए बेहद खास है क्योंकि यह उनका भी पहला राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड है। जैसा की उनके दर्शकों ने उन्हें कई यादगार परफॉर्मेंस में देखा है, लेकिन इस सम्मान ने उनकी यात्रा को एक नया मुकाम तक पहुंचा दिया है।रानी मुखर्जी की ये जीत यह संदेश देती है कि चाहे कितनी भी लंबी राह हो, यदि काम अच्छी तरह किया जाए, तो सम्मान मिलना तय है।
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार: मोहनलाल के नाम
इस बार का सबसे भावनात्मक हिस्सा रहा साउथ सुपरस्टार मोहनलाल (South superstar Mohanlal) को दादासाहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Lifetime Achievement Award) मिलना। मोहनलाल ने सिनेमा में वो मुकाम हासिल किया है, जिसने उन्हें अब एक पैन-इंडियन आइकन बना दिया है।
यह पुरस्कार सिर्फ एक “सम्मान” नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा को उनकी दीर्घकालीन सेवा और कला के योगदान का कबूलनामा है। उनके काम ने तमिल, मलयालम, हिंदी और अन्य भाषाओं में सिनेमा की सीमाओं को पार कर दिया है। मोहनलाल की यह जीत, फिल्म कलाकारों को यह प्रेरणा देती है कि एक समर्पित जीवन भी इतिहास रच सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कार और विजेता
अगर हम अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कार की बात करे तो, हमारे फ़ीचर फिल्मों की श्रेणी में ‘12वीं फेल’ को बेस्ट फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। नाल 2 जो की एक मराठी फिल्म है, इसे बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म के लिए चुना गया है। वही सैम बहादुर फिल्म को नेशनल, सोशल वैल्यूज़ को बढ़ावा देने वाली फिल्म का पुरस्कार मिला, इसके बाद ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (Rocky and Rani's love story) को बेस्ट पॉपुलर फिल्म घोषित किया गया है।
निष्कर्ष
इस 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेहतरीन काम चाहे बड़े सितारों की फिल्म में हो या छोटे बजट की फिल्म में, अब फिल्म निर्णायक मंडल उसे पहचानने को तैयार है। शाहरुख और रानी जैसी मशहूर हस्तियों की जीत ने ताजे उत्साह को हवा दी है, जबकि विक्रांत मैसी जैसे हुनरबाज़ कलाकारों की सफलता ने नवोदित कलाकारों को यह संदेश दिया कि मेहनत और लगन से सब मुमकिन है। वहीं मोहनलाल का दादासाहेब फाल्के पुरस्कार हमें यह याद दिलाता है कि सिनेमा सिर्फ आज की सफलता नहीं, बल्कि यह एक दीर्घकालीन कर्म और ज़िम्मेदारी की भी बात है।
ऐसी घटनाएँ आने वाले वर्षों में, हमें उम्मीद देती हैं कि भारतीय सिनेमा और भी विविध होगा,चाहे यह भाषा, विषय या तकनीक हो , इन सभी क्षेत्रों में नए प्रयोग होंगे। और ऐसे पुरस्कार समारोह हमें यह याद दिलाते रहेंगे कि कला का असली मूल्य उसकी पकड़ और पूर्णता में है।
[Rh/SS]