अमिताभ बच्चन(Amitabh Bachchan) एक बेहद मशहूर और खास अभिनेता हैं। भारत और दूसरे देशों के लोग उनके बारे में खूब बातें करते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह अभिनय में और भी बेहतर हो गए हैं, जो वास्तव में प्रभावशाली है। भले ही वह अब बहुत बूढ़े हो गए हैं, लेकिन वह अभी भी एक युवा व्यक्ति की तरह काम करते हैं। 11 अक्टूबर को वह 80 साल के हो जाएंगे, लेकिन उनकी एक्टिंग आज भी देखने लायक है। आइए जानें कि वह एक अभिनेता से राजनीति में कैसे शामिल हुए। (Political career of Amitabh Bachchan)
इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का तीसरा बेटा
बच्चन परिवार लंबे समय से राजनीति से जुड़ा हुआ है। अमिताभ बच्चन, जो एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के बहुत अच्छे दोस्त थे। वे इतने करीब थे कि कुछ लोग अमिताभ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी मानते थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने अमिताभ से राजनीति में आने के लिए कहा और वह मान गये।
हेमवती नंदन को भारी मतों के अंतर से हराया था
अमिताभ बच्चन ने वर्ष 1984 में इलाहाबाद में एक सरकारी पद के लिए चुनाव लड़ा। कुछ लोग उन्हें पसंद नहीं करते थे, उन्होंने उनके बारे में मजाक बनाया और शहर में उनकी तस्वीरें लगाईं। उन्होंने अमिताभ बच्चन को अजीब नाम से पुकारा। लेकिन इन सबके बावजूद, अमिताभ बच्चन ने चुनाव जीता और हेमवती नंदन बहुगुणा नाम के एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति को हराया। बहुगुणा को हराना आसान नहीं था, लेकिन अमिताभ बच्चन ने ये कर दिखाया।
बिग बी(Big B) की वजह से बदला गया राष्ट्रपति भवन का नियम
चुनाव जीतने के बाद बिग-बी सांसद बन गये। उन्हें अन्य सांसदों के साथ राष्ट्रपति भवन में एक फैंसी डिनर के लिए आमंत्रित किया गया था। जब वे खाना खाने बैठे तो उन्होंने देखा कि थालियों पर अशोक स्तंभ का चिन्ह बना हुआ है। इससे बिग-बी को काफी असहज महसूस हुआ और उन्हें लगा कि यह हमारे देश के प्रतीक का अपमान है। उन्होंने इस बारे में सबके सामने बात की और कई लोग उनसे सहमत भी हुए। उनके कहे के चलते राष्ट्रपति भवन की सभी प्लेटों से प्रतीक चिह्न हटाने का नया नियम बनाया गया।
राजीव गांधी(Rajiv Gandhi) भी चाहते थे बिग बी का इस्तीफा
अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी कितने करीब थे, इस पर रशीद किदवई नाम के एक मशहूर लेखक ने किताब लिखी थी। किताब में कहा गया है कि 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमिताभ बच्चन कांग्रेस पार्टी में काफी अहम हो गए। लोग राजीव गांधी से कह रहे थे कि अमिताभ बच्चन इस बात में दखलअंदाजी कर रहे हैं कि सरकार में किसे महत्वपूर्ण नौकरियां मिलें। पार्टी के कुछ नेता अमिताभ बच्चन की शिकायत राजीव गांधी से भी कर रहे थे। किताब में यह भी कहा गया है कि राजीव गांधी खुद चाहते थे कि अमिताभ बच्चन इस्तीफा दें।
इस वजह से छोड़ दी राजनीति
राजनीति बदली और अमिताभ बच्चन का नाम बोफोर्स घोटाले में शामिल हो गया। इस वजह से उनका राजनीति से मोहभंग हो गया और उन्होंने इसमें शामिल होना बंद कर दिया। वह केस को ब्रिटेन की अदालत में लेकर गए और जीत गए, लेकिन इससे वह गांधी परिवार से अलग हो गए।अमिताभ बच्चन फिर कभी राजनीति में नहीं आये। (AK)