

आज अनिल कपूर (Anil Kapoor) को बॉलीवुड का एवरग्रीन और एनर्जेटिक स्टार माना जाता है। अक्सर हम किसी भी बॉलीवुड एक्टर के स्टार बनने पर खूब तारीफ करते हैं लेकिन उनकी उस मेहनत के पीछे उनके स्ट्रगल की कहानी छुपी होती है जिन्हें अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब अनिल कपूर को अपने परिवार के साथ मुंबई में पृथ्वीराज कपूर के घर के गेराज में रहना पड़ा था। गरीबी और भविष्य की चिंता के बीच उन्होंने अपने सपनों को जिंदा रखा और मेहनत के दम पर इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई। तो आइए आज जानतें है कि आखिर अनिल कपूर जीरो से हीरो कैसे बनें?
अनिल कपूर (Anil Kapoor) का जन्म 24 दिसंबर 1959 को मुंबई में हुआ था| उनके पिता सुरेंद्र कपूर हिंदी सिनेमा के जाने-माने फिल्म निर्माता थे, लेकिन इसके बावजूद अनिल कपूर का बचपन किसी शाही ठाठ बाट में नहीं बिता। परिवार की आर्थिक स्थिति साधारण थी और संसाधन बिल्कुल सीमित। फिल्मों का माहौल जरूर था लेकिन अनिल कपूर के लिए बॉलीवुड में जगह बनाना उतना ही मुश्किल था, जितना की किसी नॉन फिल्म बैकग्राउंड के लोगों के लिए था। पिता के निर्माता होने के बावजूद उन्हें ना तो बड़े बैनर का सहारा मिला और ना ही तुरंत मुख्य भूमिका मिली। शुरुआती दिनों में उन्हें छोटे रोल और फ्लॉप फिल्मों से गुजरना पड़ा। बचपन से ही अनिल कपूर मेहनती, डिसिप्लिन और कॉन्फिडेंट थे वे जानते थे कि केवल पारिवारिक पहचान से सफलता नहीं मिलती इसके लिए संघर्ष और धैर्य जरूरी है।
अनिल कपूर की बॉलीवुड में एंट्री बिल्कुल आसान नहीं रही। शुरुआती दौर में उन्हें छोटे और फ्लॉप रोल मिले जिसे पहचान बन पाना काफी मुश्किल हुआ। उनकी शुरुआती कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं, जिससे करियर पर सवाल भी खड़े होने लगे। लगातार फ्लॉप फिल्मों के कारण उन्हें कई प्रकार की आर्थिक तंगियों से भी जूझना पड़ा। इस दौर में अनिल कपूर को कई ऑडिशन देने पड़े लेकिन अक्सर उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता था। कई बार उन्हें यह भी सुना पड़ा कि वह हीरो बनने के लिए फिट नहीं है इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी वह हर असफलता को सिख के रूप में लेते रहे और खुद को बेहतर बनाते रहे।
जब कई फिल्में फ्लॉप होने लगीं तब अनिल कपूर को आर्थिक तंगियों का सामना करना पड़ा उनके पास रहने के लिए कोई पक्का घर भी नहीं था, ऐसे में पृथ्वीराज कपूर ने उनकी मदद की और अपने घर के गैरेज में रहने के लिए जगह दे दी। यही गैरेज कुछ सालों तक अनिल कपूर और उनके परिवार का रहने का जगह बन गया। उस समय अनिल कपूर बहुत छोटे थे लेकिन उन्होंने मुश्किल हालात को करीब से देखा था गैरेज में सीमित जगह, कम सुविधाएं और भविष्य की चिंता के बीच परिवार ने दिन गुजारे थे। इसके बाद कपूर परिवार एक छोटे से चॉल के कमरे में शिफ्ट हुआ जहां हालात थोड़े बेहतर हुए लेकिन संघर्ष तब थी जारी था। अनिल कपूर ने अपने कई इंटरव्यूज में इसके बारे में बात करते हुए बताया था कि वह ऐसा दौर था जब किसी रोल से ज्यादा पैसा मायने रखता था, क्योंकि परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी, मेहनत रंग लाई और फिर उन्हें अपने जिंदगी का पहला ब्रेक मिला जिन्होंने अनिल कपूर को स्टार बना दिया।
अनिल कपूर के करियर में फिल्म मार्शल एक बड़ा मोड़ साबित हुई। इस फिल्म का निर्देश दिग्गज फिल्मकार यश चोपड़ा ने किया था| लंबे संघर्ष और लगातार असफलताओं के बीच मार्शल में अनिल कपूर को एक गंभीर और प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर मिला। फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी हिट ना हो रही हो लेकिन अनिल कपूर की एक्टिंग क्वालिटी को इंडस्ट्री ने गंभीरता से नोटिस किया। फिल्म के रिलीज होने की शुरुआती 7 दिनों के भीतर हैं उनके अभिनय की चर्चा होने लगी और कई निर्देशों को की नजर उन पर पड़ी।
1980 और 1990 का दशक अनिल कपूर के करियर का सबसे शानदार दौर माना जाता है, इस समय उन्होंने तेजाब, मिस्टर इंडिया, राम लखन और बेटा जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया जो आज भी क्लासिक मानी जाती हैं, इन फिल्मों ने उन्हें हर वर्ग के दर्शकों का चहिता बना दिया। अनिल कपूर की खासियत थी कि वह एक्शन, इमोशन और कॉमेडी तीनों को सामान प्रभाव से निभा लेते थे। इस बहुमुखी प्रतिभा के लिए उन्हें कई फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। तेजाब और बेटा जैसे फिल्मों ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार दिलाए लगातार हिट फ़िल्में और दमदार अभिनय के दम पर अनिल कपूर को बॉलीवुड में सुपरस्टार का दर्जा मिला और व्यक्ति 90 के दशक के सबसे भरोसेमंद और एंटरटेनिंग अभिनेताओं में गिने जाने लगे।
2000 के बाद हिंदी सिनेमा में एक बड़ा बदलाव आया नए कलाकार, नई सोच और अलग तरह की कहानी सामने आने लगी। ऐसे समय में कई पुराने सितारे पीछे छूट गए लेकिन अनिल कपूर ने खुद को समय के अनुसार ढाल लिया उन्होंने लीड हीरो की छवि से बाहर निकलकर मजबूत करेक्टर रोल करना शुरू किया। वेलकम, दिल धड़कने दो और नायक 2.0 जैसी फिल्मों में उन्होंने साबित किया की उम्र बढ़ाने के साथ अभिनय और निखर सकता है। पिता, नेता और गंभीर किरदारों में उनकी गहराई को दर्शकों ने खूब सराहा। यह उनकी अडॉप्ट करने की कला का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस दौर में अनिल कपूर को अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म भी मिले स्लमडॉग मिलियनेयर में उनकी भूमिका को दुनिया भर में सराहना मिली। इसके बाद उन्होंने अमेरिकी टीवी सीरीज 24 में काम किया जिससे वह हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाने में सफल हुए।
अनिल कपूर की प्रेम कहानी बॉलीवुड की सबसे सादगी पूर्ण और स्थिर प्रेम कहानियों में गिनी जाती है उनकी जिंदगी में प्यार की शुरुआत सुनीता कपूर से हुई जो आगे चलकर उनकी जीवन संगिनी बनी। दोनों की मुलाकात अनिल कपूर के संघर्ष के दिनों में हुई थी जब वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे। अनिल कपूर और सुनीता ने लंबे समय तक एक दूसरे को डेट किया उसे दौर में अनिल कपूर का कैरियर और निश्चित था। आर्थिक परेशानी थी लेकिन सुनीता हर मुश्किल समय में उनके साथ खड़ी रही यही भरोसा और समझ उनके रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत बनी कई सालों बाद सन 1984 में दोनों ने शादी कर ली यह वही समय था जब अनिल कपूर का कैरियर धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा था।
आज अनिल कपूर 69 के हो चुके हैं लेकिन अधिक उम्र होने के बावजूद वे आज भी युवा कलाकारों को फिटनेस के मामले में टक्कर देते हैं। अनिल कपूर की एक्टिंग, उनका डिसिप्लिन और उनका डेली वर्कआउट उन्हें आज भी फिट रखता है और बॉलीवुड के सभी युवा कलाकारों को आज भी टक्कर देता है। [Rh]