बिग बॉस 19 में अशनूर कौर पर साथी कंटेस्टेंट्स ने की बॉडी शेमिंग, जिसके बाद सोशल मीडिया पर मचा बवाल।
समाज में अब भी सुंदरता का मतलब माना जाता है, गोरी, पतली और लंबी लड़की।
बॉडी शेमिंग से लड़कियों का आत्मविश्वास टूटता है और यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है।
हाल ही में रियलिटी शो बिग बॉस 19 (Bigg Boss 19) में एक घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। मशहूर अभिनेत्री अशनूर कौर (Ashnoor Kaur) के शरीर को लेकर कुछ कंटेस्टेंट्स ने अपमानजनक बातें कही। किसी ने कहा कि वह “मोटी” हो गई हैं, तो किसी ने उनके चेहरे का मज़ाक उड़ाते हुए उसे “गुब्बारे जैसा” कहा। ये बातें भले ही मज़ाक में कही गई हों, लेकिन असल में यह बॉडी शेमिंग का एक बहुत बड़ा उदाहरण था।
सोशल मीडिया (social media) पर जैसे ही यह वीडियो फैला, लोगों ने जमकर नाराज़गी जताई। फैन्स ने कहा कि यह व्यवहार शर्मनाक है और इस तरह की बातें किसी की भावनाओं को चोट पहुँचा सकती हैं। कई सेलेब्रिटीज़ ने भी अशनूर का साथ दिया और कहा कि अब समय आ गया है जब ऐसी सोच को बदलना होगा।
आजकल सोशल मीडिया पर हर जगह “अपने शरीर से प्यार करो”, “हर शेप खूबसूरत है” जैसे कैप्शन देखने को मिलते हैं। लोग पोस्ट्स में बॉडी पॉज़िटिविटी (Body Positivity) की बातें करते हैं, लेकिन जब असल ज़िंदगी में किसी लड़की का वज़न थोड़ा बढ़ जाए, त्वचा थोड़ी साँवली हो या हाइट थोड़ी कम हो, तो वही समाज उसकी हँसी उड़ाने लगता है।
यही दिखाता है कि हम सिर्फ बोलते हैं, मानते नहीं हैं। हमारे समाज में अब भी खूबसूरती की परिभाषा बहुत सीमित है, गोरी त्वचा, पतला शरीर और लंबी हाइट। अगर कोई लड़की इन मानकों पर पूरी नहीं उतरती, तो उसे तुरंत आलोचना का सामना करना पड़ता है।
ऐसे कमेंट्स सुनकर लड़कियों का आत्मविश्वास (self-confidence) टूट जाता है। वे खुद से शर्माने लगती हैं, अपने शरीर से नफरत करने लगती हैं और दूसरों से तुलना करने लगती हैं। बहुत सी युवा लड़कियाँ इस वजह से डिप्रेशन (Depression), एंग्जायटी (Anxiety) और खाने से जुड़ी परेशानियों (eating disorders) से जूझने लगती हैं।
बॉडी शेमिंग को लोग अक्सर “मजाक” कहकर टाल देते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह किसी के मन पर गहरा घाव छोड़ जाती है। यह सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि भावनात्मक हिंसा (Emotional Violence) होती है, जो इंसान की आत्म-सम्मान को तोड़ देती है।
अब समय आ गया है कि हम यह समझें कि हर शरीर अलग होता है और हर इंसान अपने तरीके से खूबसूरत है। सुंदरता का कोई तय मापदंड नहीं होना चाहिए। मीडिया, टीवी शो और विज्ञापनों को भी यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए
हमें बच्चों और युवाओं को यह सिखाना चाहिए कि किसी के शरीर पर टिप्पणी करना “हास्य” नहीं बल्कि अपमान है। असली बॉडी पॉज़िटिविटी तब आएगी जब हम एक-दूसरे को उनके असली रूप में स्वीकार करना सीखेंगे।
अशनूर कौर (Ashnoor Kaur) के साथ जो हुआ, वह सिर्फ एक लड़की की कहानी नहीं है, यह हमारे समाज की मानसिकता का आईना है। जब तक हम महिलाओं को उनके शरीर, रंग और आकार से आंकते रहेंगे, तब तक “बॉडी पॉज़िटिविटी” सिर्फ एक सोशल मीडिया ट्रेंड (Trend) बनकर रह जाएगी।
(Rh/BA)