
हिंदी सिनेमा के बिग बी यानी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) फिल्मों में आने से पहले अपने पिता हरिवंश राय बच्चन (Harivanshrai Bachchan) के नाटकों में काम किया करते थे। और सबसे पहला ब्रेक उन्हें अपने पिता के नाटकों से ही मिला था। आपको बता दें कि अमिताभ बच्चन का मुख्य काम नाटकों में पर्दा उठाने और गिरने का हुआ करता था। तो चलिए आज आपको अमिताभ बच्चन के बचपन की एक दिलचस्प कहानी बताते हैं।
दरअसल हिंदी के प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन (Harivanshrai Bachchan) ने शेक्सपियर के मशहूर नाटक मैकबेथ का हिंदी अनुवाद किया था। और उसका निर्देशन भी हरिवंश राय बच्चन नहीं किया था। 1958 में जब दिल्ली में पहली बार नाटक खेला गया तो उसमें तेजी बच्चन ने लेडी मैकबेथ की भूमिका निभाई थी और उसे नाटक का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
जब नाटक के लिए पत्रों का चुनाव हो रहा था तो तेजी बच्चन की चाहती थी कि उनके पुत्र अमिताभ बच्चन को भी कोई भूमिका मिले लेकिन हरिवंश राय बच्चन ने उन्हें कोई रोल नहीं दिया इस पर तेजी बच्चन काफी नाराज हुई और शिकायतें की। तब बच्चन जी ने कहा कि नाटक के निदेशक वीरेंद्र नारायण है इसलिए उन्हें ही नाटक में किसी को रोल देने या ना देने का अधिकार है।इसके बाद हरिवंश राय बच्चन ने अपने पुत्र अमिताभ बच्चन को नाटक के पर्दे खींचना और गिरने की भूमिका दी उसे समय अमिताभ बच्चन 16 साल के थे। और यही से शुरुआत हुई अमिताभ बच्चन के पहले काम की।
विजेंद्र नारायण नाटक के क्षेत्र में एक काफी फेमस नाम है आज विजेंद्र नारायण हमारे बीच भले ही जिंदा ना हो लेकिन उनके पुत्र विजय नारायण अपने पिता के सपनों को आगे ले जाते हुए नजर आते हैं।
विजय नारायण (Vijendra Narayan) ने एक वार्ता में बताया कि जब उनके पिता जेल में थें तब से ही उन्होंने नाटक लेखन शुरू किया और कैदियों ने उनका मंचन किया। वर्ष 1952 में नाटक शरद चंद्र लिखा था। 1960 में नेत्रहीन पर नाटक सूरदास लिखा था। भारत में सॉन्ग एंड ड्रामा डिवीज़न में काम करते हुए उन्होंने कई नाटक लिखे और देश में लाइट एंड साउंड प्रोग्राम के सूत्रधार थे। हरिवंश राय बच्चन उनके साथ ही मिलकर काम किया करते थे और नाटक में अपना योगदान देते थे।