1954 की वह मशुर फिल्म जिसे देखने के लिए मुम्बई के सभी टैक्सी ड्राइवर थे गायब

90s में देवानंद का जादू पूरी फिल्म इंडस्ट्री में फैला हुआ था लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया। इन से जुड़ा एक किस्सा है कि ईनकी एक फिल्म के कारण मुंबई की एक शाम को सभी टैक्सियां गायब हो गई थी।
Bollywood:- 90s में देवानंद का जादू पूरी फिल्म इंडस्ट्री में फैला हुआ था [Wikimedia Commons]
Bollywood:- 90s में देवानंद का जादू पूरी फिल्म इंडस्ट्री में फैला हुआ था [Wikimedia Commons]
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Bollywood:- कहते हैं की फिल्म समाज का आईना होती है। कई बार फिल्मों को देखकर समाज की बुराइयों और लोगों के हृदय भी परिवर्तित हो जाते हैं। फिल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि एक नई प्रेरणा लेकर भी आती हैं। जब फिल्में इतना बदलाव करते हैं तो सोचिए कि उन फिल्मों में काम करने वाले किरदार कितने महत्वपूर्ण होंगे। जब फिल्मों की शुरुआत हुई थी उसे वक्त के सभी अभिनेता या अभिनेत्री समाज के लोगों के लिए एक आदर्श के समान हुआ करते थे। ऐसे ही एक अभिनेता थे देवानंद। 90s में देवानंद का जादू पूरी फिल्म इंडस्ट्री में फैला हुआ था लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया। इन से जुड़ा एक किस्सा है कि ईनकी एक फिल्म के कारण मुंबई की एक शाम को सभी टैक्सियां गायब हो गई थी। जी हां टैक्सी यहां गायब होने के पीछे का कारण देवानंद और उनकी फ़िल्म थी तो चलिए इससे जुड़े एक दिलचस्प किस्सा आपको बताते हैं। 

कहा गायब थीं टैक्सीयां?

दरअसल 1954 में देवानंद की एक मशहूर फिल्म आई थी जिसका नाम ही “टैक्सी ड्राइवर” था। इस फिल्म को लेकर मुंबई के टैक्सी ड्राइवर में एक अलग ही उत्साह था। जब हम किसी के जीवन पर या किसी मशहूर प्रोफेशन पर फिल्में बनाते हैं तो उससे उस प्रोफेशन के लोगों में एक अलग ही उत्साह और इमोशन आने लगते है, ठीक ऐसा ही उसे वक्त देवानंद की फिल्म टैक्सी ड्राइवर को लेकर हुआ था। मुंबई की एक शाम सभी टैक्सी ड्राइवर और उनकी टैक्सियां सिनेमा घरों के बाहर लाइन से लगी हुई पाई गई और वे लोग देवानंद किस फिल्म का आनंद उठा रहे थे। यह फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' थी, जो हल्के-फुल्के शोरगुल वाली शहरी रोमांस फिल्म थी, जिसमें देव आनंद, कल्पना कार्तिक और शीला रमानी ने लीड रोल में थे। यह उस साल टैक्सी ड्राइवरों को दिखाने वाली फिल्म थी, देव आनंद के दोस्त गुरु दत्त ने भी अपनी 'आर पार' रिलीज की थी, जिसका फोकस और कहानी काफी हद तक समान थी, लेकिन कोई भी फिल्म दूसरे पर भारी नहीं पड़ी।

मुंबई की एक शाम सभी टैक्सी ड्राइवर और उनकी टैक्सियां सिनेमा घरों के बाहर लाइन से लगी हुई पाई गई [Pixabay]
मुंबई की एक शाम सभी टैक्सी ड्राइवर और उनकी टैक्सियां सिनेमा घरों के बाहर लाइन से लगी हुई पाई गई [Pixabay]

इस फ़िल्म के पिछे है एक दिलचस्प किस्सा

देव आनंद के पास इस फिल्म को एक से अधिक कारणों से याद रखने का अच्छा कारण था। शूटिंग ब्रेक के दौरान वह और लीड एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक गायब हो गए और पति-पत्नी के रूप में वापस आ गए। वह ईगल-आइड कैमरामैन वी. रात्रा ही थे जिन्होंने देखा कि नायिका एक अंगूठी पहने हुए थी, जो उसके पास पहले नहीं थी। दूसरी ओर, देव आनंद की उतावलेपन की वजह से उनके पिता के साथ झगड़ा हुआ, लेकिन वर्षों तक इसे चुपचाप भुला दिया गया और अंततः दोनों में सुलह हो गई। 

शूटिंग ब्रेक के दौरान वह और लीड एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक गायब हो गए और पति-पत्नी के रूप में वापस आ गए।[Wikimedia Commons]
शूटिंग ब्रेक के दौरान वह और लीड एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक गायब हो गए और पति-पत्नी के रूप में वापस आ गए।[Wikimedia Commons]Picasa

बजट कम पर कमाई ज्यादा

देव आनंद ने अपनी आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ में इस बात का खुलासा किया की टैक्सी ड्राइवर फिल्म उन्होंने अपने भाई के पैसों की तंगी को दूर करने के लिए की थी।देव आनंद ने खुलासा किया था कि यह फिल्म बहुत ही छोटी यूनिट के साथ बहुत ही कम बजट में बनाई गई थी, जिसे ज्यादातर शहर में लोकेशन पर, पूरे दिन, एक छोटे हाथ से पकड़े जाने वाले फ्रेंच कैमरे से शूट किया गया था और इसे शूट करने में केवल पांच सप्ताह लगे थे, लेकिन इस फिल्म को दर्शकों ने खूब प्यार दिया और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में खूब कमाई की। 

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