Bollywood Films Based on Books: किताबों से निकली बॉलीवुड की खूबसूरत कहानियां
सार (Summary):
इस लेख में हम जानेंगे कि कौन-कौन सी बॉलीवुड फिल्म्स बेस्ड ऑन बुक्स (Bollywood films based on books) हैं जिन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई।
हर फिल्म किस किताब से प्रेरित है और उसमें क्या खासियत है, ये भी बताया गया है।
आखिर में समझेंगे कि क्यों किताबें फिल्मों के लिए सबसे खूबसूरत प्रेरणा बनती हैं।
हर अच्छी फिल्म की शुरुआत एक अच्छी कहानी से होती है, और कई बार वो कहानी किसी किताब के पन्नों से आती है। किताबों में जो भावनाएं, रिश्ते और सोच छुपी होती हैं, वो जब परदे पर उतरती हैं तो लोगों के दिलों तक पहुंचती हैं। (Bollywood films based on books) किताबो पर आधारित बॉलीवुड फिल्में इस बात का सबूत हैं कि साहित्य और सिनेमा एक-दूसरे के सबसे अच्छे साथी हैं। चलिए जानते हैं कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जो किताबों से निकलीं और परदे पर जादू बन गईं।
1. देवदास
सरतचंद्र चट्टोपाध्याय की मशहूर बंगाली कहानी "देवदास" (Devdas) से बनी ये फिल्म आज भी सबसे भावुक प्रेम कहानियों में गिनी जाती है। संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की 2002 की ‘देवदास’ ने इस क्लासिक को भव्य सेट, शानदार संगीत और गहरी भावनाओं के साथ फिर से जिंदा किया। देवदास, पारो और चंद्रमुखी की कहानी ने यह दिखाया कि प्यार में हारने वाला भी दिल से जीत सकता है। फिल्म का हर दृश्य एक पेंटिंग जैसा खूबसूरत लगता है।
2. आयशा
फिल्म "आयशा" (Aisha) साल 2010 में आई और ये जेन ऑस्टिन की मशहूर किताब “Emma” से प्रेरित है। इसमें सोनम कपूर (Sonam Kapoor) ने दिल्ली (Delhi) की एक अमीर और स्टाइलिश लड़की आयशा का किरदार निभाया है, जो लोगों की शादी कराने का शौक रखती है। पर कहानी धीरे-धीरे सिखाती है कि प्यार और दोस्ती को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। यह फिल्म दिखाती है कि पुराने समय की एक अंग्रेजी कहानी को आज के मॉडर्न इंडिया में कितनी खूबसूरती से ढाला जा सकता है।
3. मकबूल
विषाल भारद्वाज की "मकबूल" (Maqbool) फिल्म विलियम शेक्सपीयर की “Macbeth” पर आधारित है। लेकिन इस कहानी को उन्होंने मुंबई (Mumbai) के अपराध जगत में सेट किया। मकबूल नाम का एक गैंगस्टर अपनी महत्वाकांक्षा और अपराधबोध में धीरे-धीरे खुद को खत्म कर देता है। फिल्म के गहरे संवाद और वातावरण बताते हैं कि लालच और डर इंसान को किस हद तक गिरा सकते हैं। ये फिल्म साबित करती है कि पुरानी अंग्रेजी कहानियां भी भारतीय समाज में उतनी ही सजीव लग सकती हैं।
4. हैदर
"हैदर" (Haider) भी शेक्सपीयर की हैमलेट (Hamlet) से प्रेरित है। लेकिन इसमें कहानी को कश्मीर की पृष्ठभूमि में रखा गया है। शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) ने हैदर का किरदार इतने दर्द और गुस्से से निभाया कि दर्शक उसकी पीड़ा महसूस कर लेते हैं। फिल्म में एक बेटे का बदले की आग और एक देश की राजनीतिक सच्चाई, दोनों एक साथ चलती हैं। हैदर एक ऐसी फिल्म है जो सोचने पर मजबूर करती है कि सच्चाई, बदला और इंसानियत में असली जीत किसकी होती है।
5. 3 इडियट्स
चे़तन भगत की किताब फाइव पॉइंट समवन (Five Point Someone) पर बनी "3 इडियट्स" (3 Idiots) ने लाखों छात्रों को हंसाया भी और सोचने पर भी मजबूर किया। आमिर खान (Amir Khan), आर. माधवन और शरमन जोशी की दोस्ती वाली ये फिल्म बताती है कि डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है अपनी पसंद का रास्ता चुनना। यह फिल्म किताब से थोड़ी अलग है लेकिन इसका दिल वही है, ज़िंदगी में सच्ची सफलता वो है जो खुशी दे, दबाव नहीं।
6. परिणीता
सरतचंद्र चट्टोपाध्याय की ही एक और रचना "परिणीता" (Parineeti) को 2005 में बड़े परदे पर उतारा गया। इसमें विद्या बालन और सैफ अली खान ने प्यार की एक सादी लेकिन दिल छू लेने वाली कहानी दिखाई। कोलकाता की पुरानी गलियों में बसी ये फिल्म सिखाती है कि सच्चा प्यार अक्सर गलतफहमियों में भी अपनी राह ढूंढ लेता है। फिल्म का संगीत और माहौल जैसे पुराने ज़माने की मिठास जिंदा कर देता है।
7. राज़ी
"राज़ी" (Raazi) हरिंदर सिक्का की किताब “Calling Sehmat” पर आधारित है। इसमें एक भारतीय लड़की अपने देश के लिए दुश्मन देश में जाकर जासूसी करती है। आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने सेहमत का किरदार बहुत संवेदनशीलता से निभाया। फिल्म में देशभक्ति के साथ-साथ एक बेटी और एक पत्नी की भावनाओं को भी बहुत गहराई से दिखाया गया है। राज़ी यह सिखाती है कि सच्चा देशप्रेम कभी दिखावे से नहीं, बल्कि त्याग से साबित होता है।
8. ओंकारा
शेक्सपीयर की ओंकारा “Othello” से प्रेरित ओंकारा की कहानी उत्तर प्रदेश के देहाती माहौल में सेट है। अजय देवगन (Ajey Devgn), करीना कपूर (Kareena Kapoor) और सैफ अली खान (Saif Ali Khan) ने इसमें शानदार अभिनय किया। फिल्म दिखाती है कि जलन और शक कैसे प्यार को नष्ट कर देते हैं। भाषा, संवाद और लोक-संस्कृति ने इस फिल्म को इतना असली बना दिया कि यह किताब की आत्मा को भी पीछे छोड़ देती है।
9. देव.डी
अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) की देव.डी (Dev. D) वही पुरानी देवदास की कहानी है लेकिन एक नए दौर की। इसमें देवदास शराब में नहीं, अपने अकेलेपन और खुद से लड़ाई में डूबता है। फिल्म में आज की पीढ़ी की हकीकत दिखती है, प्यार में टूटन, आधुनिक रिश्तों की उलझनें और आत्मखोज। (Dev. D) साबित करती है कि एक ही कहानी हर दौर में नए मायने ले सकती है।
10. गाइड
आर.के. नारायण की दी गाइड (The Guide) से बनी यह फिल्म एक गाइड की ज़िंदगी की कहानी कहती है जो गलती करने के बाद खुद को पहचानना सीखता है। देवानंद और वहीदा रहमान की यह फिल्म आत्मज्ञान, प्रेम और पश्चाताप की गहराई को बहुत खूबसूरती से दिखाती है। 'गाइड' (Guide) यह सिखाती है कि हर इंसान अपने अंदर एक नई शुरुआत खोज सकता है।
निष्कर्ष
किताबें वो खज़ाना हैं जिनसे बॉलीवुड (Bollywood) को उसकी सबसे सुंदर कहानियां मिली हैं। एक अच्छा फिल्मकार वही है जो किताब की आत्मा को समझे और उसे परदे पर ऐसे दिखाए कि दर्शक हर भावना महसूस कर सके। बॉलीवुड फिल्म्स बेस्ड ऑन बुक्स (Bollywood films based on books) हमें ये याद दिलाती हैं कि चाहे समय बदल जाए, कहानियों का जादू कभी पुराना नहीं होता। जब साहित्य और सिनेमा मिलते हैं, तब दिलों में बसने वाली फिल्में बनती हैं। किताबें कहानियों को जन्म देती हैं और फिल्में उन कहानियों को ज़िंदगी देती हैं, यही है बॉलीवुड और साहित्य का सबसे खूबसूरत रिश्ता।
(Rh/Eth/BA)