Dreaded Villain Of Bollywood : प्राण कृष्ण सिकंद अहलूवालिया, जिन्हें उनके उपनाम प्राण से जाना जाता है। इनका जन्म आज़ादी से पहले 12 फरवरी 1920 में हुआ था। इनकी गिनती भारतीय सिनेमा के इतिहास में अब तक के सबसे महान खलनायकों में होती है। प्राण साहब की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने कभी अपने किरदार को दोहराया नहीं। प्राण ने सिल्वर स्क्रीन पर खलनायक बन कर ऐसी प्रतिभा दिखाई कि लोग उनसे डरने लगे थे। आपको बता दे की एक समय आया जब प्राण हीरो से भी ज्यादा फीस लेने वाले विलेन बन गए।
वे विभाजन से पहले लाहौर में एक फोटोग्राफर के सहायक के रूप में काम करते थे, लेकिन एक दिन प्राण साहब लाहौर के बाजार में पान खा रहे थे और खाते हुए अनोखे अंदाज में बात कर रहे थे। उनके इसी अंदाज पर फिदा होकर पंजाबी फिल्मों के राइटर और डायरेक्टर मोहम्मद वली जो वही मौजूद थे, वे तुरंत प्राण को एक फिल्म ऑफर कर दी।
प्राण ने पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्हें पहली हिंदी फिल्म ‘खानदान’ में नूर जहां के साथ काम करने का अवसर मिला। आजादी से ठीक पहले हुए दंगों और सांप्रदायिक साजिशों ने प्राण को 1947 में बॉम्बे आने के लिए मजबूर कर दिया। उन्हे वहां काम मिलना बंद होगया। वह फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगाने लगे फिर भी कुछ हासिल नहीं हुआ।
प्राण अपनी पत्नी और एक बेटे के साथ ताज होटल में रह रहे थे। लेकिन, धीरे - धीरे उनके पास पैसे खत्म होने लगे, और एक ऐसा भयानक समय आया जब उन्हें होटल का किराया चुकाने के लिए अपनी पत्नी की सोने की चूड़ियां बेचनी पड़ीं थी। उन्होंने धीरज रखा और मेहनत की और फिर वे बॉलीवुड के सबसे बड़े विलेन बन गए।
प्राण इकलौते ऐसे एक्टर थे, जो फिल्मों में काम करने के लिए मेकर्स से हीरो जितनी या फिर हीरो से भी ज्यादा पैसे लेते थे। प्राण ने ज्यादातर फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाई है। उन्हें 2000 में स्टारडस्ट द्वारा "विलेन ऑफ द मिलेनियम" से सम्मानित किया गया। कला में उनके योगदान के लिए 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया । उन्हें 2013 में भारत सरकार द्वारा सिनेमा कलाकारों के लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।