Entertainment News:- बॉलीवुड में अक्सर ऐसा होता है की एक ही नाम से कई फिल्में बन जाती हैं। टाइटल एक ही होने के बावजूद फिल्मों की कहानी किरदार सभी अलग-अलग होते हैं। लेकिन इंटरेस्टिंग बात तब होती है जब एक ही टाइटल वाली फिल्म पर मां और बेटी दोनों ने हिट फिल्में दी हों। हम बात कर रहें है डेविड धवन की फिल्म ‘हसीना मान जायेगी’ की।
1999, में बनी फिल्म हसीना मान जायेगी के डायरेक्टर डेविड धवन साहब थे। यह फिल्म बड़े पर्दे पर खुब धमाल मचाई थी। 9 करोड़ में बनी फिल्म बॉक्सऑफिस पर करीबन 14.5 करोड़ की कमाई थी, और वर्ल्ड वाइड इसने 26.5 करोड़ कलेक्ट किया था। इस फिल्म में गोविंदा, संजय दत्त, पूजा बत्रा, और करिश्मा कपूर जैसे क़िरदार थे। इनकी जोड़ी लोगों को खुब भाई थी, और यह एक कॉमेडी फिल्म थी। 1999 में रिलीज़ इस फिल्म को लोगों ने खुब प्यार दिया था, और यह फिल्म करिश्मा कपूर के लिए बेहद ख़ास थी, और उन्होंने अपनी खुशी भी जाहिर की थीं। हसीना मान जाएगी' को डायरेक्टर डेविड धवन ने डायरेक्ट किया था।
भले ही इस फिल्म को आप कॉमेडी या फिर रोमांस या ड्रामा के रूप में लें. लेकिन इसकी कहानी दो शरारती भाइयों की थी। जिनके कारनामों के इर्द-गिर्द पूरी फिल्म बनी थी। फिल्म में संजय दत्त और गोविंदा भाई बने थे। करिश्मा संग गोविंदा की जोड़ी बनी थी जबकि संजय दत्त के अपोजिट पूजा बत्रा थी।
आपको बता दें कि 'हसीना मान जाएगी' फिल्म करिश्मा के लिए सदाबहार फिल्म है। वह इस फिल्म को करने के बाद बेहद खुश थीं। ऐसा इस लिए क्योंकि 'हसीना मान जाएगी' नाम से उनकी मां बबीता कपूर ने भी एक फिल्म की थी। फिल्म साल 1968 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में बबीता की जोड़ी शशि कपूर के साथ बनी थी। इस फिल्म को प्रकाश मेहरा ने निर्देशित किया था। यह उस साल कि नौवीं सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म थी। आपको बता दें कि रियल लाइफ में शशि कपूर के भतीजे रणधीर कपूर से बबीता की शादी हुई थी।
ऐसे में रिश्ते में शशि कपूर करिश्मा के दादा थे। हालांकि फिल्म के बनने के वक्त बबीता की शादी नहीं हुई थी। बाद में जब साल 1999 में करिश्मा के हाथ जब 'हसीना मान जाएगी' फिल्म हाथ लगी तो उन्होंने बिना देरी किये इस फिल्म के हामी भर दी थी, क्योंकि मां की फ़िल्म के नाम की बानी दुसरी फिल्म करने में करिश्मा कपूर ने अपना सौभाग्य समझा। 31 साल बाद बनी करिश्मा की फिल्म ने भी दर्शकों का जीत लिया था जैसे उनके दादा और मां ने साल 1968 में जीता था। आज भी यह दोनों फिल्म दर्शकों के दिल के बेहद करीब है, और कई ऐसी फिल्में बन ही जाती है जिसमे मां बेटी या पिता बेटे ने एक ही टाइटल पर फिल्म बनाई हो।