श्रीदेवी: सिनेमा की अमर रानी

बचपन से पर्दे पर चमकने वाली श्रीदेवी ने मेहनत, प्रतिभा और अनोखे अंदाज़ से भारतीय सिनेमा में राज किया। उनकी अदाकारी, फैशन और फिल्मों ने उन्हें करोड़ों दिलों की धड़कन और सच्ची ‘फीमेल सुपरस्टार’ बना दिया।
बचपन से पर्दे पर चमकने वाली श्रीदेवी [Sora Ai]
बचपन से पर्दे पर चमकने वाली श्रीदेवी [Sora Ai]
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कैसे बनीं वह सबसे अमीर और मशहूर अदाकारा 

श्रीदेवी (Sri Devi) का स्टारडम किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। उन्होंने महज़ चार साल की उम्र में तमिल फिल्म कंधन करुणई (1967) से अभिनय शुरू किया। बचपन से ही उन्होंने तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में अपनी पहचान बनाई। हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत सोलहवां सावन (1979) से हुई, लेकिन असली पहचान हिम्मतवाला (1983) से मिली, जिसने उन्हें हर घर में जाना-पहचाना चेहरा बना दिया।

80 के दशक में वे बॉक्स ऑफिस की बेमिसाल रानी बन गईं। नगीना (1986) ने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, और फिल्म का मशहूर नागिन डांस “मैं तेरी दुश्मन” आज भी दर्शकों के दिलो  में जिंदा है। 90 के दशक में वे भारत की पहली ऐसी अभिनेत्री बनीं जिन्होंने एक फिल्म के लिए ₹1 करोड़ फीस ली, जो उस दौर में कई बड़े अभिनेताओं से भी ज्यादा थी। इसने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सफल बनाया बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों का मूल्य बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

उनकी सबसे मशहूर फिल्में

अपने लंबे करियर में श्रीदेवी (Sri Devi) ने कई यादगार फिल्में दीं। हिम्मतवाला ने उन्हें हिंदी दर्शकों से जोड़ा, नगीना में उनका जादुई अंदाज़ लोगों के दिलों में बस गया, चालबाज़ में उनके डबल रोल ने कॉमेडी का नया स्तर दिखाया और चांदनी में उनकी मासूमियत व खूबसूरती ने रोमांस को नए रंग दिए। मिस्टर इंडिया में उनका अंदाज़ और सेट पर टीम को आइसक्रीम खिलाने जैसा उनका अपनापन, दोनों ही लोगों के बीच चर्चित रहे।

सदमा और लम्हे जैसी फिल्मों ने उनके अभिनय की गहराई दिखाई। 15 साल बाद इंग्लिश विंग्लिश (English Vinglish) के साथ उनका शानदार कमबैक हुआ, जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया। उनकी आखिरी फिल्म मॉम (2017) में उन्होंने एक मां का दमदार किरदार निभाया, जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (National Film Award) मिला।

80 के दशक में वे बॉक्स ऑफिस की बेमिसाल रानी बन गईं।
80 के दशक में वे बॉक्स ऑफिस की बेमिसाल रानी बन गईं।

कैसे थीं वो बाकी अभिनेत्रियों से अलग

श्रीदेवी (Sri Devi) की सबसे बड़ी ताकत उनकी निपुण प्रतिभा थी। वे अलग-अलग भाषाओं में सहज अभिनय कर सकती थीं और हर शैली, कॉमेडी, ड्रामा, रोमांस या फैंटेसी में पूरी तरह डूब जाती थीं। उनकी आंखों की अदाएं, नृत्य की सुंदरता और स्क्रीन पर उनका जादू उन्हें बाकीयो से अलग बनाता था।

वे सिर्फ एक स्टार नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद बॉक्स ऑफिस पावरहाउस भी थीं। साथ ही, उनकी सरल और मिलनसार प्रकृति के किस्से भी मशहूर हैं, जैसे मिस्टर इंडिया की शूटिंग के दौरान टीम को आइसक्रीम खिलाना। उनके साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, बल्कि दिलों में भी अपनी जगह बनाई।

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क्यों याद करते हैं हम उन्हें आज भी

श्रीदेवी (Sri Devi) को भारतीय सिनेमा की पहली असली ‘फीमेल सुपरस्टार’ माना जाता है। चांदनी, लम्हे, मिस्टर इंडिया, चालबाज़ और नगीना जैसी फिल्में आज भी अभिनय और स्टाइल के मामले में मिसाल हैं। इंग्लिश विंग्लिश और मॉम जैसी फिल्मों से उन्होंने साबित किया कि समय चाहे जो भी हो, वे दर्शकों के दिल जीत सकती हैं।

उनकी यादें सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं हैं। उनकी बेटियां जाह्नवी (Jhanvi Kapoor) और खुशी (Khushi Kapoor) अक्सर खास मौकों पर उनकी तस्वीरें और यादें साझा करती हैं। हर साल उनके जन्मदिन पर इंडस्ट्री और उनके चाहने वाले उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

श्रीदेवी को भारतीय सिनेमा की पहली असली ‘फीमेल सुपरस्टार’ माना जाता है।
श्रीदेवी को भारतीय सिनेमा की पहली असली ‘फीमेल सुपरस्टार’ माना जाता है।

निष्कर्ष

श्रीदेवी (Sri Devi) की कहानी मेहनत, लगन और जुनून की मिसाल है। एक बच्ची जो साउथ की फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाती थी, आगे चलकर भारतीय सिनेमा की सबसे अमीर और लोकप्रिय अभिनेत्री बनी। उनकी अदाकारी, सादगी और स्क्रीन पर जादू आज भी उन्हें अमर बनाती है। उनकी जन्म जयंती पर उन्हें याद करना सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर को सलाम करना है। [Rh/BA]

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