ये है भारत की पहली बोलती फिल्म, केवल 40000 के बजट में बन कर हुआ तैयार
India's first talkies Film : भारत में सिनेमा को सभी पसन्द करते हैं चाहे वो बूढ़े, बच्चे या जवान ही क्यों न हों। ऐसे में सोचिए उस वक्त क्या मंजर रहा होगा जब भारत में पहली बोलती फिल्म रिलीज़ हुई होगी। आपको बता दें कि 1931 में निर्देशक अर्देशिर ईरानी द्वारा बनाई गई हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म का नाम है आलमआरा। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्त्व को समझते हुए, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया था।
देखने के लिए जुट गई भारी भीड़
आलम आरा का प्रथम प्रदर्शन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा में 14 मार्च 1931 को हुआ था। यह फिल्म इतनी लोकप्रिय हुई कि पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सहायता बुलानी पड़ी थी। इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और जुबैदा अहम रोल में नजर आए थे। यह फिल्म केवल 40000 के बजट में बनी जबकि इस फिल्म के बारे में कहा जाता है कि ये उस वक्त 29 लाख की कमाई की।
कैसे बनाया गया पहली सवाक फिल्म
इस फिल्म में तरन ध्वनि प्रणाली का उपयोग कर, अर्देशिर ईरानी ने ध्वनि रिकॉर्डिंग विभाग स्वंय संभाला था। फिल्म का छायांकन टनर एकल-प्रणाली कैमरे द्वारा किया गया था जो ध्वनि को सीधे फिल्म पर कैद करते थे। क्योंकि उस समय साउंडप्रूफ स्टूडियो उपलब्ध नहीं थे इसलिए दिन के शोरशराबे से बचने के लिए ज्यादातर रात में इसकी शूटिंग की गयी थी। शूटिंग के समय माइक्रोफ़ोन को अभिनेताओं के पास छिपा कर रखा जाता था।
देखने के लिए रखे गए पांच शर्त
फिल्म के एक पोस्टर के अनुसार, पहली शर्त थी की रोजाना तीन शो होंगे शाम 5.50 बजे, रात 8 बजे और रात 10.30 बजे। इसके अलावा शनिवार- रविवार और बैंक हॉलीडे को 3 बजे होगा स्पेशल शो। दूसरी शर्त थी कि 3 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे की फिल्म की टिकट खरीदनी होगी। तीसरी शर्त थी कि मैनेजमैंट के पास यह अधिकार है कि बिना किसी पहले सूचना के प्रोग्राम को बदला जा सकता है। चौथी शर्त थी कि किसी भी परिस्थिति में पैसा वापस नहीं किया जाएगा। पांचवी शर्त थी कि जो भी फिल्म की टिकट बाहर से खरीदेगा उसे थियेटर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।