अक्सर जीवन में ऐसी परिस्थिति आ जाती है की फिर ऐसा लगता है जिससे कोई रास्ता ही नहीं बचा सब खत्म हो गया लेकिन यदि जज्बा है हिम्मत है तो उसे स्थिति में भी इंसान अपना रास्ता ढूंढ ही लेता है। आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में आपको बताएंगे जिन्होंने रात और रात अपनी 40 करोड़ की कंपनी खो दी, मेहनत से बने यह कंपनी जब डूब गई तो वह फिर उठकर खड़े हुए और आज 300 करोड़ के कंपनी के मालिक है। तो चलिए आपको हम उसे शख्स से मिलवाते हैं।
हरियाणवी और राजस्थानी बोली में वेब सीरीज बनाने वाला OTT प्लेटफॉर्म ‘STAGE’ के को-फाउंडर विनय सिंघल ने अपनी स्ट्रगल की कहानी बताते हुए कहा की जैसे मांझी ने पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाया, वैसे ही मैं और मेरे दोस्त बुरे दौर से निकलकर यहां तक पहुंचे हैं। ये मेरी दूसरी कंपनी है, जिसकी वैल्यूएशन 300 करोड़ से अधिक का है। दो और को-फाउंडर प्रवीण और शशांक हैं।’STAGE' देश का पहला देसी बोलियों का OTT प्लेटफॉर्म है। वो इसे हरियाणा का पहला ‘नेटफ्लिक्स’ भी कहते हैं।
विनय हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर आज करोड़ों के मालिक बन चुके हैं। उनके पिता साइकिल पर साड़ियां बेचा करते थे ऐसे माहौल से निकले विनय ने अपनी पढ़ाई इंजीनियरिंग में पूरी की हालांकि विनय का सपना था कि वह एक डॉक्टर बने उन्होंने पढ़ाई भी शुरू कर दी थी लेकिन किसी कारणवश उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई और फिर उन्होंने इंजीनियरिंग के फील्ड में जाना बेहतर समझा कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही साथ विनय ने वेबसाइट डेवलप करना सीख लिया था और फिर क्या था लोगों के लिए वेबसाइट बनाते-बनाते उन्होंने अपनी एक कंपनी भी शुरू कर दी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होते-होते उन्होंने अपनी कंपनी में 10-12 लोगों को जॉब तक देना शुरू कर दिया था। विनय ने किसी का नौकर बनने से अच्छा मालिक बना चुना और अपनी एक एनजीओ की शुरुआत की। फेसबुक के जरिए विनय अपनी कंपनी, के लिए एड देते थे लेकिन फेसबुक ने उनके अकाउंट को ही डिलीट कर दिया और इसके बाद उन्हें 40 करोड़ का नुकसान हुआ और कंपनी बंद हो गईं। विनय ने हार नहीं मानी उन्होंने अपने कंपनी के एम्पलाइज से बात कर सॉल्यूशन निकला और कुछ ही महीना में दोबारा एक कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम स्टेज है।
स्टेज एक OTT प्लेटफॉर्म है, जहां हरयाणवी और राजस्थानी भाषा में वेब सीरीज देखी जा सकती है। आज STAGE के करीब 5 लाख पेड सब्सक्राइबर हैं। इस साल ही उन्होंने राजस्थानी बोलियों में भी वेब सीरिज बनानी शुरू की है। अब वे मैथिली, भोजपुरी समेत अलग-अलग लोकल बोलियों में फिल्म बनाने पर काम कर रहे हैं। विनय ने बताया की जिन क्रिएटर्स, प्रोड्यूसर के पास फिल्म से रिलेटेड आइडिया होता है, वे उनके पास जाते हैं। उनकी प्रोडक्शन टीम इसे देखती है, फिर यदि कंटेंट पसंद आता है, तो वे बजट फिक्स करते हैं। उनके पूरे साल का कंटेंट बजट 10 करोड़ का होता है।
फिल्म प्रोड्यूसर को वे एडवांस में टोटल बजट का 30 % देते हैं, ताकि वो कंटेंट प्रोड्यूस कर सकें। जब फिल्म बन जाती है, तो प्लेटफॉर्म पर रिलीज करते हैं। यह कम्पनी सोशल इश्यूज से रिलेटेड टॉपिक पर सबसे ज्यादा फिल्में बनाते हैं, वो भी अपनी बोली में। इसीलिए वे कहते हैं, हम कंपनी नहीं, क्रांति हैं