Jaddan bai : नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही ”हीरामंडी: द डायमंड बाजार” आजकल काफी चर्चा में है। यह सीरीज विभाजन के पहले भारत के लाहौर में रहने वाली तवायफ मल्लिका जान और उनके कोठे के इर्द-गिर्द घूमती है। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में देश के कई शहरों में कोठे हुआ करते थे और उस दौर में तवायफों का बड़ा नाम हुआ करता था। एक ऐसी ही तवायफ जद्दन बाई, जिनकी बेटी बड़ी होकर भारत की मशहूर एक्ट्रेस बनी और इसके अलावा उन्होंने राजनीति में भी अपना किस्मत आजमाया।
जद्दन बाई का जन्म साल 1892 में बनारस में हुआ था। उनकी मां दिलीपा बाई इलाहाबाद की मशहूर तवायफ थीं और पिता का नाम मियां जान था। जद्दन जब 5 साल की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया। ऐसे तो दिलीपा बाई ब्राह्मण परिवार में जन्मी थीं, लेकिन मियां जान से शादी के बाद उन्होंने इस्लाम कबूल लिया था। इसके बाद अपनी बेटी का नाम जद्दन बाई हुसैन रखा। बेटी को गायकी से लेकर नृत्य तक का हुनर सिखाया। कहा जाता है कि दिलीपा बाई के कोठे पर देह व्यापार नहीं होता था, बल्कि सिर्फ गीत-संगीत की महफिलें सजा करती थीं। जद्दन बाई बड़ी हुईं तो अपनी मां की विरासत संभाली और शोहरत में उनसे भी आगे निकल गईं।
जद्दन बाई के कोठे पर आने वालों में गुजरात के मशहूर व्यवसायी नरोत्तम दास भी थे, वह जद्दन के प्यार में इतने पागल हुए कि इस्लाम कबूल कर लिया। दोनों ने शादी की और बेटा हुआ जिसका नाम अख्तर हुसैन रखा। कुछ वक्त बाद ही नरोत्तम दास ने जद्दन को छोड़ दिया। वह अकेले अपने बेटे का पालन पोषण करती रहीं और कोठा भी चलती रहीं। इसी दौरान हारमोनियम साज मास्टर उस्ताद इरशाद से दूसरी शादी कर ली। इससे उन्हें दूसरा बेटा हुआ, जिसका नाम उन्होंने अनवर हुसैन रखा। उनकी दूसरी शादी भी कुछ खास चल नहीं पाई।
जद्दन ने बनारस छोड़ दिया और वो कलकत्ता आ गईं और एक कोठे पर गाने लगीं। यहीं उनकी मुलाकात मोहन बाबू से हुई, जो एक अमीर परिवार से थे और डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए कलकत्ता से लंदन जाने वाले थे। जद्दन के प्यार में पागल मोहन बाबू जब 4 साल बाद लंदन से लौटे तब भी वे अपनी शादी के जिद्द पर अड़े रहे।
इसके बाद जद्दन के लिए मोहन बाबू ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम राशीद रख लिया और फिर दोनों ने शादी कर ली। साल 1929 में दोनों की एक बेटी हुई, जिसे नाम दिया नरगिस था। कलकत्ता में रहने के दौरान जद्दन बाई ने श्रीमंत गणपत राव से लेकर उस्ताद चड्डू खान से संगीत की तालीम ली और अपनी गायकी को निखारने लगीं। इसके बाद उन्हें रेडियो स्टेशन से गायकी का न्यौता मिलने लगा और वो देश भर में मशहूर होने लगीं।