सार
कैसे करण जौहर ने बॉलीवुड की प्रेम कहानियों को बदला
कौन-कौन सी उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के दिल में बसती हैं
क्या है उनकी फिल्मों से मिलने वाली ज़िंदगी की सीख
अगर बॉलीवुड (Bollywood) में किसी ने प्यार की कहानियों को सबसे ज़्यादा खूबसूरती से दिखाया है, तो वह हैं करण जौहर। उनकी फिल्मों में सिर्फ़ हीरो-हीरोइन का रोमांस नहीं होता, बल्कि परिवार, दोस्ती, समाज और आत्म-खोज का मेल भी होता है।
करण जौहर (Karan Johar) का सिनेमा ये बताता है कि प्यार सिर्फ़ एक भावना नहीं, बल्कि इंसान की पहचान और रिश्तों को समझने का एक तरीका भी है।
उनकी फिल्मों में बड़े-बड़े सेट, खूबसूरत कपड़े, दिल को छू लेने वाला संगीत और गहरी भावनाएँ मिलती हैं। लेकिन इन सबके पीछे हमेशा एक सच्चा संदेश छिपा होता है, कि प्यार में समझ, सम्मान और ईमानदारी सबसे ज़रूरी है।
कभी ख़ुशी कभी ग़म (Kabhi Khushi Kabhi Gham: 2001)
करण जौहर की यह फिल्म सिर्फ़ एक लव स्टोरी नहीं थी, बल्कि परिवार के रिश्तों की कहानी थी। इस फिल्म ने दिखाया कि प्यार सिर्फ़ दो लोगों के बीच नहीं होता, बल्कि पूरी फैमिली के दिलों को जोड़ता है।
राहुल (शाहरुख खान: Shah Rukh Khan) और अंजली (काजोल) की प्रेम कहानी में जहां रोमांस था, वहीं यशवर्धन (अमिताभ बच्चन) और नंदिनी (जया बच्चन) का रिश्ता हमें यह सिखाता है कि माता-पिता का आशीर्वाद हर प्यार की नींव होता है। फिल्म के संवाद, गाने और शानदार सेट आज भी लोगों के ज़ेहन में बसे हैं। कभी ख़ुशी कभी ग़म ने भारतीय सिनेमा में दिखाया कि प्यार और परिवार साथ-साथ चल सकते हैं।
कभी अलविदा न कहना (Kabhi Alwida Naa Kehna: 2006)
यह फिल्म उस दौर में आई जब लोग खुले तौर पर रिश्तों की सच्चाई पर बात करने से डरते थे।करण जौहर ने इस फिल्म से एक नया और साहसी सवाल उठाया, क्या सच्चा प्यार हमेशा सही समय और सही व्यक्ति के साथ ही होता है?
देव (शाहरुख खान) और माया (रानी मुखर्जी: Rani Mukherjee) की कहानी ने यह दिखाया कि कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं जब हमें दिल की सुननी पड़ती है, भले ही समाज कुछ और कहे। इस फिल्म ने बताया कि प्यार आसान नहीं होता, लेकिन सच्चा होता है।
कभी अलविदा न कहना ने रिश्तों की जटिलताओं को बहुत ईमानदारी से दिखाया और दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
ऐ दिल है मुश्किल (Aye Dil Hai Mushkil: 2016)
यह फिल्म करण जौहर के सबसे व्यक्तिगत और भावनात्मक प्रोजेक्ट्स में से एक थी। आयान (रणबीर कपूर: Ranbir Kapoor), अलीज़ेह (अनुष्का शर्मा: Anushka Sharma) और सबा (ऐश्वर्या राय: Aishwarya Rai) की कहानी में प्यार, दर्द और दोस्ती तीनों की झलक मिलती है।
इस फिल्म ने सिखाया कि हर प्यार का अंत साथ होने से नहीं होता। कभी-कभी प्यार हमें खुद को समझने का रास्ता दिखाता है, चाहे वो दर्द से ही क्यों न होकर गुजरे। फिल्म के गाने, जैसे “चन्ना मेरेया”, आज भी एकतरफा प्यार के प्रतीक बन चुके हैं। करण जौहर ने इस फिल्म के ज़रिए यह बताया कि अधूरा प्यार भी खूबसूरत हो सकता है।
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी (Rocky aur Rani ki Kahani: 2023)
इस फिल्म से करण जौहर ने लगभग सात साल बाद डायरेक्शन में वापसी की और एक बार फिर साबित किया कि उनका सिनेमा समय के साथ बदलता है। रॉकी (रणवीर सिंह: Ranveer Singh) और रानी (आलिया भट्ट: Alia Bhatt) की कहानी सिर्फ़ रोमांटिक नहीं है, बल्कि इसमें समाज की पुरानी सोच और जेंडर रोल्स को भी चुनौती दी गई है।
फिल्म में दिखाया गया कि प्यार तभी टिकता है जब दोनों एक-दूसरे की आज़ादी और विचारों का सम्मान करें। यह फिल्म आज के युवाओं के लिए है, जो मानते हैं कि रिश्तों में बराबरी सबसे बड़ी खूबसूरती है। रंगीन कॉस्ट्यूम, दमदार म्यूज़िक और हल्के-फुल्के डायलॉग्स के साथ यह फिल्म करण के सिनेमा की नई पहचान बन गई।
निष्कर्ष
करण जौहर (Karan Johar) की फिल्मों में प्यार कभी सपनों की दुनिया नहीं होता, बल्कि असली ज़िंदगी के करीब होता है। उन्होंने हमें सिखाया कि प्यार में ग्लैमर के साथ इमोशन भी ज़रूरी हैं।
चाहे कभी ख़ुशी कभी ग़म की भव्यता हो या ऐ दिल है मुश्किल की गहराई, करण की फिल्मों ने हमें प्यार के हर रंग से रूबरू कराया है। उनका सिनेमा हमें बार-बार यह याद दिलाता है कि रिश्तों की दुनिया में सबसे बड़ा सबक यही है, सच्चा प्यार वो होता है जो दिल से निकले और दिल तक पहुँचे।
(Rh/Eth/BA)