न्यूजग्राम हिंदी: 'आरआरआर (RRR)' स्टार राम चरण (Ram Charan) ने कहा है कि टॉलीवुड हीरो से आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने वाले एन.टी. रामाराव (N.T. Ramarao) ने तेलुगु को विश्व मानचित्र पर रखा और वह तब तक जीवित रहेंगे जब तक तेलुगु सिनेमा है। वह 28 मई को पड़ने वाली एनटीआर की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में शनिवार रात आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। विडंबना यह है कि राम चरण के पिता मेगा स्टार चिरंजीवी एनटीआर के राजनीतिक विरोधी हुआ करते थे, लेकिन स्पष्ट रूप से अब काफी समय बीत चुका है।
एसएस राजामौली की 'आरआरआर' में उनके सह-कलाकार जूनियर एनटीआर (Junior NTR) संयोग से आंध्र आइकॉन के पोते हैं।
राम चरण ने कहा, आजकल तेलुगू सिनेमा की विदेशों में खूब तारीफ हो रही है और हर कोई दक्षिण भारतीय सिनेमा की तारीफ कर रहा है। 'ग्लोबल स्टार' ने कहा, लेकिन, उन दिनों बहुत पहले एनटीआर गारू ने हमारे सिनेमा की ताकत को साबित किया। हमें उन दिनों के बारे में कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें उनकी महान उपलब्धियों को याद रखना चाहिए।
वह हैदराबाद में कुकटपल्ली के कैथलपुर मैदान में आयोजित शताब्दी समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में कई फिल्मी और राजनीतिक हस्तियों ने शिरकत की। इस अवसर पर राम चरण ने एनटीआर गारू के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध को याद किया।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि कहां से शुरू करूं। उनका नाम सभी बेंचमार्क और उपलब्धियों से परे है। नंदामुरी तारक राम राव गारू एक बड़े व्यक्तित्व थे।
एनटीआर जैसे जन नेताओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने आदरपूर्वक कहा, हमें उनकी उपलब्धियों को याद रखना चाहिए और उनके जीवन जीने के तरीके से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके नक्शे कदम पर चलने से हमें बहुत गर्व और खुशी मिलती है।
राम चरण ने कहा, मैं तथा सभी कलाकार, जो हर दिन फिल्म के सेट पर जाता है, उनका नाम याद करता है। उन्होंने हमें पहचान दी। फिल्म उद्योग क्या है? तेलुगु फिल्म उद्योग क्या है? हमारे पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ पूरे देश और अन्य देशों के लिए भी?
द ग्रेट लिजेंड एन.टी. रामा राव गारू ने हमारे फिल्म उद्योग को सम्मान दिलाया। इस उद्योग में एक महान व्यक्तित्व है। उस उद्योग में काम करना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है जहां एनटीआर गारू थे।
निजी तौर पर राम चरण ने याद किया, मैं केवल एक बार एनटीआर गारू से मिला था। पुरंधरेश्वरी गारी के बेटे रितेश और मैं बचपन में एक साथ स्केटिंग कक्षाओं में जाते थे। हम सुबह 5.30 से 6.00 बजे तक अपनी कक्षाएं समाप्त कर लेते थे। सुबह एक दिन रितेश ने मुझे अपने साथ अपने दादा के घर चलने को कहा। वह उस समय मुख्यमंत्री थे। उनके पास भारी सुरक्षा थी। मुझे लगा कि मुझमें 'हां' या 'नहीं' कहने की ताकत भी नहीं है। मैंने कहा 'ठीक है'। हम दोनों पुरंधरेश्वरी गारी के घर से अपनी स्केट्स पर चले गए और सुबह 6.30 बजे रामा राव गारू के घर पहुंचे।
मैं एनटीआर गारू से मिलना चाहता था और उनसे विदा लेना चाहता था। लेकिन जब हम उनके घर पहुंचे तो वह नाश्ता करने वाले थे। जब उन्होंने मुझे देखा तो उन्होंने मुझे बिठाया और टिफिन की पेशकश की। मैं बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहा था। मैं हमेशा याद रखूंगा, उनके साथ नाश्ता साझा करने का वह क्षण। मुझे वह अवसर देने के लिए मैं पुरंधरेश्वरी गारी को धन्यवाद देता हूं।
--आईएएनएस/PT