एक्टिंग छोड़ ढाबे में काम कर रहे थे ये एक्टर, रोहित शेट्टी ने बदल दी किस्मत

वह अपने करियर के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान नहीं करना चाहते, बल्कि वह अपनी जिंदगी को खुलकर जीना चाहते हैं और उसका आनंद उठाना चाहते हैं।
Sanjay Mishra : हम जब भी उन्हें पर्दे पर देखते है तो उनके अभिनय का सहारना जरूर करते है चाहे उनका कोई भी रोल हो, उसे वह बखूबी निभाते है। (Wikimedia Commons)
Sanjay Mishra : हम जब भी उन्हें पर्दे पर देखते है तो उनके अभिनय का सहारना जरूर करते है चाहे उनका कोई भी रोल हो, उसे वह बखूबी निभाते है। (Wikimedia Commons)
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Sanjay Mishra : संजय मिश्रा भले ही सुपरस्टार नहीं है लेकिन वह खुदको एक उम्दा एक्टर के रूप में पहचान बनाने में सफल रहे हैं। कैरेक्टर आर्टिस्ट के तौर पर प्रसिद्धि हासिल करने वाले संजय मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि असल में प्रसिद्धि एक ऐसी चीज थी जिसके लिए उन्होंने कभी काम नहीं किया। एक्टर के मुताबिक एक असल कलाकार का काम अपनी कला से दर्शकों के दिलों में जगह बनाना होता है। इसी कारण हम जब भी उन्हें पर्दे पर देखते है तो उनके अभिनय का सहारना जरूर करते है चाहे उनका कोई भी रोल हो, उसे वह बखूबी निभाते है।

संजय मिश्रा जी ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि वह अपने करियर के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान नहीं करना चाहते, बल्कि वह अपनी जिंदगी को खुलकर जीना चाहते हैं और उसका आनंद उठाना चाहते हैं। आज नेम और फेम की चाह न रखने वाले संजय मिश्रा का जिंदगी के प्रति हमेशा से ये नजरिया नहीं था। परंतु उनके जिंदगी में एक दौर ऐसा था, जब फिल्मों में काम न मिलने से निराश होकर एक्टर ने इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया था और वो दौर संजय मिश्रा की जिंदगी का सबसे मुश्किल समय था।

एक्टिंग छोड़ ढाबे में किया काम

हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘ मुझे पेट में इन्फेक्शन हो गया था और मैं बिल्कुल डेथबेड पर था, कुछ दिन पिता के साथ रहा और फिर अचानक ही पिता का देहांत हो गया। उनके चले जाने से मैं बुरी तरह टूट गया था।’ उनका अंतिम संस्कार करने के बाद संजय मिश्रा मुंबई नहीं लौटना चाहते थे। वे ऋषिकेश चले गए थे और वहां गुजारा करने के लिए वह एक ढाबे में काम किया करते थे, जहां उन्हें बर्तन धोने और खाना बनाने के लिए 150 रुपये दिहाड़ी मिलती थी।

आज संजय मिश्रा को ‘मसान’, ‘वध’, ‘आंखों देखी’, ‘कामयाब’ जैसी क्रिटिक्स द्वारा सराही फिल्मों के लिए जाना जाता है। (Wikimedia Commons)
आज संजय मिश्रा को ‘मसान’, ‘वध’, ‘आंखों देखी’, ‘कामयाब’ जैसी क्रिटिक्स द्वारा सराही फिल्मों के लिए जाना जाता है। (Wikimedia Commons)

रोहित शेट्टी ने बदल दी किस्मत

ढाबे पर काम करते - करते ही एक दिन उनके पास डायरेक्टर रोहित शेट्टी का कॉल आया। रोहित शेट्टी के एक फोन कॉल ने उनकी जिंदगी बदल दी। डायरेक्टर ने उन्हें ‘ऑल द बेस्ट’ ऑफर की और फिल्म में काम मिलते ही संजय मिश्रा मुंबई लौट आए।‘ऑल द बेस्ट’ की सफलता के बाद तो चमत्कार ही हो गया, उनके पास फिल्मों की लाइन लग गई। आज संजय मिश्रा को ‘मसान’, ‘वध’, ‘आंखों देखी’, ‘कामयाब’ जैसी क्रिटिक्स द्वारा सराही फिल्मों के लिए जाना जाता है। सीएनॉलेज साइट के मुताबिक उनका नेटवर्थ अब 1 करोड़ 50 लाख रुपये है।

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