जब तीन दिनों तक पहाड़ पर बैठे रह गए थे शेखर कपूर, सुनाया 'गुरु की खोज' का किस्सा

फिल्म निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर सोशल मीडिया पर अक्सर अपने काम से जुड़े पोस्ट शेयर करते रहते हैं। इसके अलावा, वे अपने विचार और जिंदगी से जुड़े नए-नए किस्से भी सुनाते नजर आते हैं।
एक आदमी सोचते हुए, अपने अनुभव और विचारों में खोया हुआ।
शेखर कपूर अपने अनुभव साझा करते हुए 'गुरु की खोज' के किस्से सुनाते हुए।IANS
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इंस्टाग्राम (Instagram) हैंडल पर पोस्ट कर उन्होंने बताया कि गुरु की खोज में एक बार वह पहाड़ पर तीन दिनों तक बैठे रह गए थे। उन्होंने पहाड़ पर गुरु को ढूंढने की एक गहरी आध्यात्मिक कहानी सुनाई।

शेखर कपूर (Shekhar Kapoor) बताते हैं कि वे तीन दिन तक एक गुफा के बाहर बैठे रहे। सालों की थकान लिए, पहाड़ चढ़कर आए थे, लेकिन सामने बैठे गुरु ने पलटकर भी नहीं देखा। सिर्फ सांसों की आवाज और हवाओं में घुली प्रार्थना सुनाई दे रही थी। आखिरकार हिम्मत जुटाकर शेखर ने कहा, “गुरुजी, मैंने पूरी जिंदगी आपको ढूंढा है। मैंने जीया है, प्यार किया है, धोखा दिया और धोखा खाया है। गौरव भी देखा, निराशा भी झेली, पर अब समझ आया कि सब कुछ सिर्फ एक सांस था, आपको पाने का एक कदम था।”

उन्होंने आगे लिखा, "खामोशी टूटी और एक रहस्यमयी आवाज आई, 'तुम यहां हो? सच में?' फिर गुरु ने समझाया कि कोई अतीत नहीं, कोई भविष्य नहीं, कोई वर्तमान भी नहीं, सिर्फ शुद्ध, कालातीत अस्तित्व है। हम अपनी जिंदगी की कहानी खुद गढ़ते हैं ताकि समय का अहसास कर सकें। जब यह भ्रम टूटेगा, तभी हमें अपनी सच्ची मौजूदगी का पता चलेगा।

अंत में शेखर ने विनम्रता के साथ अपने गुरु से कहा, “गुरुजी, एक बार अपना चेहरा तो दिखाइए।” जवाब मिला, “क्या अपनी कहानी में और समय जोड़ना चाहते हो?” फिर जब गुरु मुड़े, तो मुझे मेरा ही चेहरा दिखा।

इससे पहले किए एक अन्य पोस्ट में शेखर कपूर सवाल करते नजर आए। उन्होंने दादी-नानी के समय से चली आ रही दही चीनी की पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए सवाल किया कि आखिर ह्यूमन इंटेलिजेंस कहां है?

[AK]

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