![आज हम बॉलीवुड की एक ऐसी अदाकारा के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अपनी फिल्मी करियर में लगभग 70 फिल्में की हैं [X]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-07-22%2Fcfs62cd5%2Fphoto6339150998098004119x.jpg?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
अक्सर बॉलीवुड (Bollowood) की ग्लैमर भरी जिंदगी के पीछे एक तन्हाई होती है जिसके बारे में किसी को नहीं पता चलता। बॉलीवुड (Bollowood) के कई ऐसे एक्टर्स और एक्ट्रेस है जो पर्दे पर तो बहुत खुश और अच्छे लगतें है लेकिन असल जिंदगी में वो काफी अकेले है और फिर अचानक उनके मौत की ख़बर आती है तो पता चलता है वो किसी डिप्रेशन का शिकार थे या किसी शोषण का शिकार थे। आज हम बॉलीवुड (Bollowood) की एक ऐसी अदाकारा के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अपनी फिल्मी करियर में लगभग 70 फिल्में की हैं, उनकी खूबसूरती उनकी अदाकारी के लोग दीवाने थे लेकिन उनकी मौत ने लोगों को चौंका दिया था।
'ब्लूटोन प्रतिभा' कहे जाने वाले वर्षों में उन्होंने हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) को एक नई आत्मा दी, जो आज भी लोगों की यादों में बसी हुई है। लेकिन किस्मत ने उन्हें अकेलेपन की चुप्पी में छोड़ दिया। अब सवाल उठता है, क्या चमकती ज़िंदगी में भी किसी को अपनेपन की कमी महसूस होती है?
ऐसे शुरू हुआ फिल्मी करियर
हम बात कर रहें है हिन्दी सिनेमा (Hindi Cinema) की बेमिसाल अदाकारा नलिनी जयवंत (Nalini Jaywant) की,नलिनी जयवंत (Nalini Jaywant) ने 50 और 60 के दशक में हर दिल को अपना दीवाना बनाया था। उस समय उन्हें इंडस्ट्री की टॉप और डिमांडिंग अभिनेत्रियों का टैग मिला हुआ था। अभिनेत्री काजोल से भी नलिनी का बहुत ही गहरा रिश्ता है। नलिनी (Nalini Jaywant) रिश्ते में अभिनेत्री काजोल की नानी लगती थीं।
18 फ़रवरी 1926 को मुंबई के गिरगांव में एक कस्टम्स अधिकारी के घर जन्मी नलिनी ने छह साल की उम्र में रेडियो पर गाया, 10 की उम्र में स्कूल नाटकों में अभिनय किया और किशोरावस्था में टैगोर की 'श्रीमतीजी' में अभिनय से शुरुआत की। जब़ उनके पिता चाह रहे थे कि उन्हें साधारण पढ़ाई से संगठित जीवन मिले, तो उनकी कज़िन शोभना समार्थ का बलबूता नलिनी को फिल्मों में लाया। उन्हें पहले ‘राधिका’ (1941) जैसी फिल्मों से शुरूआत मिली जहाँ उन्होंने गाने भी कहीं वक्त गाए।
बॉलीवुड की बुलंदियों की ओर: करियर और हिट फिल्में
नलिनी जयवंत (Nalini Jaywant) की शुरुआत 1941 की ‘बहन’ से हुई, जिसे मेहबूब खान ने निर्देशित किया। इसके बाद ‘अनोखा प्यार’ (1948) में उन्होंने दिलीप कुमार और नर्गिस के साथ काम किया। 1950 में ‘समाधि’ और ‘संग्राम’ से उन्हें बड़ी सफलता मिली, जिसमें उनके अभिनय को व्यापक सराहना मिली। ‘मुनिमजी’, ‘रेलवे प्लेटफ़ॉर्म’, ‘शास्त’ और ‘काला पानी’ (1958) जैसी फिल्मों में नलिनी ने कला और संवेदनशीलता का बेहतरीन मिश्रण दिखाया, ‘काला पानी’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेत्री का अवॉर्ड भी मिला।
शुरू किया था स्विमसूट का चलन
नलिनी जयवंत (Nalini Jaywant) के लिए फिल्मों में आने का सफर काफी कठिन था। अभिनेत्री के पिता कभी नहीं चाहते थे कि वह अभिनय के क्षेत्र में आए। कहा जाता है कि इंडस्ट्री में शर्मिला टैगोर वह पहली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने स्विमसूट पहनकर फोटोशूट कराया था, लेकिन आपको बता दें कि नलिनी ने उनसे पहले यह काम कर दिया था। साल 1950 में निर्देशक ज्ञान मुखर्जी की फिल्म 'संग्राम' में उस दौर में खूब सनसनी मचाई थी। उनकी बोल्डनेस के हर कोई कायल हो गए थे।
प्यार की राह और दिल टूटने की दास्तान
निजी जिंदगी की बात करें तो नलिनी जयवंत की दो शादियां हुई थीं। इसके बाद भी अभिनेत्री को औलाद का सुख नहीं मिला। अभिनेत्री की पहली शादी साल 1945 में निर्देशक वीरेंद्र देसाई से हुआ थी, लेकिन कुछ साल के बाद ही दोनों का तलाक हो गया। उसके बाद दूसरी बार साल 1960 में नलिनी ने अभिनेता प्रभु दयाल से शादी की थी। अपने 42 साल के करियर में उन्होंने लगभग 58 से 60 फिल्में की थीं, जो दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुई थीं।
आखिरी समय में घर चलने तक के पैसे नहीं थे !
जिंदगी के आखिरी समय में, उनके पास कोई नहीं था। उनकी हालत इस कदर खराब थी कि घर चलाने के लिए पैसे तक भी नहीं थे। बातचीत में पड़ोसियों ने बताया था कि वो बिल्कुल अकेले रहती थीं। उनके निधन के बाद कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हुई और ना ही कोई उनके घर पर गया। मौत के बाद से ही घर पर ताला लग गया था। पड़ोसियों का ये कहना था कि कई साल पहले वो लोग नलिनी के घर जाया करते थे लेकिन पति की मौत के बाद उन्होंने लोगों से दूरी बना ली। पड़ोसियों का कहना था कि शायद ही उसके बाद कोई उनसे मिलने आया हो। एक पड़ोसी ने बताया कि मौत से कुछ दिनों पहले उन्होंने नलिनी के पैर में चोट देखी थी।
एक मौत जिसकी पहेली आज तक नहीं सुलझी
प्रभु दयाल की मृत्यु के बाद नलिनी धीरे-धीरे सिनेमा से दूर होने लगीं। उन्होंने मुंबई के चेंबूर में अकेलेपन की चादर ताने जीवन बिताया। 22 दिसंबर 2010 और जगह चेंबूर। उस दिन काजोल की नानी शोभना समर्थ की बहन एक्ट्रेस नलिनी जयवंत का निधन हुआ। घर में लाश 3 दिन तक सड़ती रही। पड़ोसियों को भी इस बात की कोई जानकारी नहीं थी। मौत के 3 दिन बाद एक युवक एंबुलेंस लेकर आया, खुद को नलिनी जयवंत का रिश्तेदार बता कर उनकी बाॅडी को लेकर चला गया।लेकिन सवाल ये था कि उनकी मौत कैसे हुई, जो शख्स उनकी बॉडी लेकर गया वो कौन था।
गौर करने वाली बात ये भी है कि संदिग्ध हालत में हुई मौत के बावजूद पुलिस में शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई। 50 के दशक की टॉप एक्ट्रेस की इस तरह से हुई मौत पर हर कोई हैरान था। भतीजी एक्ट्रेस तनुजा नलिनी जयवंत के यूं चले जाने से दंग थीं।
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फिल्मों में बेहतरीन अभिनय व खूबसूरती के बावजूद नलिनी जयवंत की ज़िंदगी की कहानी हमें यह सिखाती है कि चमक और सफलता का सफर अक्सर अकेलो होने का रास्ता भी हो सकता है। उनका जीवन याद दिलाता है कि हर सितारा चमकने के बाद भी एक दिन दम तोड़ देता है। लेकिन उनकी फ़िल्में आज भी अजनबियत से परे चलती हैं। क्या हमारी संवेदनशीलता अभी भी यह स्वीकार कर पाएगी कि बड़े सितारों को उनका सम्मान हमें ज़रूर देना चाहिए? [Rh/SP]