![शुरूआत होती है रिजेक्शन से, और अंत होता है रॉयल्टी पर। [X]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-07-30%2Flqbdgww1%2Fphoto6075582663462340734x.jpg?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
एक ऐसा शख्स, जो बचपन में पढ़ाई से दूर भागता था, जिसे स्कूल में ढंग से खड़ा तक नहीं किया जाता था, वह कैसे बन गया भारतीय सिनेमा का सबसे दमदार कलाकार? हम बात कर रहें है नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) की। उनकी ज़िंदगी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। जहां शुरूआत होती है रिजेक्शन से, और अंत होता है रॉयल्टी पर। लखनऊ में जन्मे नसीर, एक सख्त पिता और अनुशासित माहौल के बीच पले-बढ़े। बचपन में एक्टिंग का कीड़ा उन्हें इतना काट चुका था कि स्कूल के ड्रामा से लेकर कॉलेज के मंच तक, वो हर जगह अपनी मौजूदगी दर्ज कराते थे।
लेकिन जब उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखने की सोची तो न्यूज रूम से साफ इंकार मिला। पर यहीं से शुरू होती है उस नसीर की असली कहानी, जिसने हर ठुकराहट को अपने जूतों के नीचे दबाया और थिएटर के रास्ते फिल्मों की दुनिया में ऐसा कदम रखा कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका सफर बताता है, अगर जुनून सच्चा हो, तो रिजेक्शन भी आपको बुलंदी तक पहुंचा सकता है।
“पिता से कभी नहीं बनी”: नसीरुद्दीन शाह
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का जन्म 20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाराबंकी ज़िले में हुआ था। उनका बचपन लखनऊ और फिर नैनीताल में बीता। पढ़ाई में औसत, लेकिन कल्पनाओं और अदाकारी में डूबे रहने वाले नसीर बचपन से ही फिल्मों और नाटकों की दुनिया में गहरी दिलचस्पी रखते थे। लेकिन उनके पिता, अली मोहम्मद शाह, एक सख्त और अनुशासनप्रिय फौजी अधिकारी थे, जिनका मानना था कि जिंदगी में अनुशासन और स्थायित्व सबसे जरूरी है। उन्हें नसीर का रंगमंच और अभिनय के प्रति बढ़ता लगाव एक गैर-जरूरी और 'बेकार' शौक लगता था। नसीरुद्दीन(Naseeruddin Shah) अपने पिता से प्यार तो करते थे, लेकिन उनके साथ रिश्ता हमेशा तनावपूर्ण रहा।
पिता की उम्मीदें कुछ और थीं, जबकि नसीर का दिल किसी और राह पर चल पड़ा था। वह मानते थे कि उनके पिता की छाया इतनी भारी थी कि उनका खुद का व्यक्तित्व उस तले दबता जा रहा था। नसीर की आत्मकथा “And Then One Day” में उन्होंने साफ लिखा है कि उनके पिता कभी उनके फैसलों से खुश नहीं हुए, और जब उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया, तो वह इससे बेहद नाराज़ हुए।अपने पिता की तुलना में अपनी माँ को नसीर ज़्यादा मानते थे उनका गुस्सा मशहूर था जिसके सामने उनके पिता भी नहीं ठहर पाते थे नसीर ने अपनी मां के बारे में लिखा है, "जब मेरे पिता से मेरा संवाद बिलकुल ख़त्म हो गया, मेरी माँ ही मुझे सहारा देती थीं।”
एक रिजेक्शन से शुरू हुआ नसीर का करियर
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का फिल्मी सफर एक दिलचस्प मोड़ से शुरू हुआ था, एक ऐसा मोड़ जिसे कोई और शायद हार मानकर छोड़ देता, लेकिन नसीर ने उसी रिजेक्शन को अपनी ताकत बना लिया। दरअसल, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक न्यूज़ एंकर बनने की कोशिश से की थी। 1970 के दशक की शुरुआत में जब दूरदर्शन तेजी से उभर रहा था, तब नसीर ने एक ऑडिशन दिया था जहां उन्हें न्यूज़ रीडर या एंकर के रूप में चुना जाना था।
लेकिन उन्हें ठुकरा दिया गया। कारण था उनका चेहरा, आवाज़ और उनकी अनोखी स्टाइल, जो उस दौर के 'साफ-सुथरे' और 'आदर्श' एंकर की छवि से मेल नहीं खाती थी। इस रिजेक्शन ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि अभिनय की ओर पूरी तरह मोड़ दिया। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) और फिर पुणे का एफटीआईआई से अभिनय की बारीकियां सीखी। और फिर शुरू हुआ वो करियर जिसने हिंदी सिनेमा में एक नई परिभाषा गढ़ी।
एक छोटे से किरदार से शुरू हुआ फिल्मी करियर
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का बॉलीवुड करियर किसी आम अभिनेता की तरह नहीं, बल्कि एक संघर्षशील और जुनूनी कलाकार की कहानी है। एफटीआईआई से अभिनय की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें 1975 में श्याम बेनेगल की फिल्म निशांत में पहला बड़ा ब्रेक मिला।
यह फिल्म नसीर के लिए एक मौके की तरह थी, जिसमें उन्होंने एक छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदार से अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई। नसीरुद्दीन शाह ने मंथन, आक्रोश, स्पर्श, अर्ध सत्य, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, जाने भी दो यारों जैसी फिल्मों में अपने बेमिसाल अभिनय से आलोचकों और दर्शकों, दोनों का दिल जीत लिया। उन्होंने यह साबित किया कि एक आम शक्ल-सूरत वाला इंसान भी हिंदी सिनेमा का हीरो बन सकता है, बशर्ते उसमें हुनर हो। धीरे-धीरे उन्होंने व्यावसायिक फिल्मों में भी काम किया और सरफ़रोश, मोहरा, त्रिदेव, इकबाल जैसी फिल्मों में अलग-अलग रंगों में नजर आए।
परवीन और नसीर के इश्क़ की वो दास्तान जो वक्त से लड़कर मुकम्मल हुई
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) की ज़िंदगी जितनी फिल्मी पर्दे पर दिलचस्प रही, उतनी ही गहराई उनकी निजी ज़िंदगी में भी रही। उनकी लव स्टोरी परवीन मोराद (Naseeruddin Shah and Parveen Morad) से शुरू होती है, जो उनके कॉलेज के दिनों की साथी थीं। परवीन, एक पढ़ी-लिखी, समझदार और शांत स्वभाव की लड़की थीं, जिनसे नसीर बेहद प्यार करने लगे। दोनों का रिश्ता गहराता गया और शादी से पहले ही परवीन प्रेग्नेंट हो गईं।
नसीर ने शादी का वादा तो किया, लेकिन अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत में वह इतने उलझे रहे कि परवीन को अकेले ही बेटी हीबा शाह को जन्म देना पड़ा। परवीन ने कई सालों तक नसीर का इंतज़ार किया। नसीर ने इस दौरान थिएटर और फिल्मी करियर में खुद को पूरी तरह झोंक दिया, लेकिन अंदर ही अंदर वह परवीन और अपनी बेटी के लिए अपराधबोध से भरे हुए थे। आखिरकार, उन्होंने अपने दिल की सुनी और परवीन से शादी कर ली। यह रिश्ता समय की कसौटी पर खरा उतरा, क्योंकि परवीन ने नसीर को कभी नहीं छोड़ा और नसीर ने भी देर से ही सही, अपने प्यार और ज़िम्मेदारी को अपनाया।
नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक की प्रेम कहानी सादगी और गहराई से भरी है। दोनों की मुलाकात एक थिएटर प्रोजेक्ट के दौरान हुई। नसीरुद्दीन पहले से शादीशुदा थे, लेकिन पत्नी से अलग रह रहे थे। रत्ना को उनसे प्यार हुआ, पर उन्होंने जल्दबाज़ी नहीं की। सालों तक दोनों साथ रहे, एक-दूसरे को समझा, और फिर 1982 में शादी की। उनका रिश्ता दोस्ती, समझदारी और समान रुचियों पर टिका है। थिएटर और सिनेमा के प्रति जुनून ने उन्हें और करीब लाया। आज भी दोनों एक-दूसरे के सबसे बड़े आलोचक और सबसे मजबूत साथी बने हुए हैं। उनका रिश्ता सच्चे प्रेम की मिसाल है।
नसीरुद्दीन शाह के वो विवादित बयान, जिनसे मच गया था बवाल!
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता हैं, लेकिन अपने बेबाक बयानों की वजह से कई बार विवादों में भी घिर चुके हैं। उन्होंने समाज, धर्म, राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई मुद्दों पर खुले तौर पर राय रखी, जिससे न सिर्फ मीडिया में हड़कंप मचा, बल्कि उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। आइए जानें उनके कुछ ऐसे ही बयानों के बारे में जिनके कारण जमकर बवाल हुआ:
“मुझे डर लगता है अपने बच्चों के लिए”
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने 2018 में एक इंटरव्यू में कहा था कि "आजकल देश में कानून से ज्यादा भीड़ का डर है।" उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बच्चों के लिए डर लगता है क्योंकि उन्हें यह समझ नहीं आता कि भारत में उनकी पहचान क्या है, हिंदू या मुसलमान? यह बयान बेहद विवादित रहा और सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक, उन्हें देशविरोधी तक कहा गया।
“मॉब लिंचिंग पर चुप क्यों हैं लोग?”
एक अन्य इंटरव्यू में उन्होंने सवाल उठाया कि देश में गाय की हत्या पर लोग गुस्से से भर जाते हैं, लेकिन इंसानों की हत्या पर खामोश रहते हैं। उन्होंने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया था। इससे दक्षिणपंथी संगठनों में आक्रोश फैल गया और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए।
अनुपम खेर को लेकर दिया बयान
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने एक बार अभिनेता अनुपम खेर को लेकर कहा था कि "वो एक जोकर हैं और उनके बयानों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।" इस पर भी काफी विवाद हुआ। अनुपम खेर ने पलटवार करते हुए कहा कि "अगर शाह को मुझसे इतनी समस्या है तो उनके पास बहुत वक्त है।" इस विवाद ने बॉलीवुड में मतभेदों की गहराई को उजागर कर दिया था।
“वसीम रिज़वी का कुरान से 26 आयतें हटाने का प्रस्ताव बकवास है”
वसीम रिज़वी ने एक बार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि कुरान से कुछ आयतें हटाई जाएं। इस पर नसीरुद्दीन शाह ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा था कि "वसीम रिज़वी को इस्लाम के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। वो बस नफरत फैला रहे हैं।" इस बयान के बाद भी वे धार्मिक कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गए।
“पाकिस्तान से तुलना करना गलत है”
शाह ने यह भी कहा था कि भारत में मुसलमानों की स्थिति पर चिंता जताना पाकिस्तान से तुलना करने जैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जब भी मुसलमानों की बात होती है, लोग कह देते हैं "पाकिस्तान चले जाओ।" इस बयान से भी कई लोगों की भावनाएं आहत हुईं और सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया गया। [Rh/SP]