आवाज़ गूंजती रही, नाम छुपा रहा, और लता जी के इस एक गाने ने सभी को दीवाना बना दिया

“आयेगा, आयेगा आने वाला” यह एक ऐसा गाना है, जिसे सुनते ही सबने पूछा ये आवाज़ किसकी है ? कोई नाम नहीं था, केवल एक आवाज़ की गूँज थी जो सीधे रूह तक जा पहुंची। इसी सवाल ने जन्म दिया एक गायिका की पहचान को - लता मंगेशकर।
 लता मंगेशकर के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प किस्से 'लता- सुर गाथा' किताब में मिलते हैं। [Wikimedia Commons]
लता मंगेशकर के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प किस्से 'लता- सुर गाथा' किताब में मिलते हैं। [Wikimedia Commons]
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कल्पना करिए कि आप अपने घर में अकेले हो बिजली कटी हुई हो बाहर आंधी तूफान हो और अचानक आपको लता जी की आवाज में एक गाना सुनाई दे आएगा आएगा आने वाला! अभी यह दृश्य सोचकर और लता जी का नाम सुनकर चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है लेकिन जिस समय यह गाना रिलीज हुआ था उसे वक्त लोग लता जी की आवाज में यह गाना सुनकर डर जाते थे उन्हें घबराहट होती थी, लेकिन अभी लता जी के इन गानों ने सभी को दीवाना बना दिया है जानते हैं इनसे जुड़ी दिलचस्प कहानी।

एक गाने ने बना दी लता जी पहचान

“आयेगा, आयेगा आने वाला” यह एक ऐसा गाना है, जिसे सुनते ही सबने पूछा ये आवाज़ किसकी है ? कोई नाम नहीं था, केवल एक आवाज़ की गूँज थी जो सीधे रूह तक जा पहुंची। इसी सवाल ने जन्म दिया एक गायिका की पहचान को - लता मंगेशकर। यह गाना बना 1949 की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘महल’ का हिस्सा, लेकिन यह आवाज़ बनी लता की सच्ची शुरुआत, जिसने उन्हें रातों-रात बॉलीवुड में शीर्ष स्थान दिला दिया। लता की का जन्म जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में हुआ था और उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक लोकप्रिय संगीतकार थे। लता के सदाबहार गाने आज भी उतने ही जोश से सुने जाते हैं जितने पहले सुने जाते थे, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि एक गाने को तैयार करने और रिकॉर्ड करने के पीछे कितनी मेहनत लगती है। लता मंगेशकर के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प किस्से 'लता- सुर गाथा' किताब में मिलते हैं।

लता की का जन्म जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में हुआ था [Wikiedia Coomons]
लता की का जन्म जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में हुआ था [Wikiedia Coomons]

संगीत की दुनिया में लता के सफर को उनके ही शब्दों में पेश करने का काम किया है कवि और संगीत के स्कालर यतींद्र मिश्र ने। यतींद्र ने इस पुस्तक को तैयार करने के लिए लता मंगेशकर के साथ छह साल तक टुकड़ों-टुकड़ों में बातचीत की है। इस पुस्तक में शामिल दिलचस्प किस्सों में शामिल एक किस्सा 'महल' फिल्म के गाने 'आएगा आना वाला...आएगा' से जुड़ा है।

कुछ ऐसे रिकॉर्ड हुआ लता जी का गाना

यह गाना 1949 में रिलीज हुई फिल्म महल जो एक भूतिया थ्रिलर थी उसका है। महल’ एक रोमांचक और रहस्यमयी फिल्म थी, जिसे कमाल अमरोही ने निर्देशित किया। इसमें अशोक कुमार और मधुबाला मुख्य भूमिका में थे। यह उसे समय बॉलीवुड की चौथी सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बनी थी। लता जी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था, कि जब वह इस फिल्म के लिए अपनी आवाज देने गई यानी जब आएगा आएगा आने वाला गाने के लिए उन्हें खुद से कई तकनीकी आवाज़ निकालना पड़ी।

1949 के दौरान साउंड मिक्सिंग जैसी कोई भी तकनीक उपलब्ध नहीं थी जिसके कारण लता जी को कमरे के एक छोर से गाना शुरू करना पड़ा ताकि सुनने वालों को ऐसा लगे की आवाज बहुत दूर से आ रही है। जिन लोगों ने यह गाना सुना होगा, उन्होंने गौर किया होगा कि शुरुआत में ऐसा लगता है कि आवाज़ दूर से आ रही है, लेकिन धीरे-धीरे वह सुनने वाले के पास पहुँच जाती है। उस ज़माने में ऐसा करने के लिए गायक को काफ़ी स्वर साधना करनी पड़ती थी और लता जी इसमें माहिर थीं।

जब तारीफ़ से डर गई थीं लता जी


लता जी का यह सबसे पहला गाना था जिसमें उन्हें खूब तारीफ मिली। 1949 के समय जब गाने रिकॉर्ड होते थे तो अक्सर खाली स्टूडियो या फिर पेड़ों के पीछे जगह या फिर ट्रक के अंदर व्यवस्था की जाती थी। लता जी बताती हैं कि फिल्म लाहौर की शूटिंग के दौरान बॉम्बे टॉकीज में जद्दनबाई और नरगिस दोनों मौजूद थीं, उन्हें वहीं अपना गाना रिकॉर्ड करना शुरू किया। जद्दनबाई ध्यान से सुनती रहीं।

जब तारीफ़ से डर गई थीं लता जी [Wikimedia Commons]
जब तारीफ़ से डर गई थीं लता जी [Wikimedia Commons]

बाद में लता जी को बुलाकर कहा- 'इधर आओ बेटा, क्या नाम है तुम्हारा। जी लता मंगेशकर।’आगे उन्होंने कहा 'अच्छा तुम मराठन हो ना?' 'जी हां, 'इस पर जद्दनबाई खुश होते हुए बोलीं- 'माशाअल्लाह क्या बगैर कहा है। दीपक बगैर कैसे परवाने जल रहे हैं.. में 'बगैर' सुनकर तबीयत खुश हो गई। ऐसा तलफ्फुज हर किसी का नहीं होता बेटा। तुम निश्चित ही एक रोज बड़ा नाम करोगी।' लता मंगेशकर इस शाबाशी से खुश हो गई थीं। मगर उनके भीतर आनंद के साथ थोड़ा डर भी प्रवेश कर गया था। इस डर के बारे में उन्होंने बताया, 'बाप रे! इतने बड़े-बड़े लोग मेरे काम को सुनने आ रहे हैं और इतने ध्यान से एक-एक शब्द पर सोचते-विचारते हैं।'

‘स्वर कोकिला’ को मिल चुके हैं कई सम्मान

लता मंगेशकर को उनके सात दशकों लंबे संगीत करियर में अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न (2001), पद्म भूषण (1969) और पद्म विभूषण (1999) जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए गए। उन्होंने तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो फिल्मफेयर अवॉर्ड्स भी जीते, हालांकि 1970 के बाद उन्होंने युवा गायिकाओं को अवसर देने के लिए फिल्मफेयर की दौड़ से खुद को अलग कर लिया। उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1989) से नवाजा गया, जो भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार है।

 लता जी के नाम पर कई पुरस्कारों की स्थापना भी की गई है, जो उनके अमर योगदान को सहेजते हैं। [Wikimedia Commons]
लता जी के नाम पर कई पुरस्कारों की स्थापना भी की गई है, जो उनके अमर योगदान को सहेजते हैं। [Wikimedia Commons]

इसके अलावा, उन्हें महाराष्ट्र भूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, एन.टी.आर. राष्ट्रीय पुरस्कार, और कई राज्य सरकारों द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड्स मिले। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, फ्रांस ने उन्हें लीजन ऑफ ऑनर' (2007) जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया, और UNESCO संगीत सम्मान (1999) भी प्राप्त हुआ। लता जी के नाम पर कई पुरस्कारों की स्थापना भी की गई है, जो उनके अमर योगदान को सहेजते हैं।

92 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

भारतीय सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का निधन 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वह 92 वर्ष की थीं। लता जी को 8 जनवरी 2022 को कोरोना संक्रमण हुआ था, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुरुआती इलाज के बाद उनकी हालत में थोड़ा सुधार देखा गया, लेकिन उम्र संबंधी अन्य जटिलताओं के चलते उनकी तबीयत दोबारा बिगड़ गई। कोविड से उबरने के बावजूद उन्हें न्युमोनिया और मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर की समस्या हो गई, जो उनके लिए जानलेवा साबित हुई। डॉक्टरों ने काफी प्रयास किए, लेकिन 6 फरवरी की सुबह करीब 8:12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

भारतीय सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का निधन 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। [Wikimedia Commons]
भारतीय सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का निधन 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। [Wikimedia Commons]

उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। भारत सरकार ने उनके सम्मान में दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। मुंबई के शिवाजी पार्क में उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेता और फिल्म जगत की हस्तियां शामिल हुईं।

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“ये आवाज़ किसकी है?” यह सवाल गूंज उठा उस रातक़ जब हवेली ‘महल’ के कोने-कोने में वह गीत बजा। लेकिन गाना खुद जवाब बन गया एक लड़की की आवाज़ जिसने पूरे देश को चुप करा दिया। आज “आएगा आने वाला” सिर्फ एक गाना नहीं है – यह भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग का प्रतीक, लता मंगेशकर का आत्मविश्वास, और संगीत की क्षमता का प्रमाण है जो समय की दीवारों को ध्वस्त कर देती है। [Rh/SP]

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