कौन है रूबी मेयर्स: जब हीरो साईकिल से तो रॉयल रॉयस से सेट पर आती थी सुलोचना

खूबसूरत, अदाओं से भरपूर और बोल्डनेस क्वीन रूबी मेयर्स वैसे तो विदेशी मूल से हैं लेकिन इन्हें भारतीय सिनेमा में पहली महिला सुपर स्टार का दर्जा प्राप्त हुआ।
रूबी मेयर्स
रूबी मेयर्सWikimedia

3 मई 1913 को पहली भारतीय फिल्म राजा हरिश्चंद्र रिलीज (Raja Harishchandra) हुई थी इसी के साथ 3 मई 2022 को बॉलीवुड को 109 साल पूरे हो चुके हैं आज के लेख में हम आपको मूक फिल्मों की पहली सुपरस्टार रूबी मेयर्स (Ruby Myers) की कहानी बताएंगे।

खूबसूरत, अदाओं से भरपूर और बोल्डनेस क्वीन रूबी मेयर्स वैसे तो विदेशी मूल से हैं लेकिन इन्हें भारतीय सिनेमा में पहली महिला सुपर स्टार का दर्जा प्राप्त हुआ। रूबी से पहले भी कई महिलाएं फिल्मों में आई लेकिन सिर्फ रूबी अपने हुनर से भारत की पहली महिला सुपरस्टार बन पाई। हम उस समय की बात कर रहे हैं जब भारत में सिर्फ मूक फिल्में ही बना करती थी।

इन फिल्मों में ना डायलॉग होते थे और ना ही गाने। इसके बावजूद भी जो भी रूबी को बड़े पर्दे पर देखता हूं इनका दीवाना होकर रह जाता। रूबी का क्रेज इतना था कि h

जहां हीरो ₹100 फीस के रूप में लिया करते थे वहीं रूबी हर एक फिल्म के ₹5000 लेती थी, जो महाराष्ट्र (Maharashtra) के गवर्नर की सैलरी से भी अधिक थी। रूबी यानी सुलोचना (Sulochana) ने 1925 में फिल्मों में कदम रखा और करीब 65 साल के अपने फिल्मी करियर में 107 से ज्यादा फिल्में की।

ब्रिटिश मूल (British Origin) की रूबी की हिंदी कमजोर थी इसीलिए साउंड फिल्मों के दौर में उन्हें किनारे कर दिया गया। लेकिन रूबी ने फिल्मों से 1 साल का ब्रेक लिया और हिंदी में महारत हासिल की और एक दमदार कमबैक किया। इन्होंने खुद की प्रोडक्शन कंपनी रूबी पिक (Ruby Pic) की शुरुआत की और हाईएस्ट पेड एक्टर के रूप में सामने आई। आज का लेख इन्हीं की दास्तां हैं:

रूबी मेयर्स
अजय देवगन (Ajay Devgan) को लेकर सामने आया एक बड़ा बयान

जब फिल्में करने से इनकार किया

रूबी मेयर्स का जन्म 1907 में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ। टाइपिंग स्पीड में रूबी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता था और उनकी खूबसूरती हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही। अपना खर्च उठाने के लिए एक टेलीफोन ऑपरेटर की मामूली सी नौकरी किया करती थी। यहीं पर मोहन भवनानी जो कि कोहिनूर फिल्म कंपनी से थे की नजर रूबी पर पड़ी। उन्होंने तुरंत पूछा - सिनेमा में काम करोगी? लेकिन रूबी ने मना कर दिया।

रूबी सुलोचना बन गई

यह उस समय की बात है जब एक्टिंग को महिलाओं के लिए बेहद असभ्य पेशा माना जाता था। लेकिन मोहन भवनानी रूबी की खूबसूरती के कायल हो चुके थे और उन्होंने जिद पकड़ ली थी आखिरकार रूबी को मानना ही पड़ा। रूबी को अभिनय का कोई अनुभव नहीं था और यह दौर मूक फिल्मों का था। रूबी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1925 में आई फिल्म वीर बाला (Veer Bala) से की जिसमें उन्होंने मिस रूबी क्रेडिट की भूमिका निभाई और इसके बाद वह सुलोचना बन गई। इसके बाद सुलोचना भवनानी के डायरेक्शन में बनाई गई फिल्मों के कारण स्टार बन गई। लेकिन कुछ समय बाद वह कोहिनूर कंपनी छोड़कर इंपीरियल फिल्म कंपनी के साथ जुड़ गई और इस कंपनी के साथ उन्होंने लगभग 37 फिल्में की।

बलिदान (1926) वाइल्ड कैट ऑफ बॉम्बे (1927) खूब चली।

1928-29 में सुलोचना को अनारकली और इंदिरा बीए फिल्मों से कामयाब एक्ट्रेस का दर्जा मिल गया।

उस दौर में जहां अभिनेता साइकिल से सेट पर आते थे वहीं सुलोचना शेवरले और रॉयल रॉयस जैसी लग्जरी गाड़ियों से। उन्हें गाड़ी के उतरते देखने वालों का तांता लगा रहता था। लोग उनके दीवाने थे और यही कारण था कि भीड़ के डर से सुलोचना को अपनी फिल्म बुर्का पहनकर देखने जाना पड़ता था।

सुलोचना ने अपनी फिल्मों में स्विमिंग, हॉर्स राइडिंग और स्टंट किए और परदे में रहने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणा बन कर सामने आई।

किसिंग सीन ने हंगामा मचा दिया

जन सुलोचना ने फिल्म हीर रांझा में अपने को- स्टार डी बिलिमोरिया के साथ किसिंग सीन किया तो चारों तरफ हंगामा हो गया। और वह मूक फिल्मों की सेक्स सिंबल बन गई। असल जिंदगी में भी सुनोचना अपनी बोल्डनेस से लोगों का ध्यान खींच लेती थी।

बोलती फिल्म इन सुलोचना आउट

जब पहली बोलती फिल्म आलम आरा आई तो मेकर्स ने रूबी को नहीं बल्कि जुबैदा को कास्ट किया क्योंकि रूबी हिंदी में कमजोर थी और जुबैदा को हिंदी और उर्दू दोनों की जानकारी थी। यह बदलाव सुलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाई और उन्होंने फिल्मों से 1 साल का ब्रेक लिया और हिंदी सीखने लगी इसी 1 साल में सुलोचना की सभी फिल्मों को साउंड के साथ दोबारा बनाया जाने लगा और वीर वाला फिल्म माय मैन के नाम से रिलीज हुई। नई एक्ट्रेस नूरजहां, खुर्शीद और सुरैया की एंट्री से सुलोचना की पॉपुलर कब होती गई लेकिन उनके महंगे शौक और तेवर नहीं।

बोलती फिल्म इन सुलोचना आउट
बोलती फिल्म इन सुलोचना आउटWikimedia

मोरारजी देसाई ने की सुलोचना की फिल्म बैन

फिल्म जुगनू में सुलोचना ने स्टूडेंट और दिलीप कुमार ने प्रोफेसर का रोल निभाया। फिल्म में इन दोनों के बीच लव एंगल दिखाया गया। यही कारण था कि मुंबई स्टेट के तत्कालीन होम मिनिस्टर मोरारजी देसाई (Morarji Desai) ने फिल्म को नैतिकता के खिलाफ और असभ्य बताते हुए बैन कर दिया। हालांकि इस फिल्म के लीड रोल में दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और नूरजहां (Noorjahan) थे।

जब फिल्म अनारकली (Anarkali) तीसरी बार बन रही थी जो सुलोचना को लीड रोल की बजाय सलीम की मां जोधाबाई का साइड रोल दिया गया। और फिल्म की हीरोइन थी बीना रॉय। सुलोचना इस रोल के लिए इसलिए राजी हो गई क्योंकि उन्हें उनके महंगे शौक पूरे करने थे। और फिर उन्हें साइड रोल मिलना भी बंद हो गया तो मैं एक्स्ट्रा बनकर काम करने लगी है।

शौक बड़े लेकिन कमाई नहीं

एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें इंडस्ट्री में काम मिलना बिल्कुल बंद हो गया। उनके सोने के गहने की जगह नकली गहने आ गए। आर्थिक तंगी के इस दौर में भी उन्होंने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। वह एक जूनियर आर्टिस्ट बन गई उनके पास काम तो नहीं था लेकिन इंडस्ट्री ने उन्हें पूरा सम्मान दिया।

सुलोचना द्वारा भारतीय सिनेमा में दिए गए योगदान के लिए उन्हें 1973 में सबसे सम्मानित दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (Dada Saheb Phalke Award) से नवाजा गया। इसके बाद से वह लोगों की नजर से दूर होने लगी और 10 अक्टूबर 1983 में गुमनाम जिंदगी जी रही सुलोचना ने अपनी अंतिम सांसे ली।

(PT)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com