आखिर क्यों बेचना पड़ा राजेंद्र कुमार को अपना लकी बंगला

1960 के समय के जाने माने कलाकार थे राजेंद्र कुमार(Rajendra Kumar)। 'जुबली कुमार(Jubilee Kumar)' के नाम से जाने जानेवाले राजेंद्र ने 50 रुपए के साथ मुंबई आकर अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की और देखते ही देखते एक बड़ा नाम बन गए।
आखिर क्यों बेचना पड़ा राजेंद्र कुमार को अपना लकी बंगला

आखिर क्यों बेचना पड़ा राजेंद्र कुमार को अपना लकी बंगला

राजेंद्र कुमार(Picasa)

न्यूज़ग्राम हिंदी: 1960 के समय के जाने माने कलाकार थे राजेंद्र कुमार(Rajendra Kumar)। 'जुबली कुमार(Jubilee Kumar)' के नाम से जाने जानेवाले राजेंद्र ने 50 रुपए के साथ मुंबई आकर अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की और देखते ही देखते एक बड़ा नाम बन गए। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब इन्हें अपना लकी बंगला बेचना पड़ा।

50 रुपए के साथ मुंबई आए राजेंद्र कुमार ने शुरुआती दौर में कड़ी मेहनत की। शुरुआत में उन्होंने डायरेक्टर एचएस रवैल के अंडर में असिस्टेंट के रूप में 150 की सैलरी पर काम किया। 1950 में फिल्म 'जोगन' से फिल्मी दुनिया में डेब्यू करने के बाद उन्होंने दुबारा मुड़ कर नहीं देखा। इसके बाद एक के बाद एक लगातार हिट फिल्में देते गए। उस समय यदि कोई भी फिल्म 25 सप्ताह से ज्यादा चलती थी तो उसे 'सिल्वर जुबली' का नाम दिया जाता था।1960 में एक दौर यह भी आया जब राजेंद्र कुमार की सभी फिल्में 'सिल्वर जुबिली' होती थी। यही कारण है कि उनका नाम 'जुबिली कुमार' पड़ा।

इसी बीच उन्होंने बांद्रा के कार्टर रोड पर समुद्र किनारे 60 हज़ार में भारत भूषण से एक बंगला खरीदा। माना जाता है कि इस बंगले में आते ही उनकी सभी फिल्में हिट होती गईं। लेकिन यह ज़्यादा दिन तक नहीं चला, 1970 में उनकी चमक फीकी पड़ने लगी। उनकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर पड़ने लगी और इस कारण उन्हें अपना बंगला बेचना पड़ा। जब राजेश खन्ना(Rajesh Khanna) को यह बात पता चली तो उन्होंने यह बंगला उनसे खरीद लिया।

<div class="paragraphs"><p>आखिर क्यों बेचना पड़ा राजेंद्र कुमार को अपना लकी बंगला</p></div>

आखिर क्यों बेचना पड़ा राजेंद्र कुमार को अपना लकी बंगला

राजेंद्र कुमार(सांकेतिक  /wikimedia

ऐसा माना जाता है कि राजेश खन्ना जब इस बंगले में रहने लगे तब राजेंद्र कुमार की तरह ही उनकी भी एक के बाद एक सभी फिल्में हिट होती रहीं। लेकिन यह सिलसिला ज़्यादा दिन तक नहीं चला और कुछ समय बाद उसी तरह राजेश खन्ना की भी चमक कम होती है। जीवन के आखिरी दिनों तक राजेश खन्ना इस बंगले में रहे। 2012 में उनकी मौत के बाद इसे 90 करोड़ में बिजनेसमैन को बेच दिया गया जिसने यहां 5 मंजिला इमारत बनवाई।

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लोगों का कहना है कि यह बंगला जितना दोनों के लिए लकी था उतना ही भूतिया भी। दोनों के साथ ही समान घटना हुई। इसे 'भूत बंगले' के नाम से भी जाना जाता था।

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