किसान नेताओं ने स्थगित किया किसान आंदोलन, 11 दिसंबर से घर वापसी

केंद्र सरकार से सहमति के बाद भारतीय किसान यूनियन ने किसान आंदोलन वापसी का ऐलान किया है। (Wikimedia Commons)
केंद्र सरकार से सहमति के बाद भारतीय किसान यूनियन ने किसान आंदोलन वापसी का ऐलान किया है। (Wikimedia Commons)

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों(Three Farm Laws) के खिलाफ पूरे उत्तर भारत के किसानों द्वारा दिल्ली की सीमाओं के बाहर धरना प्रदर्शन करने के ठीक एक साल बाद, आंदोलनकारी किसानों ने अब दिल्ली-हरियाणा सीमा(Delhi-Haryana Border) पर सिंघू में विरोध स्थलों से अपने अस्थायी तंबू हटाना शुरू कर दिया है।

इसपर आंदोलन में किसानो का मुख्य चेहरा रहे राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) ने कहा की आज हम दो-तीन चीजें इकट्ठी करके जाएंगे। हम यह स्पष्ट कर दें कि संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा। जब भी देश में मोर्चा या उससे जुड़े लोग कहीं भी जाएंगे तो उन्हें उसी सम्मान की दृष्टि से देखा जाएगा, क्योंकि पूरा मोर्चा यहां से जा रहा है।

प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र सरकार की ओर से एक पत्र मिला है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर समिति बनाने और उनके खिलाफ मामले को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का वादा किया गया है। बयान में कहा गया, 'जहां तक मुआवजे की बात है तो यूपी और हरियाणा ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

किसान नेता गुरनाम सिंह चारुनी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हमने अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है। हम 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे। अगर सरकार अपने वादों को पूरा नहीं करती है, तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं।' एक अन्य प्रमुख किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा, "प्रदर्शनकारी किसान 11 दिसंबर को धरना स्थल खाली कर देंगे।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने 19 नवंबर को घोषणा की थी कि भाजपा के नेतृत्व वाला केंद्र संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कानूनों को निरस्त करने के लिए आवश्यक विधेयक पारित करेगा।

इसके बाद, दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – ने सर्वसम्मति से 29 नवंबर को कृषि कानून निरसन विधेयक पारित किया, जिसके बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने विधेयक को अपनी सहमति दी, इसे एक अधिनियम बना दिया और इसे पूरी तरह से वापस लेने की प्रक्रिया को पूरा किया गया।

इस साल 26 जनवरी की हिंसा के बाद जब किसान आंदोलन कमज़ोर पड़ता दिख रहा था तो यह ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के आँसू ही थे जिसने किसान आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की थी।

Input-IANS; Edited By- Saksham Nagar

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